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Justice UU Lalit: कौन हैं UU Lalit, जो बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश, जानिये सबकुछ
Justice UU Lalit: देश के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस यूयू ललित के नाम की सिफारिशी चिट्ठी कानून मंत्रालय को भेज दी है।
Justice UU Lalit: देश के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण (CJI NV Raman) ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर जस्टिस यूयू ललित (Justice UU Lalit) के नाम की सिफारिशी चिट्ठी कानून मंत्रालय को भेज दी है। इसी के साथ उनके सुप्रीम कोर्ट के 49वें चीफ जस्टिस (49th Chief Justice of Supreme Court) बनने का रास्ता साफ हो गया है। मौजूदा सीजेआई इसी माह की 26 तारीख को रिटायर हो रहे हैं। उनके रिटायरमेंट के बाद जस्टिस यूयू ललित सीजेआई पद की शपथ लेंगे। हालांकि, उनका कार्यकाल काफी संक्षिप्त रहने वाला है। वह 8 नवंबर 2022 को रिटायर होंगे। तो आइए एक नजर उनके अब तक के सफर पर डालते हैं ।
कौन हैं जस्टिस यूयू ललित
जस्टिस उदय उमेश ललित (Justice Uday Umesh Lalit) महाराष्ट्र से ताल्लूक रखते हैं। 9 नवंबर 1957 को जन्मे ललित को वकालत का पेशा विरासत में मिला। उनके पिता यू आर ललित भी जज रह चुके हैं। ललित जून 1983 में एक वकील के तौर पर नामांकित हुए। उन्होंने दिसंबर 1985 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की। अगले साल वह दिल्ली चले आए और यहां हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी। अप्रैल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सीनियर एडवोकेट के तौर पर नामित किया। वह दो कार्यकालों के लिए सुप्रीम कोर्ट के कानूनी सेवा समिति के सदस्य बने। उन्हें क्रिमिनल लॉ का स्पेशलिस्ट माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में सीबीआई का विशेष अभियोजक नियुक्त किया था।
सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज सफर
क्रिमिनल लॉ के स्पेशलिस्ट माने जाने वाले यू यू ललित 13 अगस्त 2014 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए। जस्टिस ललित तीन तलाक की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा जस्टिस ललित और आदर्श के गोयल की सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने ही अदालतों में सीसीटीवी कैमरों पर कार्यवाही रिकॉर्ड करने की इजाजत दी थी।
जस्टिस यू यू ललित अपने कार्यकाल में कई बार हाई प्रोफाइल मामलों से दूरी बनाते नजर आए। साल 2014 में उन्होंने याकूब मेनन की याचिका की सुनावाई से खुद को अलग कर लिया था। साल 2015 में उन्होंने मालेगांव विस्फोट की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इसके बाद साल 2016 में उन्होंने विवादास्पद धर्मगुरू आसाराम बापू से जुड़े एक याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।