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हाजी इकबाल पर कसा जांच एजेंसियों का शिकंजा, मनी लांड्रिंग के धंधे का भंडाफोड़
योगेश मिश्र के साथ महेश कुमार
लखनऊ / सहारनपुर। अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर इलाके में जिस शख्स का सिक्का चलता था उस मोहम्मद इकबाल की गर्दन के पास जांच एजेंसियो के हाथ पहुंच गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय को मोहम्मद इकबाल की तकरीबन 122 ऐसी कंपनियां पता चली हैं जिनकी मार्फ़त वह मनी लांड्रिंग का धंधा करता था।
प्रवर्तन निदेशालय के हाथ इन कंपनियों के बारे में तमाम ऐसे पुख्ता सबूत लग गए हैं जबकि सीबीआई अभी इन कंपनियों के बारे में अपनी प्रारम्भिक जांच कर रही है। सीबीआई की प्रारम्भिक जांच के बाद दोनों एजेंसिया इकबाल के साम्राज्य को बेनकाब करने में जुट जाएंगी। आयकर विभाग के सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेशन (cbdt) के हाथ इकबाल की अकूत सम्पतियों के दस्तावेज लग चुके हैं।
सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टीगेशन टीम भी इकबाल की जांच पड़ताल में लगायी गयी है। जांच एजेंसियो के हाथ इकबाल के करीबी रिश्ते बसपा सुप्रीमो मायावती , पूर्व खनन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा तथा गायत्री प्रजापति से भी होने के सबूत मिले हैं।
सहारनपुर के मिर्ज़ापुर पोल गांव के निवासी हाजी मोहम्मद इकबाल उर्फ़ इकबाल बाल्ला उस इलाके में गरीबों को इमदाद बांटने वालों में आते हैं। बीमारी, शादी, फीस सरीखी अन्य छोटी-मोटी जरूरतों के लिए सुबह से ही इकबाल के यहाँ लोगो की आमदरफ्त देखी जा सकती है। आर्थिक तंगी या बीमारी के लिए पैसे माँगने वालों को इकबाल एक छोटे से कागज़ की पर्ची थमाते हैं जो उनके सहारनपुर शहर में बाजोरिया रोड स्थित ऑफिस में कैश होती है।
तकरीबन दस साल पहले इकबाल गांव में एक छोटी सी परचून की दुकान चलाते थे। बाद में उन्होंने शहर के बीच से गुजरने वाली नदियों के किनारे फूस का ठेका लेना शुरू कर दिया। यह काम उनको इतना भाया की हर राजनीतिक दल में उनकी पैठ बन गयी। 2007 में हाजी बसपा के मार्फ़त माननीय बनने में कामयाब हो गए। बसपा ने इकबाल के छोटे भाई महमूद अली को एमएलसी बनाया।
पिछले विधानसभा चुनाव में इकबाल बसपा के टिकट पर बेहट सीट से मैदान में उतरे और तीसरे स्थान पर रहे। खनन की ठेकेदारी, राजनैतिक रसूख के चलते इकबाल का साम्राज्य इतना बड़ा हो गया कि उन्होंने तकरीबन 450 एकड़ जमीन में ग्लॉकन विश्वविद्यालय खड़ा कर दिया। बाद में यहीं से मेडिकल कालेज का संचालन शुरू कर दिया।
यमुना और आसपास की अन्य नदियों से खनन का कारोबार इकबाल को ऐसा फला-फूला कि उन्होंने सपा हो या बसपा किसी भी कार्यकाल में पीछे मुड़ कर नहीं देखा। जमीन पर अवैध कब्जो की जांच तो इकबाल के खिलाफ पहले से ही चल रही है। एजेंसियो के हाथ लगे दस्तावेज बताते हैं, कि अपने रिश्तेदारों को निदेशक मंडल में शामिल कर के पूरी तौर पर फर्जी पते पर इकबाल ने 84 कंपनियां बनायी है जिनमें एक-एक दिन में करोड़ों का लेनदेन हुआ है।
हद तो यह है कि पहले पैसे इन कंपनीज में डाले गए उसके बाद बाकायदा वेतन के रूप में इस भारी भरकम राशि को निजी खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। इन कंपनियों में कोई कामकाज नहीं हुआ। सिर्फ इनके बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया।