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Jharkhand: झारखंड में घट रहे आदिवासी, बढ़ रहे बांग्लादेशी, हाई कोर्ट ने केंद्र पर उठाया सवाल

Jharkhand: केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में आठ अगस्त को हलफनामा दाखिल नहीं करने से निराश कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि क्या सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों के देश में प्रवेश करने के बाद ही कार्रवाई करेगी।

Neel Mani Lal
Published on: 23 Aug 2024 5:56 PM IST
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Jharkhand: बांग्लादेशी घुसपैठ और संथाल परगना की बदलती जनसांख्यिकी की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि झारखंड में आदिवासियों की आबादी घट रही है और केंद्र सरकार चुप है। कोर्ट ने कहा कि झारखंड का निर्माण आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए किया गया था, लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश को रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इंटेलिजेंस ब्यूरो 24 घंटे काम करती है, लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपना जवाब दाखिल नहीं कर रही है। बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने में बीएसएफ की भी महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के मामले में सकारात्मक रवैया नहीं रखती है।केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में आठ अगस्त को हलफनामा दाखिल नहीं करने से निराश कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि क्या सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों के देश में प्रवेश करने के बाद ही कार्रवाई करेगी।

कोर्ट ने मांगा है केंद्र से जवाब

झारखंड हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से बांग्लादेशियों की घुसपैठ रोकने के लिए उठाए गए कदमों और उनके विचारों के बारे में हलफनामे के जरिए जवाब मांगा था। इससे पहले आईबी, यूआईडीएआई और बीएसएफ को अलग-अलग हलफनामा दाखिल करने को कहा गया था। केंद्र को 22 अगस्त को जवाब दाखिल करना था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। इसके बजाय उसने हस्तक्षेप याचिका दाखिल कर चार सप्ताह का समय मांगा।

केंद्र से पूछा सवाल

कोर्ट ने हस्तक्षेप याचिका खारिज करते हुए कहा कि जब राज्य सरकार ने मामले में जवाब दाखिल कर दिया है, तो केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने में दिक्कत क्यों हो रही है। हालांकि कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी। अदालत को यह भी बताया गया कि बांग्लादेश में प्रतिबंधित संगठन संथाल परगना के कई हिस्सों में लव-जिहाद और भूमि-जिहाद के तहत स्थानीय आदिवासी लड़कियों को फंसा रहा है और उनसे शादी कर रहा है, जिस पर रोक लगाने की जरूरत है



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Shalini Rai

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