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झारखंड का ये स्कूल कोरोना में भी नहीं हुआ बंद, बच्चे ऐसे ले रहे शिक्षा

रांची के आदर्श गांव के सरकारी स्कूल में बच्चे रोजाना शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं...

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Newstrack NetworkPublished By Ragini Sinha
Published on: 23 July 2021 1:57 PM GMT (Updated on: 23 July 2021 2:15 PM GMT)
children of jharkhand are taking education even in corona period
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झारखंड के बच्चे कोरोना काल में भी ले रहे शिक्षा (social media)


रांची के आदर्श गांव में ग्राम सभा के आदेश पर पठन-पाठन का काम चल रहा है। गांव के सरकारी स्कूल में बच्चे रोजाना शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

200 बच्चे रोजाना ले रहें शिक्षा

रांची जिले का आदर्श ग्राम आरा केरम ने फिर एक बार कुछ अलग करते हुए सबको चौंका दिया है। इस बार आरा केरम की चर्चा बच्चों के ट्यूशन क्लास को लेकर हो रही है। केरम गांव की ग्राम सभा और महिला समिति ने अनूठी पहल की है। आज इस गांव में करीब 200 बच्चे रोजाना दो पालियों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

ग्राम सभा दे रही शिक्षकों को सैलरी

इतना ही नहीं, ग्राम सभा के द्वारा ही शिक्षकों को अभी वेतन दिया जा रहा है। शिक्षकों को 2 हजार और दूसरे गांव से स्मार्ट क्लास के लिए बुलाए जाने वाले दो शिक्षकों को 16,500 रुपये सैलरी दी जा रही है। बच्चों को पढ़ाने के लिए विषयवार शिक्षक नियुक्त किए गए हैं, ताकि विद्यार्थियों को कोई परेशानी न हो। रूबी कुमारी रोजाना अपनी छोटी बच्ची को गोद में लिए स्कूल पहुंचती हैं। उन्हें बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है, खास इस कोरोना संक्रमण काल में जब सरकार ने स्कूल बंद रखने का आदेश दे रखा है।

बच्चों को पढ़ाने के लिया निकाला गया ये उपाय

बता दें कि, कोरोना में जब गांव के बच्चों का अधिक समय खेलने-कूदने में बीतने लगा, जब गांव-घर के बच्चे अपना सबक भूलने लगे। तब गांव के लोगों की चिंता बढ़ गई। गांव के बच्चे फिर से कैसे शिक्षा से जुड़ सकें इसको लेकर ग्राम सभा बुलाई गई। गांव की महिला समिति ने भी अपना सुझाव दिया और फिर यह तय हुआ की गांव के बच्चे रोजाना 6 घंटे के बजाय 2 घंटे ही सही, पर शिक्षा ग्रहण करेंगे। इसके लिए गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय का सहारा लिया गया। आज यहां 11 शिक्षक दो पालियों में बच्चों को रोजाना पढ़ा रहे हैं। ग्राम सभा के रमेश बेदिया और महिला समिति की रीना देवी का कहना है कि उन्होंने बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होने दी क्योंकि ये उनके और उनके गांव के बच्चों के भविष्य का सवाल था।

Ragini Sinha

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