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झारखंड में 31 मार्च को ही मिला था पहला कोरोना मरीज, अब ऐसी है स्थिति

झारखंड की राजधानी रांची में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 31 मार्च 2020 को मिला था। तब्लीग़ी जमात से जुड़ी एक मलेशियाई..

Roshni Khan
Published on: 31 March 2021 11:45 AM IST (Updated on: 8 April 2021 4:39 PM IST)
झारखंड: 31 मार्च 2020 को मिला था पहला कोरोना मरीज़, एक साल बाद भी स्थिति में सुधार नहीं
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jharkhand (PC: social media)

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 31 मार्च 2020 को मिला था। तब्लीग़ी जमात से जुड़ी एक मलेशियाई महिला में कोविड 19 का संक्रमण पाया गया था। इसके बाद जमात से जुड़े अन्य लोगों के जांच करने पर संक्रमण का दायरा बढ़ता गया। राजधानी के हिंदपीढ़ी क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर दिया गया था। लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी। कोरोना का पहला मामला आने के बाद रांची समेत पूरे राज्य में दहशत का माहौल पैदा हो गया।

30 अप्रैल तक धारा 144 लागू


jharkhand (PC: social media)


कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सबसे ज्यादा असर राजधानी रांची में देखने को मिल रहा है। लिहाज़ा, एसडीओ समीरा एस. ने 30 अप्रैल तक पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है। इसके साथ ही सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई है। रामनवमीं और सरहुल में उठाए जाने वाले जुलूस पर पाबंदी लगा दी गई है। इस्टर के मौके पर भी सार्वजनिक तौर पर कोई कार्यक्रम नहीं किया जा सकेगा। पूर्व में दिए गए सभी प्रशासनिक आदेश निरस्त कर दिए गए हैं।

झारखंड में कोरोना के बढ़ते मामले

झारखंड में कोरोना वायरस का दूसरा चरण बेहद खतरनाक दिख रहा है। आंकड़ों पर ग़ौर करें तो तस्वीरा साफ हो जाती है। पूरे राज्य में 30 मार्च को कुल 418 नए मामले सामने आए हैं। इतना ही नहीं तीन कोरोना संक्रमितों की जान भी गई है। सबसे बुरी स्थिति राजधानी रांची की है जहां 30 मार्च को 262 नए मरीज़ों का पता चला है। इसके साथ ही शहर में एक्टिव मरीज़ों की तादाद 1260 हो गई है। खास बात यह है कि, एक ही दिन में 03 कोरोना मरीज़ों की जान भी गई है। इस तरह पूरे शहर में अबतक 259 मरीज़ों की मौत हो चुकी है।


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कोरोना के बीच उप चुनाव

झारखंड के मधुपुर विधानसभा का उपचुनाव 17 अप्रैल को होना है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच होने वाले उपचुनाव में किसी तरह की गाइडलाइंस पर अमल नहीं किया जा रहा है। झामुमो के उम्मीदवार हफीजुल हसन के नामांकन की बात हो या फिर भाजपा के प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह के नोमिनेशन की बात करें तो सरकारी दिशा-निर्देशों का सरेआम उल्लंघन हुआ है।

रिपोर्ट- शाहनवाज़



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