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Hijab Ban: हिजाब बैन के कारण मुस्लिम छात्राओं का ड्राप आउट बढ़ा, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा आंकड़ा
Hijab Ban: कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे हिजाब समर्थकों की याचिका पर बुधवार को पांचवें दिन सुनवाई हुई।
New Delhi: हिजाब बैन का मुद्दा (hijab ban issue) एकबार फिर चर्चा में है। कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे हिजाब समर्थकों की याचिका पर बुधवार को पांचवें दिन सुनवाई हुई। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया के की बेंच के सामने सीनियर एडवोकेट राजीव धवन (Senior Advocate Rajeev Dhawan) और हुजेफा अहमदी ने हिजाब के समर्थन में दलीलें पेश की। इस दौरान अहमदी ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि कर्नाटक में हिजाब बैन के कारण मुस्लिम छात्राओं का ड्राप आउट बढ़ गया है।
उन्होंन कहा कि ये ड्राप आउट हिजाब पहनने पर रोक लगाने के कारण ही हुआ है। इस पर जस्टिस सुधांशु धुलिया ने पूछा कि क्या वो कोई आंकड़ा प्रस्तुत कर सकती हैं ? इस पर अहमदी ने कहा कि PUCL की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में 17 हजार मुस्लिम छात्राओं ने ड्राप आउट किया और वे परीक्षा में बैठ नहीं पाईं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट के एक फैसले के कारण कई मुस्लिम लड़कियां स्कूली शिक्षा से वंचित हो गई हैं।
कोर्ट को रास नहीं आई हुजेफा अहमदी की एक दलील
मुस्लिम पक्ष की वकील हुजेफा अहमदी (Lawyer Huzefa Ahmadi) ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने हाईकोर्ट के फैसले को गलत ठहराते समय एक ऐसी दलील पेश कर दी, जो अदालत को भी रास नहीं आई। अहमदी ने कहा कि लड़कियां मदरसा छोड़कर स्कूल में पढ़ने आई थी, मगर यदि आप हिजाब को बैन कर देंगे तो वो फिर मजबूर होकर मदरसा चली जाएंगी। इस पर जस्टिस धुलिया ने कहा कि ये कैसी दलील है ?
कानूनी मसलों पर रिपोर्टिंग करने वाली वेबसाइट लाइव लॉ के अनुसार, अदालत में गुरूवार तक याचिकाकर्ता के पक्ष को सुना जाएगा। इसके बाद 2 दिन सरकार को पक्ष रखने के लिए समय दिया जाएगा। हिजाब के समर्थन में अब तक देवदत्त कामत, सलमान खुर्शीद, युसुफ मुचाला और आदित्य स्नोधी अपना पक्ष रख चुके हैं। वहीं अदालत में सरकार का पक्ष एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी और एडिशनल सॉलिस्टर जनरल केएम नटराज रखेंगे।
बता दें कि कर्नाटक में हिजाब को लेकर हुए बड़े पैमाने पर हुए बवाल के बाद मामला कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) पहुंच गया था। मार्च में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि हिजाब पहनना अनिवार्य है। इसके बाद उच्च न्यायालय के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। जिसपर सुनवाई जारी है।