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Gujarat: गांधी और मोदी की किस्मत बदलने वाला ये शहर, Video में देखें क्यों है ये आज भी सबसे प्यारा

Gujarat and Modi Connection: महात्मा गांधी और नरेंद्र मोदी की किस्मत बदलने वाला ये शहर अपने भीतर कई इतिहासों को समेटे है। इस शहर से नरेंद्र मोदी का बहुत गहरा रिश्ता है।

Neel Mani Lal
Published on: 4 Nov 2022 3:05 PM GMT
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Gujarat and Modi Connection: नरेंद्र मोदी का एक ख़ास कनेक्शन राजकोट से भी जुड़ता है। राजकोट से नरेंद्र मोदी के बहुत गहरे रिश्ते हैं। नरेंद्र मोदी ने अपनी ज़िंदगी का पहला विधानसभा का जो चुनाव लड़ा था, वह राजकोट से लड़ा था। उस चुनाव को जीतने के बाद उन्होंने जो विजय की पारी शुरू की, वो विराम लेने का नाम ही नहीं ले रही है। हालांकि, इस चुनाव के ठीक पहले नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बन गये थे। बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने यह चुनाव लड़ा था। लेकिन सब भी कम दिलचस्प नहीं है कि नरेंद्र मोदी पहली बार जीते और उससे पहले वह मुख्यमंत्री बन गये थे। और जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के कैंडिडेट हुए 2014 के ऐन पहले। तभी देश मान बैठा था कि नरेंद्र मोदी अगले प्रधानमंत्री होंगे।

यानी पहली बार जीते तो प्रधानमंत्री । तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की राजनीतिक कहानी बड़ी दिलचस्प है और राजकोट से जुड़ती है। नरेंद्र मोदी एक ऐसे शख़्स हैं, जिन्हें कभी कोई टिकट मांगने के लिए कहीं भी नहीं जान पड़ा। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में लोगों को टिकट दिया। राजकोट विधानसभा सीट- 2 को अब राजकोट पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। राजकोट की यह सीट जादुई मानी जाती है। जब नरेंद्र मोदी ने राजकोट से पहला चुनाव लड़ा, तो उन्होंने रिक्शे से प्रचार किया था। राजकोट की इस सीट के बारे में यह मान्यता है कि यहां से जो भी जीतता है वह मुख्यमंत्री बनता है। और यह मान्यता नरेंद्र मोदी ने भी सच ही साबित की।

नरेंद्र मोदी के लिए खाली की राजकोट- 2 सीट

नरेंद्र मोदी वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे। वह 1990 के दशक में भाजपा के राज्य संगठन के महासचिव भी थे। अक्टूबर 2001 में उन्हें मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। उस समय वे विधायक दल के सदस्य नहीं थे। मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने के लिए 6 महीने के भीतर विधान सभा के लिए निर्वाचित होना आवश्यक होता है। उस समय वजुभाई वाला ने उनके लिए राजकोट- 2 सीट खाली कर दी। इसके बाद फरवरी 2002 में राजकोट -2 विधानसभा पर उपचुनाव हुआ । यह नरेंद्र मोदी के जीवन का पहला चुनाव था। इस चुनाव में मोदी ने 14,000 से अधिक मतों से विजय दर्ज कराई। वजुभाई ने 2014 में राज्यपाल बनने के लिए इस सीट से इस्तीफा दे दिया था । इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। इस बार भाजपा ने विजय रूपाणी को मैदान में उतारा। विजय भाई जीत गए। एक साल के अंदर ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया । बाद में वे मुख्यमंत्री बने।

वजुभाई रहे हैं प्रभारी सीएम

राजकोट पश्चिम सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा नेताओं की अब मजबूत उपस्थिति है। हालांकि वजुभाई वाला की यहाँ से जीत जारी रही । लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बने। मोदी की अनुपस्थिति में उन्होंने प्रभारी मुख्यमंत्री का पद ज़रूर संभाला । उसके बाद राज्यपाल बने और फिर राजकोट वापस लौट गये।

राजकोट राजनीति में सबसे आगे

राजकोट को गुजरात से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में बड़ा माना जा सकता है। राजकोट से कई बड़े नेताओं के संबंध हैं। अगर प्रधानमंत्री राजकोट से पहला चुनाव लड़ चुके हैं, तो गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी राजकोट के रहने वाले हैं। वजुभाई राज्यपाल रह चुके हैं । जबकि जयेश राडाडिया और कुंवरजी बावलिया भाजपा के मंत्री रह चुके हैं। गोविंद पटेल विधायक के रूप में सक्रिय हैं । राजकोट के रामभाई मोकरिया भी राज्यसभा सांसद रहे हैं।

कभी सौराष्ट्र की राजधानी था राजकोट

राजकोट, कभी सौराष्ट्र की राजधानी हुआ करता था। महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी सौराष्ट्र में ही दीवान हुआ करते थे। यहीं गांधी जी ने अपना बचपन संवारा। सौराष्ट्र की गलियों में ही गांधी जी बड़े हुए। खेले। गांधी जी ने यहीं से हिन्दुस्तानियों व अंग्रेज़ों के रहन-सहन के अंतर को क़रीब से देखा। गांधी जी ने तत्कालीन अलफ्रंट हाई स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। गांधी जी की इस नगरी में पर्यटकों के लिए 'काबा गाँधीना देलो' यानी गाँधी जी का निवास स्थान है। जिसमें आज बाल मन्दिर स्कूल चल रहा है। राजकुमारी उद्यान है। जबूली उद्यान है, वारसन संग्रहालय है। रामकृष्ण आश्रम है। लालपरी झील है। अजी डेम है। रंजीत विलास पैलेस है। सरकारी दुग्ध डेयरी जैसी तमाम जगहें हैं, जो दर्शकों को आकर्षित करती हैं। राजकोट में मनाया जाने वाला पतंग मेला पूरे भारत में लोकप्रिय है। दुनिया भर में राजकोट गांधी जी के नाते आकर्षण का सबब है। और आजकल, इन दिनों मोदी ने भी राजकोट के सम्मान को कम नहीं बढ़ाया है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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