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झारखंड के खनन विवाद में फंसे सीएम हेमंत सोरेन, विधायक भाई की भी बढ़ीं मुश्किलें, चुनाव आयोग पहुंचा मामला

Jharkhand News: भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री सोरेन पर पद पर रहते हुए पत्थर खदान की लीज लेने का गंभीर आरोप लगाया गया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Monika
Published on: 17 April 2022 1:29 PM IST
Hemant Soren
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (photo: social media ) 

Jharkhand News: झारखंड के खनन विवाद में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) और उनके विधायक भाई बसंत सोरेन (Basant Soren) को लेकर राज्य की सियासत लगातार गरमाती जा रही है। खनन विवाद में इन दोनों नेताओं की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं क्योंकि अब मामला चुनाव आयोग के पास पहुंच गया है।

भाजपा (BJP) की ओर से मुख्यमंत्री सोरेन पर पद पर रहते हुए पत्थर खदान की लीज (mining lease issue) लेने का गंभीर आरोप लगाया गया है। आयोग की ओर से इस बाबत राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर जानकारी मांगी गई है। आयोग की ओर से यह कदम उठाए जाने के बाद राज्यपाल ने भी इस बाबत मुख्य सचिव से चर्चा की है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर से की गई इस घेरेबंदी से झारखंड मुक्ति मोर्चा के दोनों नेताओं की मुसीबत आने वाले दिनों में बढ़ सकती है।

भाजपा ने राज्यपाल को सौंपा था ज्ञापन

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पिछले दिनों अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गंभीर आरोप लगाए थे। पूर्व मुख्यमंत्री का आरोप है कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए अपने नाम से पत्थर खदान की लीज हासिल की। दास ने हेमंत सोरेन के भाई और दुमका के विधायक बसंत सोरेन पर भी खनन कंपनी ग्रैंड माइनिंग में पार्टनर होने का आरोप लगाया था।

भाजपा लगातार इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाने में लगी हुई है और भाजपा नेताओं ने इसे लेकर राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात भी की थी। रघुवर दास ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के साथ इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल से मुलाकात की थी। भाजपा की ओर से इस बाबत राजभवन को कागजात भी सोंपे गए थे। भाजपा नेताओं की मांग है कि इस मामले में सोरेन बंधुओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए और उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाए।

विधानसभा की सदस्यता खत्म करने की मांग

भाजपा नेताओं का तर्क है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन ने दोहरा लाभ लिया है और इसलिए वे विधानसभा की सदस्यता के योग्य नहीं है। इसे गृह मंत्रालय और केंद्र सरकार की ओर से मंत्रियों की आचारसंहिता के संबंध में जारी निर्देशों का उल्लंघन बताया जा रहा है। भाजपा नेताओं ने इसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत आपराधिक कृत्य बताते हुए राज्यपाल से निर्वाचन आयोग से राय मशविरा करके उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया था।

चुनाव आयोग ने मांगी जानकारी

भाजपा नेताओं की ओर से उठाया गया यह मामला अब चुनाव आयोग तक पहुंच गया है। राजभवन ने इस संबंध में चुनाव आयोग से राय मांगी थी। अब चुनाव आयोग ने उपलब्ध कराए गए कागजातों के सत्यापन के लिए राज्य सरकार से संपर्क साधा है। माना जा रहा है कि सत्यापित कागजातों के आधार पर ही चुनाव आयोग की ओर से राज्यपाल को परामर्श दिया जाएगा। चुनाव आयोग की ओर से किए गए पत्राचार के संबंध में राज्यपाल ने मुख्य सचिव से चर्चा की है। इस संबंध में आयोग की सलाह पर ही राज्यपाल के फैसला लेने की उम्मीद जताई जा रही है।

इस मामले को लेकर राज्य की सियासत गरमाई हुई है और भाजपा लगातार झामुमो के दोनों वरिष्ठ नेताओं की घेरेबंदी में जुटी हुई है। भाजपा के इस तेवर से आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके विधायक भाई बसंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं। झामुमो नेताओं की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया गया है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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