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UP News: पुरानी फाइल से! बैंकों के 300 करोड़ रुपये डकार गये उ0प्र0 के सरकारी उपक्रम, 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया

UP News: उत्तर प्रदेश के सरकारी उपक्रमों ने अपनी बैंक लोन की वसूली में विफलता के बीच करीब 300 करोड़ रुपये के बकाया छोड़ दिए हैं। इसके अलावा, ये उपक्रम बैंकों के 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया भी रखते हैं। राज्य सरकार ने उपक्रमों को अपने बकाये की वसूली के लिए नोटिस जारी किया है लेकिन वे अभी तक अपनी राशि भुगतान नहीं कर पाए हैं। इससे बैंकों को कई लाख रुपये का नुकसान हो रहा है।

Yogesh Mishra
Published on: 8 May 2023 8:16 PM GMT
UP News: पुरानी फाइल से! बैंकों के 300 करोड़ रुपये डकार गये उ0प्र0 के सरकारी उपक्रम, 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया
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bank (social media)

UP News: नई दिल्ली, 21 अगस्त, 2002 उत्तर प्रदेश में बैंकों व वित्तीय संस्थानों का पैसा हजम करने की दौड़ में निजी तो निजी प्रदेश के सार्वजनिक उपक्रम भी पीछे नहीं हैं। ये कम्पनियां बैंकों का तकरीबन दो हजार करोड़ रूपये डकार चुकी है। इनमें तीन सौ करोड़ रूपये अकेले सार्वजनिक उपक्रमों ने हजम किए हैं। इस राशि की वापसी की उम्मीद अब न के बराबर है क्योंकि इनमें से अधिकतर कम्पनियां बन्द हो चुकी हैं।

चाहे वस्त्र निगम हो या सीमेंट निगम अथवा अपट्रान इंडिया लिमिटेड, उत्तर प्रदेश की तमाम सरकारी कम्पनियों पर किसी न किसी बैंक का कुछ न कुछ पैसा जरूर बाकी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में सरकारी व निजी क्षेत्र की कम्पनियों पर कुल मिलाकर तकरीबन 83 हजार करोड़ रूपये बकाया है। इसमें से 2071.74 करोड़ रूपये अकेले उत्तर प्रदेश की निजी व सरकारी कम्पनियों पर बनता है।

रिजर्व बैंक के दस्तावेजों में मार्च 2001 तक की सूची में उत्तर प्रदेश के जिन सरकारी उपक्रमों को बकायेदार दिखाया गया है, उनमें यूपी ड्रग्स एण्ड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, यूपी सहकारी कताई मिलस लिमिटेड, राज्य वस्त्र निगम, एनटीसी यूपी लिमिटेड, यूपी टायर्स व ट्यूब्स लिमिटेड, उत्तर प्रदेश वेयरहाउसिंग करपोरेशन, यूपी स्टेट हार्टिको, यूपी स्टेट हैण्डलूम कारपोरेशन, लखनऊ विकास प्राधिकरण, यूपी सीमेंट कारपोरेशन तथा अपट्रान इंडिया के नाम शामिल है।

चीनी निगम पर इलाहाबाद बैंक का 1.61 करोड़ रूपया बाकी है जबकि स्टेट टेक्सटाइल कारपोरेशन पर 4.46 करोड़ तथा सीमेंट कारपोरेशन पर 87.16 करोड़ की देनदारी बनती है। अपट्रान का नाम राज्य के बड़े बकायेदारों की सूची में शरीक है। उसने कई बैंकों को चूना लगाया है। अपट्रान इंडिया पर इलाहाबाद बैंक का 5.51 करोड़ रूपये बकाया है जबकि यूको बैंक के 5.75 करोड़ रूपये भी इसने दबा रखे हैं। अपट्रान ने ओरिएंटल बैंक आफ इंडिया का भी 12.18 करोड़ रूपये का कर्ज अदा नहीं किया है।

बैंक आफ बड़ौदा का पैसा भी कई सरकारी उपक्रमों में फंसा है। इनमें यूपी ड्रग्स फार्मास्यूटिकल्स (2.13 करोड़), यूपी सहकारी कताई मिल्स (3.73 करोड़), अपट्रान आनंद लिमिटेड (2.25 करोड़) तथा अपट्रान इंडिया लिमिटेड (4.87 करोड़) के नाम से शामिल हैं।

यूपी ड्रग्स फार्मास्यूटिकल्स पर इंडियन बैंक की 3.84 करोड़ की देनदारी बनती है जबकि इंडियन ओवरसीज बैंक का उनटीसी पर 6.20 करोड़ का बकाया है। यूपी कार्बाइड एंड केमिकल्स, यूपीएसआईसी तथा राज्य वस्त्र निगम ने भी इस बैंक से क्रमशः 2.88, 7.55 तथा 31.06 करोड़ रूपये की राशि ले रखी है और इनकी अदायगी की कोई उम्मीद नहीं है। बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक को भेजी गयी सूची के मुताबिक ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स का यूपी टायर एंड ट्यूब्स पर 9.58 करोड़ तथा यूपी वेयर हाउसिंह कारपोरेशन पर 1.43 करोड़ रूपये बकाया है। यूपी हैंडलूम कारपोरेशन और यूपी स्टेट हार्दिको ने भारतीय स्टेट बैंक का क्रमशः 4.29 करोड़ और 1.90 करोड़ रूपया मार रखा है। उत्तर प्रदेश राज्य वस्त्र निगम ने सिंडिकेट बैंक का 4.80 करोड़ रूपया नहीं दिया है। और तो और राज्य के नगर विका समंत्रालय के अधीन आने वाला लखनऊ विकास प्राधिकरण भी इस मामले में पीछे नहीं है और उससे 16.75 करोड़ रूपये का कर्ज वसूलने के लिए यूको बैंक एड़ियां रगड़ रहा है सरकारी क्षेत्र की कम्पनियों ने वित्तीय संस्थानों को भी नहीं बख्शा है। प्रमुख वित्तीय संस्थान भारतीय औद्योगिक विकास बैंक के कर्जदारों में उ.प्र. की जिन कम्पनियों को बकायेदारों के रूप में दर्शाया गया है, उनमें एनटीसी यूपी लिमिटेड पर 3.13 करोड़, यूपी कार्बाइड एंड केमिकल्स पर 15.32 करोड़ तथा यूपी सीमेंट कारपोरेशन पर 25.48 करोड़ रूपये बकाया है।
(दैनिक जागरण, नई दिल्ली संस्करण में दिनांक- 22 अगस्त, 2002 को प्रकाशित )

Yogesh Mishra

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