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Jharkhand Political Crisis: सबकी निगाहें दिल्ली से लौटे गवर्नर के फैसले पर
Jharkhand Political Crisis सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को ही अपना मंतव्य राजभवन को भेज दिया था मगर राज्यपाल ने अभी तक इस बाबत कोई फैसला नहीं किया है।
Jharkhand Political Crisis: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को लेकर पैदा हुआ सियासी सस्पेंस अभी तक खत्म नहीं हो सका है। राज्यपाल रमेश बैस के एक सप्ताह के दिल्ली दौरे से रांची लौटने के बाद अब सबकी निगाहें उनके फैसले पर टिकी हुई हैं। सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को ही अपना मंतव्य राजभवन को भेज दिया था मगर राज्यपाल ने अभी तक इस बाबत कोई फैसला नहीं किया है।
दिल्ली दौरे पर रवाना होने से पूर्व राज्यपाल ने जल्द ही इस संबंध में फैसला लेने का आश्वासन दिया था। ऐसे में माना जा रहा है कि वे जल्द ही अपना फैसला सार्वजनिक कर सकते हैं। राज्यपाल के दिल्ली से लौटने के बाद एक बार फिर राज्य में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं।
बिना फैसला लिए दिल्ली चले गए थे गर्वनर
राज्यपाल के दिल्ली रवाना होने से पूर्व यूपी के प्रतिनिधिमंडल ने गत एक सितंबर को उनसे मुलाकात की थी। यूपीए नेताओं का कहना था कि राजभवन को मुख्यमंत्री की विधानसभा सदस्यता के संबंध में जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए ताकि राज्य में सियासी अनिश्चितता का माहौल खत्म हो सके। राज्यपाल ने इस संबंध में जल्द फैसला लेने का वादा तो जरूर किया था मगर उसके बाद वे बिना फैसला किए दिल्ली दौरे पर रवाना हो गए थे। अब राज्यपाल के दिल्ली दौरे से लौटने के बाद माना जा रहा है कि वे जल्द ही इस बाबत अपना फैसला सुना सकते हैं।
खनन लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नाम आने के बाद चुनाव आयोग ने इस पूरे मामले की सुनवाई की थी और गत 25 अगस्त को ही अपनी सिफारिश राज्यपाल के पास भेज दी थी। चुनाव आयोग के मंतव्य का अभी तक खुलासा नहीं हो सका है मगर अटकलें लगाई जा रही हैं कि आयोग ने सोरेन की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की है।
राजभवन पर भाजपा की मदद का आरोप
आयोग की सिफारिश मिलने के बावजूद इतने लंबे समय तक राजभवन के कोई फैसला न लेने पर हैरानी भी जताई जा रही है। यूपीए नेताओं का आरोप है कि राजभवन ने इस मामले को इसलिए लटका रखा है ताकि भाजपा को विधायकों की खरीद-फरोख्त का मौका मिल सके। यूपीए नेताओं ने राजभवन पर भाजपा के मददगार की भूमिका निभाने का बड़ा आरोप भी लगाया है।
इस बीच झारखंड की गठबंधन सरकार ने विधानसभा में अपनी ताकत दिखा दी है। इसे गठबंधन सरकार की ओर से दबाव की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में सोरेन सरकार के पक्ष में 49 विधायकों ने वोट डाला। विश्वास प्रस्ताव के बाद अब यह साफ हो गया है कि सोरेन सरकार को अभी भी विधानसभा में पूरी तरह बहुमत हासिल है। हालांकि मतदान के दौरान भाजपा विधायकों ने सदन का बायकाट किया था।
सोरेन ने खोला भाजपा के खिलाफ मोर्चा
इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा के खिलाफ हमलावर रुख अपना रखा है। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार ने विधानसभा में अपनी ताकत दिखा दी है। हमने विश्वासमत प्रस्ताव पर मतदान इसलिए कराया है ताकि सबको पता चल सके कि मेरी सरकार को अभी भी पूरी तरह बहुमत हासिल है उन्होंने कहा कि भाजपा की ओर से गैर बीजेपी शासित राज्यों की सरकारों को गिराने की साजिश रची जा रही है। झारखंड में यह खेल खुलकर खेला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जब चुनाव आयोग की ओर से 25 अगस्त को ही सिफारिश राजभवन के पास भेज दी गई है तो राजभवन ने अभी तक इस मामले को क्यों लटका रखा है। राजभवन के फैसला लटकाए रखने से राज्य में सियासी अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। राज्यपाल ने यूपीए नेताओं से जल्द ही इस बाबत फैसला लेने का वादा किया था मगर मामले को लटका कर वे दिल्ली चले गए। उन्होंने आरोप लगाया कि राजभवन इस मामले को लटकाकर भाजपा की मदद करने की कोशिश कर रहा है।