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NCRB की ये रिपोर्ट देख, आप रह जाएंगे दंग, क्राइम के मामले में भारत...
देश में बहुत से बड़े-बड़े मुद्दे हैं, जिनपर देश के युवाओं को आवाज उठानी चाहिए। सबसे ज़रूरी देश में बेरोजगारी का मसला है।
नई दिल्ली: देश में बहुत से बड़े-बड़े मुद्दे हैं, जिनपर देश के युवाओं को आवाज उठानी चाहिए। सबसे ज़रूरी देश में बेरोजगारी का मसला है। जिसे लेकर देश के सभी लोग परेशान है और बहुत से लोग इससे परेशान हो कर खुदखुशी भी कर लेते हैं। इसको देखते हुए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। NCRB डाटा के मुताबिक साल 2017-2018 में किसानों से ज्यादा बेरोजगारों ने खुदकुशी की है।
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बेरोजगारी ले रही लोगों की जान
NCRB के मुताबिक बेकारी और बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी करने वालों की संख्या किसानों की आत्महत्या की तादाद से ज्यादा है। साल 2018 में 12 हजार 936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी की थी। जबकि इसी अवधि में खेती-किसानी से जुड़े 10 हजार 349 लोगों ने आत्महत्या की थी।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) गृह मंत्रालय के अंदर आने वाली संस्था है और ये संस्था देश भर में अपराध से जुड़े आंकड़े और ट्रेंड जारी करती है। NCRB के नए आंकड़े बताते हैं कि 2018 में देश में खुदकुशी के मामलों में 3।6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2018 में आत्महत्या के 1 लाख 34 हजार 516 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में 1 लाख 29 हजार 887 लोगों ने खुदकुशी की थी।
2017 के आंकड़े
2017 में 12 हजार 241 लोगों ने बेरोजगारी से परेशान होकर खुदकुशी की थी, जबकि खेती-किसानी से जुड़े 10 हजार 655 लोगों ने आत्महत्या की। वैसे तो 2016 में बेरोजगारों के मुकाबले किसानों ने ज्यादा खुदकुशी की थी। NCRB आंकड़ों के अनुसार 2016 में 11 हजार 379 किसानों-खेतिहर मजदूरों ने खुदकुशी कर ली, जबकि इसी अवधि में 11,173 बेरोजगारों ने खुदकुशी की थी। लेकिन इनके बीच अंतर बहुत कम था।
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2015 में नौकरी और कमाई के साधनों से दूर 10912 लोगों ने खुदकुशी की, जबकि इसी अवधि में किसानों के आत्महत्या के 12602 मामले दर्ज किए गए थे।
बेरोजगारों द्वारा खुदकुशी के जारी किए गए सरकारी आंकड़ों से कई तथ्यों का पता चलता है। इस कैटेगरी में खुदकुशी करने वाले 82 फीसदी लोग पुरुष हैं। खुदकुशी के ज्यादा मामले केरल (1585) तमिलनाडु (1579), महाराष्ट्र (1260) कर्नाटक (1094) और उत्तर प्रदेश (902) में दर्ज किए गए हैं।
NCRB के मुताबिक साल 2018 में 5763 किसानों और 4586 खेतिहर मजदूरों ने खुदकुशी की है। अगर 2018 की बात करें तो किसानों की खुदकुशी में 5457 किसान पुरुष थे, जबकि 306 महिलाएं थी। खेतिहर मजदूरों की बात करें तो खुदकुशी करने वालों में 4071 पुरुष थे, जबकि महिलाओं की संख्या 515 थी।
महाराष्ट्र-कर्नाटक में सबसे ज्यादा खुदकुशी
सबसे ज्यादा मामले किसानों की खुदकुशी के महाराष्ट्र में दर्ज किए गए। कुल खुदकुशी के 34।7 फीसदी मामले महाराष्ट्र में, 23.2 फीसदी कर्नाटक में, 8.8 फीसदी तेलंगाना में, 6.4 फीसदी आंध्र प्रदेश में और 6.3 फीसदी मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए।
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पश्चिम बंगाल-बिहार में किसानों ने नहीं की आत्महत्या
NCRB के आंकड़े कहते हैं कि पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मेघालय, गोवा, चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में साल 2018 में किसी किसान, खेतिहर मजदूर ने खुदकुशी नहीं की है।
NCRB की रिपोर्ट
NCRB के मुताबिक, धारा 376 के मामले 2018 में 33,356 मामले दर्ज हुए। अदालत में 1,56,327 दुष्कर्म के मुकदमे चल रहे थे। इनमें से 17,313 मामलों में सुनवाई हुई। इसमें केवल 4,708 वादों में आरोपियों पर दोष साबित हुए। 11,133 मामलों में आरोपी कार्यवाही पूरी होने के बाद बरी हुए। वहीं जबकि 1,472 मामलों का निर्वाहन हुआ यानि दोषी शुरुआती दौर में ही आरोपमुक्त हो गए।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुष्कर्म के मामले में सजा की दर केवल 27.2 फीसदी है।