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Rajyasabha Election: राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस ने ठोंका दावा, झारखंड में महागठबंधन का होगा लिटमस टेस्ट

Jharkhand Rajya Sabha Election: आगामी 10 जून को होने जा रहे राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Chunav) में सहयोगी कांग्रेस (Congress) ने अपना दावा ठोंक दिया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 18 May 2022 8:13 PM IST (Updated on: 23 May 2022 12:56 PM IST)
Rajyasabha Election: राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस ने ठोंका दावा, झारखंड में महागठबंधन का होगा लिटमस टेस्ट
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सीएम हेमंत सोरेन-आलमगीर आलम (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Rajyasabha Election: विधानसभा की सदस्यता पर लटक रही तलवार के बीच झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के सामने एक और नई चुनौती खड़ी हो गई है। आगामी 10 जून को होने जा रहे राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Chunav) में सहयोगी कांग्रेस (Congress) ने अपना दावा ठोंक दिया है। विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता (Congress Legislature Party Leader) और कैबिनेट मंत्री आलमगीर आलम (Alamgir Alam) ने कहा कि इस संबंध में सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे। बता दें कि 10 जून को झारखंड की दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है।

कांग्रेस ने झामुमो को याद दिलाया पिछला एहसान

हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे से मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि पिछले राज्यसभा चुनाव में झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को उच्च सदन भेजा गया था। लिहाजा अब की बार कांग्रेस के उम्मीदवार की बारी है। आलम ने कहा कहा कि संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस के पास अकेले अपने दम पर चुनाव नहीं जीत सकती, मगर गठबंधन के पास पर्याप्त संख्या बल है, जिससे एक राज्यसभा सीट महागठबंधन के पाले में आ सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता राज्यसभा जाएंगे तो इससे केंद्रीय स्तर पर पार्टी को मजबूती मिलेगी, जिसका फायदा मिलेगा।

प्रथम वरीयता वाली सीट पर रार

राज्यसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक, 28 प्रथम वरीयता का वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार के लिए उच्च सदन जाने का रास्ता साफ होगा। वहीं दूसरी वरीयता के कैलकुलेशन में जोड़तोड़ हो सकती है। झारखंड विधानसभा में दलीय स्थिति पर नजर डालें तो झामुमो के पास 30 विधायक है, ऐसे में वो अपनी सीट आसानी से निकाल सकती है। वहीं कांग्रेस के पास 17 विधायक हैं, लिहाजा उसे चुनाव जीतने के लिए महागठबंधन के समर्थन की जरूरत है। लेकिन जेएमएम इस पर किसी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं दिख रही है।

दरअसल, पिछले राज्यसभा चुनाव को याद करें तो इस बाबत कांग्रेस का अनुभव बेहद कड़वा रहा था। पिछले चुनाव में महागठबंधन की तरफ से पहली वरीयता के सीट पर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेने और दूसरी वरीयता वाली सीट पर कांग्रेस के शहजादा अनवर चुनाव मैदान में थे। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेने तो चुनाव जीत गए, लेकिन संख्या बल के अभाव में कांग्रेस नहीं जीत पाई। दूसरी सीट पर बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने जीत हासिल की थी। यही वजह है कि कांग्रेस इस बार प्रथम वरीयता की सीट चाहती है।

बीजेपी की रणनीति

झारखंड विधानसभा में बीजेपी के पास बाबूलाल मरांडी को मिलाकर 26 विधायक हैं। इनमें आजसू पार्टी के दो विधायक और एक निर्दलीय विधायक जो पूर्व में भाजपा नेता रह चुके हैं को जोड़ दें तो बीजेपी जरूर संख्याबल के पास पहुंच जाती है। यही वजह है कि बीजेपी अंदरखाने सत्ताधारी महागठबंधन से ज्यादा कंफर्टेबल महसूस कर रही है।

महागठबंधन का होगा लिटमस टेस्ट

झारखंड में झामुमो, कांग्रेस और राजद मिलकर चला रहे हैं। बीते कुछ समय से गठबंधन में लगातार टकराव की खबरें आती रही हैं। गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टनर कांग्रेस का आरोप है कि सरकार में उसकी उपेक्षा की जा रही है। जेएमएम द्वारा पार्टी को कमजोर करनी कोशिश की जा रही है। ऐसे में अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कांग्रेस की मांग को नहीं मानते हैं, तो कांग्रेस को कोई बड़ा कदम उठा सकती है।

बता दें कि झारखंड से वर्तमान राज्यसभा सांसद केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार का कार्यका सात जुलाई को खत्म हो रहा है। इन्हीं दो सीटों पर 10 जून को मतदान होना है। झारखंड में कुल छह राज्यसभा की सीटें हैं, जिनमें चार बीजेपी के पास और दो में से एक झामुमो और एक कांग्रेस के पास है।

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Shreya

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