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जिनकी कोई आवाज नहीं उनकी आवाज बने मीडिया : नायडू
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में प्रेस के प्रभाव, स्वायत्तता और निर्भीक कार्यपद्धति को बरकरार रखने की जरूरत पर बल देते हुये कहा है कि मीडिया को भी उन लोगों की आवाज बनना चाहिये जिनकी कोई आवाज नहीं है।
नायडू ने बुधवार को देश के पहले मलयालम अखबार ‘दीपिका’ के 132वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘भारत जैसे लोकतांत्रित देश में प्रजातंत्र की जड़ों को मजबूत बनाने के लिये प्रेस का प्रभावी और निर्भीक होना जरूरी है।’’
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उन्होंने पत्रकारों से समाज का आइना बनकर काम करने की अपील करते हुये कहा कि मीडिया को उन कमजोर वर्गों की आवाज बनना चाहिये जिनकी अपनी कोई आवाज नहीं है।
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नायडू ने पत्रकारों से लोगों को वस्तुस्थिति से अवगत कराने की अपील करते हुये कहा कि मीडिया को किसी भी घटना या मुद्दे की तथ्यपरक जानकारी देना चाहिये। तथ्यों के साथ छेड़छाड़ किये बिना किसी भी विषय या मुद्दे को न तो कम करके आंका जाना चाहिये, ना ही जरूरत से ज्यादा अहमियत देना चाहिये।
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उन्होंने कहा कि किसी भी समाचारपत्र की प्रतिष्ठा सच के प्रति उसकी निष्ठा और निर्भीक रिपोर्टिग पर निर्भर करती है। लोगों की मीडिया से न सिर्फ तथ्यपरक रिपोर्टिंग की अपेक्षा होती है बल्कि सामाजिक और आर्थिक अन्याय को भी उजागर करने की भी अपेक्षा की जाती है।
(भाषा)
नयी दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में प्रेस के प्रभाव, स्वायत्तता और निर्भीक कार्यपद्धति को बरकरार रखने की जरूरत पर बल देते हुये कहा है कि मीडिया को भी उन लोगों की आवाज बनना चाहिये जिनकी कोई आवाज नहीं है।