×

Y-FACTOR शिव लौटे ज्ञानवापी, राम के बाद शिव की बारी

Y-FACTOR हाईकोर्ट पहले ही ज़मीन को व्यास परिवार व विश्वनाथ मंदिर का बता चुकी है। ब्रिटिश सरकार कोर्ट में हलफनामा दायर कर कह चुकी है कि यह परिसर वक्फ प्रॉपर्टी नहीं है।

Yogesh Mishra
Published on: 23 May 2022 8:46 AM GMT
X

रामजन्मभूमि विवाद पांच सदियों बाद हल हो पाया। पर इसकी तुलना में काशी ज्ञानवापी मस्जिद का समाधान कम समय में होता हुआ दिखता है। पता चलता है कि संघ व भाजपा का अयोध्या, मथुरा, काशी का अभियान रुका नहीं है। चल रहा है। इसका भान हो रहा है। मर्यादा पुरुषोत्तम रामचन्द्र सौहार्द्रता, सहनशीलता तथा सौम्यता के प्रतिमान हैं। भोले शंकर तो औघड़ हैं, प्रगल्भ हैं, प्रचण्ड हैं। त्रिनेत्रधारी, त्रिशुल लहराते। आदि हैं, अनंत हैं।

इसलिए शायद रामजन्म भूमि विवाद में अदालत दर अदालत , घटना दर घटना कुछ इस तरीक़े से घटी कि न्यायपालिका, विधायिका व कार्यपालिका की मर्यादा नहीं टूटीं। विवाद रामजन्म भूमि पर मालिकाने हक़ का था। फ़ैसला पंचायत सरीखा हुआ फिर भी जन मर्यादा बनी रही।

ज्ञानवापी परिसर को लेकर भी हिंदू मुसलमान आज आपने सामने हैं। लेकिन आज के साक्ष्यों से लेकर ढेरों इतिहासकारों के वर्णन और प्राचीन मुकदमों के फैसले, सभी कुछ एक ही बात कहते हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर के ऊपर बनाई गई है। ये तथ्य किसी भी आम आदमी को अपनी आंखों से देखने पर भी साफ पता चलता है, इसमें कोई पेचीदगी या बारीकी नहीं है। यहां सब कुछ सामने है, रिकॉर्डेड है, डॉक्यूमेंटेड है।

राखी सिंह,लक्ष्मी देवी, सीता साहू और अन्य ने इस बार अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है।याचिकाकर्ताओं के वकील मदन मोहन यादव हैं। विश्वेश्वर नाथ मंदिर के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी हैं। मुस्लिम समाज इसे 1991 के पूजा अधिनियम का खुला उल्लंघन बता रहा है।

मुस्लिम पक्ष के वकील हुजेफा अहमदी ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा की अगुवाईवाली पीठ को तत्काल सुनवाई करने की जरुरत बताई। वकील अहमद ने कहा, "यह (ज्ञानवापी) पुरातन काल से मस्जिद है। यह (सर्वेक्षण) उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत स्पष्ट रुप से प्रतिबंधित है। सर्वे करने का निर्देश पारित किया गया है, अत: यथास्थिति बनाये रखने का आदेश चाहिये।" मुख्य न्यायाधीश रमणा ने कहा कि ''मुझे कोई जानकारी नहीं है। मैं ऐसा आदेश कैसे पारित कर सकता हूं ? मैं पढूंगा। मुझे विचार करने दीजिए।''

अब अगर यहां18 सितम्बर, 1991 का पूजास्थल (विशेष प्रावधान) नियम की बात की जाये तो इस एक्ट का नम्बर 42 है। इसे कांग्रेसी पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने बहुमत से पारित कराया था। त​​ब लोकसभा में 120 भाजपायी सदस्यों ने विरोध किया था। अब तो वे संख्या में 303 हैं। राज्यसभा में भी भाजपा का बहुमत है। नरेन्द्र मोदी को जनादेश मिला है कि वह विदेशी आक्रांताओं द्वारा गोरी—गजनवी, मुग़ल , तुर्क , मंगोल, बाबर—औरंगजेब तथा उनके वंशजों द्वारा ढाये जुल्मों का प्रतिकार करें। नरेन्द्र मोदी अब अटल बिहारी वाजपेयी की उदारवादी नीति की फोटोकॉपी नहीं बनेंगे। वह भग्न व कूटरचित इतिहास की मरम्मत करेंगे।

17 मई 2021 को फाजिले बरेल्वी (1892) आला हजरत अहमद रजा खां रहमुतल्लाह अलय के वंशज इत्तिहादे मिल्लत कांउसिल के मुखिया जनाब तौकी रजा साहब ने ज्ञानवापी पर फरमा दिया - " जहां—जहां हिन्दुओं ने इस्लाम स्वीकारा वहां—वहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनायी गयी।'' इसीलिये वे नहीं चाहते कि मुसलमान किसी मुकदमें में पड़े। मुसलमानों को चाहिए कि वे इसी पर अमल करें। क्योंकि हाईकोर्ट उन्हें पहले पराजित पक्ष में डाल चुकी है। ज़मीन को व्यास परिवार व विश्वनाथ मंदिर का बता चुकी है। ब्रिटिश सरकार कोर्ट में हलफनामा दायर कर कह चुकी है कि यह परिसर वक्फ प्रॉपर्टी नहीं है। यहाँ की मूर्तियां मुगलकाल के पहले से यहाँ हैं। इस सम्पत्ति का मालिक औरंगजेब नहीं था।

वैसे भी लड़ाई हिंदुओं के भगवान व मुसलमानों के भगवान के बीच नहीं है। लड़ाई औरंगजेब, बाबर आदि आक्रांताओं व हिंदुओं की आस्था के बीच है। आक्रांताओं व आस्था में कौन नहीं कहेगा कि आस्था जीते। आस्था के सभी सवाल आज मिल बैठ कर हल कर लिये जाने चाहिये । नहीं तो तब उनका राज था। आज और अब इनका राज है।

Ramkrishna Vajpei

Ramkrishna Vajpei

Next Story