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UP Primary School Merger: गांव के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की हो रही साजिश?बंद किये जायेंगे से सरकारी स्कूल, टीचर भर्ती पर भी पड़ सकता है असर
UP Primary School Merger: यूपी में उन स्कूलों को बंद करने की बात चल रही जिसमें छात्र नामंकन संख्या 20 या 20 से कम है। ऐसे विद्यालयों के बच्चों को पास के विद्यालयों में शिफ्ट किया जायेगा। आईये जाने क्या है पूरा मामला
UP Primary School Merger: यूपी में कम संख्या वाले बच्चों के स्कूलों के 'मर्जर' को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। सरकार ऐसे स्कूलों को बंद कर रही है जिसमें छात्र नामंकन संख्या 20 या 20 से कम है। आदेश के मुताबिक, ऐसे स्कूलों को बंद करके उसमें पढ़ रहे छात्रों को पास के विद्यालयों में मर्जर किया जायेगा। सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए शिक्षक संगठन मैदान में उतर गया है। शिक्षक संगठन कहना है कि जब सरकार विधान सभा में छात्रों और शिक्षकों का अनुपात मानक के अनुसार बताती है तो प्राइमरी स्कूलों को बंद करने की जरुरत क्यों पड़ रही है?
मथुरा के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जारी किया ये फरमान
सोशल मीडिय पर कुछ जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों के लेटर वायरल हो करें । इनमें प्राइमरी स्कूलों के मर्जर को लेकर आदेश जारी किये जा रहे हैं। इन्हीं में से मथुरा के बेसिक शिक्षा अधिकारी का एक लेटर काफी चर्चा में है जिसमें अपने-अपने जिलों के ऐसे विद्यालयों को चिंहित करने का आदेश दिया गया है जिसमें छात्रों की संख्या 20 या 20 से कम हो। चिंहित किये गये विद्यालयों को 16 जून 2025 तक हर हाल में पास के स्कूलों से मर्ज करने को कहा गया। इस आदेश को लेकर शिक्षकों ने विरोध व्यक्त किया है। यह आदेश सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
छात्रों पर क्या होगा असर?
छात्रों की कम संख्या वाले स्कूलों के बंद हो जाने से उन्हें पढ़ने के लिए अन्य स्कूलों में जाना पड़ेगा। सरकार ने आदेश तो जारी कर दिया पर ये नहीं सोचा कि उनेक इस फैसले से देश का भविष्य कहे जाने वाले उन मासूम बच्चों पर क्या असर पड़ेगा जिन्हें शिक्षा का अधिकार तो है पर सरकार शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें ढंग के स्कूल उपलब्ध नहीं करा पा रही है।
स्कूल कम तो शिक्षकों की भर्ती भी कम
विद्यालयों की संख्या कम होने से शिक्षकों की भर्ती पर भी असर पड़ सकता है। अगर स्कूलों की संख्या काम होगी तो उसी के आधार पर शिक्षकों की भर्ती में भी कमी आयेगी।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशाील कुमार पांडेय ने किया विरोध
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशाील कुमार पांडेय ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि "आरटीई के तहत गांव,मजरे में विद्यालयों को मर्ज करना न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के अधिकारों का हनन हैं। शासन इस आदेश को तत्काल वापस ले।
अधिकारी नहीं दे रहे कोई जावाब
मथुरा के बेसिक शिक्षा अधिकारी जिन्हों ने ये आदेश दिया था उनका ट्रांसफर हो गया है। शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी भी इस मामले पर कोई जवाब नहीं दे रहे हैं।
खस्ताहाल स्थिती में हैं कई बेसिक स्कूल
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार शिक्षा बजट के लिये 70,000 करोड़ से अधिक की धनराशि आवंटित की है साथ ही समय -समय पर सरकार की तरफ से विद्यालयों की मरम्मत और अन्य कार्यों के लिए भी खर्च किया जाता है। इन सब के बावजूद आज भी कई ऐसे विद्यालय हैं जहां बिजली,पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं। इतना ही नहीं, कई स्कूलों में शौचालय तक की सुविधा नहीं है और जो शौचालय हैं भी वो काफी जरजर हालत में हैं कि उनका उपयोग भी नहीं किया जा सकता है। ऐसे स्कूल की छात्रों और महिला स्टाफ को काफी परेशानी होती है। सरकार को सभी स्कूलों में इन मूलभूत सुविधाओं की जांच करानी चाहिए और जहां जो कमी हो उसे पूरा करना चाहिए।
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