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'राज्यपाल' खुद बना CBI का नंबर 1 आरोपी! PMO की नाक के नीचे' 2200 करोड़ का घोटाला? सत्यपा ल मालिक ने किए बड़े खुलासे

Satyapal Malik CBI chargesheet: साल 2021 की बात है, जब तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक जनसभा में यह सनसनीखेज दावा किया कि उन्हें गवर्नर रहते हुए दो टेंडरों के बदले में 150-150 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन्हें ये पेशकश एक बड़े उद्योगपति और एक पूर्व मंत्री से जुड़ी दो फाइलों पर मंजूरी के बदले की गई थी।

Harsh Srivastava
Published on: 7 Jun 2025 6:37 PM IST
Satyapal Malik CBI chargesheet
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Satyapal Malik CBI chargesheet

Satyapal Malik CBI chargesheet: कभी किसी ने सोचा था कि जिस शख्स ने सत्ता की सबसे ऊंची गद्दी पर बैठे प्रधानमंत्री को एक खुले भ्रष्टाचार की सूचना दी थी, कुछ साल बाद वही शख्स भ्रष्टाचार का आरोपी बन जाएगा? जिस व्यक्ति ने खुद टेंडर निरस्त किया, रिश्वत ठुकराई और सार्वजनिक मंच से इसका खुलासा किया वही अब सीबीआई के चार्जशीट में मुख्य आरोपी बन चुका है। यह कहानी है सत्यपाल मलिक की, जो कभी बीजेपी के भरोसेमंद राज्यपाल थे और अब एक ऐसे मामले में घिरे हैं जिसने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। देश में लोकतंत्र की आत्मा तभी तक सुरक्षित है, जब तक सवाल उठाने वालों को सुना जाता है और जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है। लेकिन अगर सवाल उठाने वाला ही आरोपी बना दिया जाए, तो यह संकेत है कि लोकतंत्र की आत्मा धीरे-धीरे दम तोड़ रही है। यही इस पूरे मामले की सबसे खतरनाक और राजनीतिक रूप से विस्फोटक सच्चाई है।

जब सत्यपाल मलिक ने पीएम को बताया था रिश्वत की बात

साल 2021 की बात है, जब तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक जनसभा में यह सनसनीखेज दावा किया कि उन्हें गवर्नर रहते हुए दो टेंडरों के बदले में 150-150 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन्हें ये पेशकश एक बड़े उद्योगपति और एक पूर्व मंत्री से जुड़ी दो फाइलों पर मंजूरी के बदले की गई थी। मलिक ने यह भी बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस करप्शन की सूचना दी थी और उसी के बाद खुद टेंडर को निरस्त कर दिया। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई थी। पहली बार कोई बैठा-बिठाया गवर्नर प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार की सूचना दे रहा था। यह सामान्य नहीं था, और इसलिए अपेक्षा की जा रही थी कि इस खुलासे के बाद PMO कोई जांच करवाएगा, कोई कार्रवाई होगी, ताकि यह संदेश जाए कि देश की सबसे ताकतवर कुर्सी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस रखती है लेकिन कुछ नहीं हुआ। न कोई जांच, न कोई पूछताछ, न कोई प्रेस ब्रीफिंग। यह चुप्पी ही इस कहानी की सबसे बड़ी और खतरनाक कड़ी बन गई।

अब वही शख्स बना आरोपी

22 मई 2025 को CBI ने सत्यपाल मलिक के खिलाफ एक चार्जशीट दाखिल की, जिसमें उन्हें 2,200 करोड़ रुपए के किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार का आरोपी बताया गया। यह वही प्रोजेक्ट था जिसकी टेंडर प्रक्रिया पर मलिक ने सवाल उठाए थे, उसे रोकने का दावा किया था और प्रधानमंत्री को जानकारी दी थी। चार्जशीट के मुताबिक, मलिक की भूमिका संदेह के घेरे में है क्योंकि उनके कार्यकाल में प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई। जबकि मलिक का दावा है कि उन्होंने खुद टेंडर को निरस्त किया था और उनके ट्रांसफर के बाद किसी और के दस्तखत से टेंडर दोबारा पास किया गया। अब सवाल यह उठता है कि अगर मलिक ने रिश्वत नहीं ली, टेंडर को निरस्त किया, तो उन्हें चार्जशीट में शामिल क्यों किया गया? क्या यह किसी राजनीतिक असहमति का बदला है? या फिर यह संदेश है कि सरकार के खिलाफ बोलने वालों का यही अंजाम होगा?

क्या PMO ने छुपाई जानकारी?

यह मामला सिर्फ मलिक के आरोपों तक सीमित नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर प्रधानमंत्री को इस भ्रष्टाचार की जानकारी दी गई थी, तो उन्होंने क्या किया? क्या उन्होंने संबंधित एजेंसियों को इसकी जांच करने को कहा? क्या PMO के रिकॉर्ड में मलिक की शिकायत का कोई दस्तावेज है? अगर है, तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा? यदि PMO को रिश्वत की जानकारी थी और इसके बावजूद कार्रवाई नहीं की गई, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि संस्थागत भ्रष्टाचार का संकेत है। इससे मोदी सरकार की वह छवि बिखरती है, जिसमें वे ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ की बात करते हैं। अब जनता पूछ रही है "अगर PMO को सब पता था, तो चुप क्यों रहा?"

सत्ता से टकराने की सज़ा?

सत्यपाल मलिक कोई आम नेता नहीं हैं। वे केंद्र सरकार के नामित राज्यपाल थे, कई राज्यों में संवैधानिक पदों पर रह चुके हैं। लेकिन जब उन्होंने किसानों के आंदोलन में किसानों का पक्ष लिया, जब उन्होंने महिला पहलवानों के समर्थन में खुलकर बयान दिए, जब उन्होंने पुलवामा हमले को लेकर सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए — तभी से वे सत्ता की आंख की किरकिरी बनते चले गए। अब जबकि वे बीमार हैं, अस्पताल में भर्ती हैं, और आर्थिक रूप से भी संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे समय में उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लाद देना यह संयोग नहीं, साजिश लगती है।

जब ईमानदारी ही सबसे बड़ा अपराध बन जाए

मलिक का यह भी दावा है कि उनके पास दौलत नहीं है, वे सरकारी अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं और एक कमरे के मकान में रहते हैं। अब सवाल यह उठता है कि अगर वह 2,200 करोड़ के घोटाले में शामिल होते, तो क्या आज भी ऐसी हालत में होते? या फिर यह साबित करता है कि आज का भारत उस मुकाम पर पहुंच गया है जहां ईमानदार व्यक्ति को ही सबसे पहले कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है। जो रिश्वत ठुकराए, वही आरोपी बन जाए — इससे बड़ा राजनीतिक व्यंग्य और क्या होगा?

सीबीआई की भूमिका पर भी सवाल

सत्यपाल मलिक का यह आरोप भी गौर करने लायक है कि जांच एजेंसी ने सिर्फ उन्हें निशाना बनाया, लेकिन उन कॉरपोरेट्स या नेताओं से कोई पूछताछ नहीं की जिनके नाम रिश्वत के आरोपों में आए थे। क्या यह एकपक्षीय जांच है? क्या सीबीआई अब सत्ता की राजनीतिक लड़ाई का उपकरण बन गई है? सुप्रीम कोर्ट पहले ही सीबीआई को ‘पिंजरे का तोता’ कह चुका है, और इस मामले में उसकी कार्यशैली यही सिद्ध करती नजर आ रही है।

चुप्पी सबसे बड़ा बयान बन गई

इस पूरे प्रकरण में प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी सबसे बड़ा ‘राजनीतिक स्टेटमेंट’ बन चुकी है। न 2021 में कोई बयान आया, न अब जब चार्जशीट दाखिल हुई है। कई बार मौन से बड़ा कोई संदेश नहीं होता। यह मौन बताता है कि या तो सरकार के पास कहने को कुछ नहीं है, या फिर वह सच बोलने वाले को ही सबक सिखाना चाहती है। भारत में लोकतंत्र की बुनियाद तभी मजबूत रह सकती है जब सत्ता को जवाबदेह ठहराया जाए। लेकिन अगर कोई व्यक्ति, जो सिस्टम की गंदगी उजागर करता है, उसे ही गंदगी में घसीटा जाए तो यह देश की लोकतांत्रिक आत्मा के लिए खतरे की घंटी है।

एक सिस्टम बनाम एक आदमी

सत्यपाल मलिक आज अकेले खड़े हैं एक ऐसे सिस्टम के सामने जिसने उन्हें कभी राज्यपाल बनाया, और अब वही सिस्टम उन्हें घोटालेबाज़ बता रहा है। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में देश के आम नागरिक के लिए एक बड़ा सबक है जो सच बोलेगा, वही फंसेगा। जो चुप रहेगा, वही बचेगा। भारत जैसे लोकतंत्र में अगर यह नीति बन जाए, तो फिर न पारदर्शिता बचेगी, न ईमानदारी, न उम्मीद।

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Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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