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Jharkhand Language Conflict: लालू यादव के बयान ने सत्ताधारी गठबंधन में बढ़ाई सियासी हलचल, जानें क्या है मामला

Jharkhand News: बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने झारखंड में भोजपुरी समेत अन्य बिहारी भाषाओं के हो रहे विरोध पर सख्त रूख अपनाते हुए कहा कि जो भोजपुरी और मगही का विरोध करेगा, उसका विरोध करेंगे।

Krishna Chaudhary
Written By Krishna ChaudharyPublished By Deepak Kumar
Published on: 14 Feb 2022 10:20 PM IST
Jharkhand News
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लालू प्रसाद यादव। 

Jharkhand Language Conflict: भाषा को लेकर झारखंड में सियासी (politics in jharkhand) रार बढ़ती जा रही है। इसके जद में सत्ताधारी गठबंधन खुद आ चुकी है। बिहार के भाषाओं को झारखंड में आधिकारिक मान्यता ने देने की मांग राज्य में सरकार की अगुवाई कर रही झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) लगातार करती आ रही है। जिसपर सत्ताधारी गठबंधन के दोनों घटक दल कांग्रेस (Congress) औऱ राजद (RJD) नाराज हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री औऱ राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (RJD National President Lalu Prasad Yadav) ने भाषा विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। जो राज्य में सत्ताधारी गठबंधन की अगुवाई कर रहे सीएम हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के लिए असहज स्थिति उत्पन्न कर सकती है।

भाषा विवाद पर बोले लालू यादव

पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव (Former CM Lalu Prasad Yadav) ने झारखंड में भोजपुरी समेत अन्य बिहारी भाषाओं के हो रहे विरोध पर सख्त रूख अपनाते हुए कहा कि जो भोजपुरी और मगही का विरोध करेगा, उसका विरोध करेंगे। चारा घोटाले के एक मामले में हाजिरी लगाने रांची (Ranchi) पहुंचे लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) ने झामूमों कोटे से शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो (Education Minister Jagarnath Mahto) के बयान को खारिज करते हुए कहा कि उनके बातों में कोई दम नहीं है। जो भोजपुरी – मैथिली का विरोध करेगा, उसका विरोध करेंगे। वहीं भाषा विवाद के कारण भोजपुरी भाषी समाज में उपजे डर के माहौल पर उन्होंने कहा कि भोजपुरी समाज किसी से डरता नहीं है। पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री ने कहा कि वो इस मसले को लेकर सीएम हेमंत सोरेन से बात करेंगे।

जेएमएम के मंत्री कर रहे विरोध

झारखंड सरकार (Jharkhand Government) में जेएमएम कोटे (JMM quota) से शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो (Education Minister Jagarnath Mahto) ने भोजपुरी औऱ मगही भाषा का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर इसे बोकारो और धनबाद की स्थानीय भाषाओं की सूची से हटाने की मांग की है। झारखंड सरकार (Jharkhand Government) में कद्दावर मंत्री महतो ने कहा कि भोजपुरी और मगही झारखंड की भाषा नहीं है। उनके इस बयान पर उनके सहयोगी दल ही भड़क गए।

कांग्रेस भी हेमंत सोरेन सरकार से नाराज

सत्ताधारी गठबंधन की अहम घटक दल कांग्रेस भी इस मसले से काफी नाराज है। सरकार में अपनी पूछ कम होने से पहले ही नाराज चल रही कांग्रेस भाषा विवाद पर लगातार सरकार पर दवाब बनाए हुए है। चौतरफा दवाब में आकर हेमंत सोरेन सरकार ने भोजपुरी, मगही औऱ अंगिका को तो जिला स्तर की मान्य़ता दे दी है। लेकिन मैथिली को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है। जिससे कांग्रेस के लिए असहज की स्थिति उत्पन्न हो गई। बिहार के मिथिलांचल में कांग्रेस की जड़ें किसी जमाने में मजबूत रही हैं। इसके अलावा झारखंड में भी बड़ी संख्या में मैथिली भाषी लोग रहते हैं। जिन्होंने आंदोलन की चेतावनी भी दे दी है। यही वजह है कि कांग्रेस लगातार झामुमो को इससे होने वाले सियासी नफे नुकसान के बारे में आगाह कर रही है।

बिहार विरोध के बुनियाद पर ही खड़ी हुई थी जेएमएम

झारखंड में गठबंधन सरकार (Jharkhand Government) की अगुवाई कर रही झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) की बुनियाद ही बिहार के विरोध पर है। जेएमएम के लोकप्रियता का एक बड़ा पैमाना बिहार विरोध ही रहा है। बिहार से अलग होने के लिए पार्टी ने कड़ा संघर्ष किया था। इसी का असर है कि एकबार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने भोजपुरी पर विवादित बयान दे दिया था। उन्होंने भोजपुरी और मगही को बिहार की भाषा बताते हुए कहा कि ये दो भाषा बोलने वाले लोग डोमिनेंटिंग होते हैं। ये झारखंड की भाषा नहीं है। सोरेन ने यहीं नहीं रूके उन्होंने कहा कि महिलाओं की इज्जत लूटकर भोजपुर भाषा में गाली दी जाती है। झारखंड आंदोलन क्षेत्रीय भाषा पर लड़ी गयी थी, न कि बिहार के भाषाओं पर। उनके इस बयान पर बिहार में जमकर सियासी बवाल मचा था।

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Deepak Kumar

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