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Jharkhand Politics: विश्वासमत का दांव खेल सकते हैं सोरेन, सियासी घमासान के बीच यूपीए की नई रणनीति
Jharkhand Politics: महागठबंधन के नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात करके मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संबंध में चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर राजभवन से जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया।
Jharkhand Politics: झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को लेकर राजनीतिक ऊहापोह के कारण सियासी घमासान मचा हुआ है। पिछले एक हफ्ते से चल रहे सियासी घमासान के बीच यूपीए ने नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। 5 सितंबर को झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के कदम को यूपीए की नई सियासी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। जानकारों का कहना है कि 5 सितंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से विधानसभा में विश्वासमत प्रस्ताव लाया जा सकता है। हाल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इसी तरह का सियासी दांव चला था।
इस बीच महागठबंधन के नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात करके मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संबंध में चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर राजभवन से जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया। राज्यपाल रमेश बैस ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना फैसला नहीं सुनाया है। हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर राज्य में भारी सियासी उठापटक मची हुई है। दूसरी ओर भाजपा भी अपनी जवाबी रणनीति बनाने में जुटी हुई है।
सियासी ऊहापोह पर सदन में होगी चर्चा
सोरेन कैबिनेट की बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान राज्य में व्याप्त सियासी ऊहापोह पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही सदन और राज्य के लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की जाएगी कि महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है। उन्होंने कहा कि सियासी ऊहापोह के बावजूद राज्य सरकार राज्य के लोगों के कल्याण और विकास कार्यों के लिए पूरी तरह जुटी हुई है। इस विशेष सत्र के दौरान एससी-एसटी और ओबीसी के आरक्षण का दायरा बढ़ाने और संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका पर भी चर्चा की जा सकती है।
कैबिनेट बैठक के दौरान मानसून सत्र को एक दिन पहले खत्म करने के निर्णय को स्थगित करने का फैसला किया गया। सरकार की ओर से अभी तक 5 सितंबर को बुलाए गए एक दिवसीय विशेष सत्र के एजेंडे की जानकारी नहीं दी गई है। वैसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से विश्वासमत का दांव खेलने की बात तय मानी जा रही है।
राज्यपाल से जल्द फैसला लेने की मांग
जानकारों के मुताबिक इस विशेष सत्र के लिए राजभवन से अनुमति नहीं ली गई है। विशेष नियम का सहारा लेकर स्पीकर से आग्रह करके इस विशेष सत्र को बुलाया गया है। इस बीच महागठबंधन के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राज्यपाल से मुलाकात करके चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर जल्द फैसला लेने का आग्रह किया। प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि राजभवन के फैसला न लेने के कारण हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका पैदा हो गई है और जोड़-तोड़ की राजनीति की जा रही है। जानकारों का कहना है कि राज्यपाल ने चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर जल्द फैसला लेने का आश्वासन दिया है।
राजभवन के आश्वासन के बावजूद सरकार वैकल्पिक तैयारियों में भी जुटी हुई है और विशेष सत्र बुलाने के पीछे यही रणनीति मानी जा रही है। सोरेन सरकार विशेष सत्र में विश्वास प्रस्ताव के जरिए अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करेगी। महागठबंधन के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री को अयोग्य ठहराने के बावजूद यूपीए सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि महागठबंधन को विधानसभा में प्रचंड बहुमत हासिल है और यूपीए सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
रणनीति बनाने में जुटी है भाजपा
दूसरी ओर राज्य में सियासी उठापटक के बीच भाजपा भी अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई है। विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंगी नारायण का कहना है कि 5 सितंबर के विशेष सत्र में भाग लेने पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी से चर्चा के बाद इस बाबत आखिरी फैसला लिया जाएगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने सोरेन सरकार पर राज्य सरकार के खजाने के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई को सोरेन सरकार को बचाने में खर्च किया जा रहा है। उन्होंने जेट विमान की सेवा पर दो करोड़ से अधिक खर्च किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग करके सोरेन सरकार को बचाने की कोशिश की जा रही है।
बघेल ने बोला भाजपा पर हमला
इस बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा थैला लेकर विधायकों की खरीद-फरोख्त करने की साजिश में जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि ईडी और आयकर विभाग का इस्तेमाल विधायकों को डराने और धमकाने में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा को विपक्ष की सरकार और बर्दाश्त नहीं है और एक निर्वाचित सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है।
भाजपा नेता रमन सिंह को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यहां रायपुर में तो महागठबंधन के विधायक झारखंड से आए हैं मगर भाजपा तो दूसरी पार्टियों के विधायकों का अपहरण करके दूसरे राज्यों में ले जाती है। उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए भाजपा पर दूसरे दलों के विधायकों को तोड़ने की कोशिश का बड़ा आरोप लगाया।