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Shrikant Tyagi Case: श्रीकांत त्यागी मामले से खुली हाउसिंग सोसायटी की पोल, दबंगों का कब्ज़ा, मारपीट आम बात

Shrikant Tyagi Case: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर गाजियाबाद, नोएडा तक अक्सर पॉश सोसाइटी में विवाद की खबरें आती हैं। इन बहुमंजिला इमारतों में तमाम गुंडे, माफिया भी अपना ठिकाना बनाए होते हैं

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 8 Aug 2022 11:40 AM GMT
Shrikant Tyagi Case
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Shrikant Tyagi Case। (Social Media)

Shrikant Tyagi Case: नोएडा के ग्रैंड ओमेक्स (Grand Omaxe of Noida) में बीजेपी नेता की दादागिरी का वीडियो वायरल होने के बाद अब सोसाइटी की सुरक्षा और इसमें पनाह लेने वाले दबंगों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर गाजियाबाद, नोएडा तक अक्सर पॉश सोसाइटी (Often Posh Society) में विवाद की खबरें आती हैं। खुद की जमीन पर घर बनाने की कूव्वत रखने वाले लोग भी सहूलियतों को देखते हुए हाउसिंग सोसाइटीज में रहने को तरजीह दे रहे हैं। लेकिन इन बहुमंजिला इमारतों में तमाम गुंडे, माफिया भी अपना ठिकाना बनाए होते हैं, जहां उन्हें किसी तरह का डर नहीं होता है। श्रीकांत त्यागी जैसे लोग दबंगई के दम पर सोसाइटी में अवैध कब्जे भी करते हैं और लोगों को डरा धमका के रखते हैं।

नोएडा में यह कोई पहला मामला नहीं

नोएडा में जो कुछ हुआ यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले राजधानी लखनऊ के भी कई वीआपी अपार्टमेंट भी इस तरह की दबंगई देखने को मिल चुकी है। गाजियाबाद हो या नोएडा ऐसे लोगों के खिलाफ पहले से कोई जानकारी नहीं जुटाई जाती है। जबकि इसकी जिम्मेदारी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसियेशन (आरडब्ल्यूए) की होती है कि उनकी सोसाइटी में रहने वाले सभी लोगों पर नजर रखे और वहां की व्यवस्था को चुनौती देने वालों के खिलाफ एक्शन लें या फिर कानूनी कार्रवाई करें। लेकिन आरडब्लूए भी आंख मूदे बैठा रहता है।

त्यागी को 2019 में मिला था नोटिस

श्रीकांत त्यागी (Shrikant Tyagi) का जो अवैध निर्माण सोमवार को ढहाया गया ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी नोएडा विकास प्राधिकरण (Noida Development Authority) या फिर ओमेक्स के मालिकान को नहीं थी। उसके अवैध निर्माण के खिलाफ कई बार नोटिस भी दी गई लेकिन किसी की हिम्मत एक्शन लेने की नहीं हुई। अब महिला से अभ्रदता करने के बाद जब मामला हाईलाइट हुआ तो उस पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है।

अगस्त 2019 में हुआ विवाद

इससे पहले यूपी की राजधानी लखनऊ के अलकनंदा अपार्टमेंट में दबंगो की दबंगई सामने आई थी। दबंग युवकों ने कोषाध्यक्ष बुजुर्ग पर अपना कहर बरपाया था। उनकी खता ये थी कि वह मेंटेनेंस का पैसा उनसे मांग लिए थे। ऐसे कई मामले राजधानी में समय-समय पर आते रहे हैं।

मार्च 2021 में नोएडा फ्रेंच अपार्टमेंट में विवाद

गौतमबुद्धनगर जिले के ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थित फ्रेंच अपार्टमेंट हाउसिंग सोसायटी में बिल्डर के गुर्गों ने मेंटनेंस और पार्किंग का मसला उठाने पर वहां रहने वाले लोगों के साथ अभद्रता की थी। जिसके बाद जमकर विवाद हुआ था। ये चंद उदाहरण हैं, लेकिन ऐसे तमाम सोसाइटी हैं जहां दबंगई के बल ऐसे लोगों छत्रप होता है जो नियम कायदे कानून को ताक पर रखकर कार्य करते हैं।

आरडब्लूए क्या है?

रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (Resident Welfare Association) किसी सोसाइटी में रहने वाले लोगों का एक समूह है। यह उस सोसाइटी के रोजाना के कामकाज पर नजर रखता है। नया रियल एस्टेट कानून कहता है कि डेवलपर प्रोजेक्ट बनाने के बाद ओक्युपेंसी सर्टिफिकेट मिलने के कुछ महीने के अंदर ही आरडब्ल्यूए वहां रहने वाले लोगों को सौंप देगा। हाउसिंग सोसाइटी में मेंटेनेंस का काम बिल्डर अपने हाथ में ही रखने की कोशिश करते थे। प्रोजेक्ट बनाकर बेच देने के बाद भी उसका कंट्रोल वे अपने पास इसलिए रखना चाहते थे ताकि उन्हें एक निश्चित कमाई होती रहे। लेकिन, अब हालात बदल गए हैं, नए रियल एस्टेट कानून में RWA से लेकर स्पष्ट प्रावधान हैं। दिल्ली-एनसीआर रीजन में नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम जैसे इलाकों में हाउसिंग सोसाइटी की रेजिडेंशियल कॉलोनी में हर ब्लॉक या पॉकेट में एक RWA जरूर होता है।

Deepak Kumar

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