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Adani Foundation: गोड्डा के 10 गांव में 150 से अधिक बने सार्वजनिक स्नानघर, 40 हजार लोगों की पानी की समस्या हल

Adani Foundation: गोड्डा जिले में आशा की एक किरण दिखाई दी है जहां महिलाओं के हक और मूल अधिकारों के सशक्तीकरण पर जोर दिया जा रहा है।

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Published on: 6 April 2023 4:34 PM IST
Adani Foundation: गोड्डा के 10 गांव में 150 से अधिक बने सार्वजनिक स्नानघर, 40 हजार लोगों की पानी की समस्या हल
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Adani Foundation (photo: social media )

Adani Foundation: झारखंड में 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों ने वहां के ग्रामीण क्षेत्रों की बदहाली की तस्वीर साफ कर दी। करीब 55% ग्रामीण घरों में स्नानघर नहीं है। लोग खुले में नहाने को मजबूर है। बिना चार दीवारी के स्नान करना जैसे वहां नियती बन गया हो, सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है। लेकिन इन सभी दुश्वारियों के बावजूद गोड्डा जिले में आशा की एक किरण दिखाई दी है जहां महिलाओं के हक और मूल अधिकारों के सशक्तीकरण पर जोर दिया जा रहा है। गोड्डा के कुछ गांवों में बने स्नानघर, कुंओं और आधुनिक चापाकल को देखकर विकसित गांव का सपना पूरा होता नजर आ रहा है। पूछने पर पता चलता है कि ये सब बदलाव अदाणी फाउंडेशन की मदद से संभव हुआ है।

आज डुमरिया, मोतिया, पटवा, बक्सरा, पेटवी, रंगनियां, बलियाकित्ता, बिरनियां आदि गांवों के अलावा महगामा प्रखंड के दो दर्जन गांवों में सड़क किनारे बने कुएं और नलकूपों के साथ चाहर दिवारी से घिरे स्नानघर बदलते गांवों की एक अलग तस्वीर पेश करते है। दरअसल, इन गांवों से सटा है अदाणी का गोड्डा पावर प्लांट, जिसके जरिए क्षेत्र में रोशनी के सपने को साकार करने के साथ यहां गांवों के विकास के लिए सभी जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं। अदाणी फाउंडेशन ने गांव के हालात और महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए साल 2016 से कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत क्षेत्र में 150 से ज्यादा सार्वजनिक स्नानघर का निर्माण कराया है जिससे लगभग पच्चीस हजार की आबादी को लाभ मिल रहा है। साथ ही दो हजार से ज्यादा खराब पड़े नलकूपों की मरम्मती का काम भी हुआ है जिसके जरिए 40 हजार से ज्यादा की आबादी को साफ पीने का पानी उपलब्ध हुआ। अदाणी फाउंडेशन ने स्वच्छता के संकल्प को पूरा करने के लिए नलकूपों के पास से गंदगी के निपटारे के लिए नालियों का निर्माण भी किया है। साथ ही फाउंडेशन ने एक हजार से ज्यादा नलकूपों के पास सोख्ता गड्डे बनवाए हैं जिससे जलस्तर भी संतुलित रहेगा।

हेल्थ पर ऑल थीम पर काम

अदाणी फाउंडेशन का लक्ष्य क्षमता निर्माण, समुदायों के सशक्तीकरण, समेकित सामाजिक-आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण, हरित और ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के साथ पिछड़े क्षेत्रों के विकास और समाज में हाशिए पर रहने वाले वर्गों के उत्थान पर है। 38% अनुसूचित जाति और जनजाति की आबादी वाले इस राज्य के ग्रामीण इलाकों के हालात काफी खराब है क्योंकि 95% ग्रामीण इलाकों में स्नानघर के नाम पर कुछ भी नहीं है। ग्रामीण इलाकों की महिलाएं खुले में स्नान करने को मजबूर हैं। लेकिन अब हालात बदल गए है, लोगों की जिन्दगी पर बड़ा असर डालने वाले अदाणी फाउंडेशन की इस महत्वपूर्ण कोशिश के बाद गांवों की स्थिति सुधरी हैं। साल 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन अपना 75वां स्थापना दिवस बना रहा है औऱ इस साल विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है "हेल्थ फॉर ऑल"।

खुले में करना पडता था स्नान

अदाणी फाउंडेशन भी इसी संकल्प के साथ समाज के पिछड़े गांव और समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ने में जुटा हुआ है। फाउंडेशन की मुहिम रंग ला रही है औऱ लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरुक हो रहे हैं। खास तौर पर महिलाओं की जिन्दगी में क्रांतिकारी बदलाव आया है। गोड्डा के महागामा प्रखंड के करनू गांव की भोली कुमारी ने बताया कि अदाणी फाउंडेशन के जरिए इनके जीवन में बड़ा बदलाव आया है इन्हें अब लोगों के सामने खुले में स्नान नहीं करना पड़ता है। इसी गांव की आशा कुमारी और रितू कुमारी भी अदाणी फाउंडेशन की इस जरुरी पहल से काफी उत्साहित है और उनका मानना है कि पीने का स्वच्छ पानी मिलने से उनके परिवार के लोगों का संक्रमित बीमारियों से बचाव हो रहा है।

लगातार अदाणी फाउंडेशन का काम जारी

अदाणी फाउंडेशन, अदाणी समूह की सामुदायिक सहायता और जुड़ाव शाखा, पूरे भारत में स्थायी परिणाम प्राप्त करने के लिए रणनीतिक सामाजिक निवेश करने के लिए समर्पित है। 1996 से, फाउंडेशन ने शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थायी आजीविका, कौशल विकास और सामुदायिक बुनियादी ढांचे सहित मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है। राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक विकास लक्ष्यों पर आधारित अपनी रणनीतियों के साथ, फाउंडेशन अपने अभिनव दृष्टिकोण और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जाना जाता है, जो अदाणी समूह के व्यवसाय और उससे आगे समाज के सामूहिक विकास में योगदान देता है। वर्तमान में, यह 19 राज्यों के 5,675 गांवों में संचालित है, जिससे 7.6 मिलियन लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है।



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