Karnataka News: जातीय जनगणना पर बवाल, मुश्किल में फंसे सिद्धारमैया, दो प्रभावशाली समुदायों ने खोला मोर्चा

Karnataka News: कर्नाटक में जातीय जनगणना का मुद्दा उलझ गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का सपना पूरा करने में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बड़ी मुश्किल में फंसे हुए नजर आ रहे हैं।

Anshuman Tiwari
Published on: 18 April 2025 5:16 AM
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जातीय जनगणना पर बवाल, मुश्किल में फंसे सिद्धारमैया, दो प्रभावशाली समुदायों ने खोला मोर्चा (social media)

Karnataka News: कर्नाटक में जातीय जनगणना का मुद्दा उलझ गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का सपना पूरा करने में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बड़ी मुश्किल में फंसे हुए नजर आ रहे हैं। राज्य के दो प्रभावशाली समुदायों लिंगायत और वोक्कालिगा ने जातीय जनगणना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उन दोनों समुदायों से जुड़े कांग्रेस के मंत्री भी विरोधी तेवर दिखाने लगे हैं।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जातीय जनगणना पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाई थी। बैठक के दौरान लंबी चर्चा तो हुई मगर कोई फैसला नहीं लिया जा सका। जातीय जनगणना का यह मुद्दा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के गले की फांस बन गया है और अब उन्हें भी इस विवाद को सुलझाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस भी इस मामले को लेकर बंटी हुई नजर आ रही है जिससे मामला और उलझ गया है।

कैबिनेट बैठक में नहीं हो सका फैसला

कर्नाटक में सामाजिक,आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण (जातीय जनगणना) की शुरुआत 2015 में की गई थी। एच कंथराज की ओर से यह काम शुरू किया गया था और इस काम को कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के जयप्रकाश हेगड़े ने पूरा किया। आयोग ने पिछले साल फरवरी महीने के दौरान अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सौंप दी थी। रिपोर्ट में ओबीसी कोटा बढ़ाकर 51 फीसदी करने का सुझाव दिया गया है।

इस रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाई थी मगर यह बैठक बेनतीजा खत्म हुई। राज्य के दो प्रभावशाली समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायत की ओर से ओबीसी कोटा बढ़ाने का विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि यह रिपोर्ट वैज्ञानिक नहीं है और उनका हक मारा जा रहा है।

बैठक के दौरान रिपोर्ट को एक सब कमेटी या विशेषज्ञ पैनल के पास भेजने पर भी चर्चा हुई मगर इस पर भी फैसला नहीं लिया जा सका। अब बाद में इस रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी।

लिंगायत और वोक्कालिगा ने किया खारिज

अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासभा ने जातीय जनगणना की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। वोक्कालिगा समुदाय के नेताओं ने भी इस रिपोर्ट का तीखा विरोध किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय की आबादी 61.6 लाख है, जो राज्य की कुल आबादी का 10.3 फीसदी है। रिपोर्ट में वोक्कालिगा को 7 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है।

दूसरी ओर रिपोर्ट में लिंगायत समुदाय की आबादी 66.3 लाख बताई गयी है, जो कर्नाटक की आबादी का 11 फीसदी है। लिंगायतों को 8 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव दिया गया है। इस आंकड़े को लेकर दोनों समुदायों में नाराजगी दिख रही है। दोनों समुदायों की ओर से मोर्चा खोले जाने के कारण सिद्धारमैया सरकार की मुसीबत बढ़ गई है।

शिवकुमार ने की विधायकों से चर्चा

वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मंगलवार को अपनी ही पार्टी के वोक्कालिगा विधायकों से मुलाकात की थी और जातिगत जनगणना के रिपोर्ट पर उनकी राय जानी थी। बाद में उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि एक समुदाय के प्रतिनिधि के तौर पर मैं चाहूंगा कि हम अपना पक्ष मजबूती से रखें। हालांकि इस मुद्दे पर उन्होंने अपना रुख सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया।

राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी

इस रिपोर्ट से नाराज लिंगायत समुदाय ने राज्यव्यापी आंदोलन छोड़ने की चेतावनी दी है। वोक्कालिगारा संघ ने चेतावनी दी है कि यदि जातिगत जनगणना की रिपोर्ट को लागू किया गया तो संघ कांग्रेस सरकार को गिराने तक का आंदोलन छेड़ सकता है।

सिद्धारमैया के लिए सबसे बड़ी दिक्कत है कि दोनों प्रभावशाली समुदायों से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस विधायकों की ओर से भी इस रिपोर्ट का तीखा विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस इन दोनों समुदायों को नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहती।

कर्नाटक में कैसे पूरा होगा राहुल का सपना

कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार से लेकर तेलंगाना तक अपनी हर सभा में जातीय जनगणना की बात करते हैं। वे हर राज्य में जातीय जनगणना कराने और आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ऊपर ले जाने का वादा करते हैं।

वैसे राहुल गांधी की ओर से किए जा रहे इस ऐलान को पूरा करना कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक में ही मुश्किल साबित हो रहा है। बीजेपी भी इस मुद्दे को गरमाने की कोशिश में जुटी हुई है और ऐसे में अब सबकी निगाहें सिद्धारमैया सरकार के अगले कदम पर लगी हुई हैं।

Ragini Sinha

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