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Karnataka Assembly Election 2023: भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए क्यों अहम है कर्नाटक का चुनाव,इस बार दिलचस्प जंग के आसा

Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक के विधानसभा चुनाव को 2024 में होने वाली बड़ी सियासी जंग से पहले सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है। कर्नाटक का विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के लिए सियासी नजरिए से काफी अहम है।

Anshuman Tiwari
Published on: 29 March 2023 9:27 PM IST
Karnataka Assembly Election 2023: भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए क्यों अहम है कर्नाटक का चुनाव,इस बार दिलचस्प जंग के आसा
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Karnataka Assembly Election 2023 (Photo-Social Media)

Karnataka Assembly Election 2023: विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही कर्नाटक में चुनावी बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने राज्य की सभी 224 विधानसभा सीटों पर एक ही दिन 10 मई को मतदान कराने की घोषणा की है। चुनाव नतीजों का ऐलान 13 मई को किया जाएगा। चुनाव तारीखों के ऐलान के साथ ही राज्य में आचारसंहिता भी लागू हो गई है। तय कार्यक्रम के मुताबिक कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 13 अप्रैल को जारी होगी।
कर्नाटक के विधानसभा चुनाव को 2024 में होने वाली बड़ी सियासी जंग से पहले सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है। कर्नाटक का विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के लिए सियासी नजरिए से काफी अहम है। भाजपा ने दक्षिण भारत में अपने इस इकलौते दुर्ग को बचाने के लिए पहले ही पूरी ताकत झोंक रखी है। दूसरी ओर कांग्रेस सत्ता वापसी के जरिए दक्षिण भारत में भाजपा को बड़ी चोट देने की कोशिश में जुटी हुई है। जनता दल सेक्युलर और आम आदमी पार्टी भी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में कर्नाटक में इस बार दिलचस्प सियासी जंग के आसार दिख रहे हैं।

2018 में भाजपा ने जीती थीं सबसे ज्यादा सीटें

कर्नाटक के मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 24 मई को समाप्त होने वाला है मगर उससे पहले ही चुनाव प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी। कर्नाटक के मौजूदा चुनावी परिदृश्य पर नजर डालने से पहले पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर फरमाना भी जरूरी है। कर्नाटक में 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान किसी भी दल को बहुमत नहीं हासिल हुआ था। 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने 104 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस को 80 सीटों पर कामयाबी मिली थी। जनता दल सेक्युलर ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में कांग्रेस और जेडीएस के कई विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे।
यदि वोट प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 36.35 फीसदी वोट हासिल हुए थे। दूसरी ओर कांग्रेस ने भाजपा से अधिक 38.14 फ़ीसदी वोट हासिल करने में कामयाबी हासिल की थी। हालांकि सीट जीतने के मामले में कांग्रेस भाजपा से पिछड़ गई थी। 2018 में जनता दल सेक्युलर को 18.3 फ़ीसदी वोट मिले थे।

पांच वर्षों में तीन सीएम ने संभाली कमान

कर्नाटक में पिछले पांच वर्षों के दौरान तीन मुख्यमंत्रियों का राज रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत न मिलने के बाद कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर ने मिलकर सरकार बनाई थी और जेडीएस नेता कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया गया था मगर उनके 14 महीने के कार्यकाल के दौरान कई कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा को समर्थन दे दिया था।
कुमारस्वामी की सरकार गिरने के बाद बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई में भाजपा की सरकार का गठन हुआ था। उन्होंने 26 जुलाई 2019 से 28 जुलाई 2021 तक मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। बाद में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से राज्य में फेरबदल का फैसला किया गया। 28 जुलाई 2021 को येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बसवराज बोम्मई को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था। मौजूदा समय में बोम्मई ने ही मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल रखी है।

भाजपा के लिए क्यों अहम है कर्नाटक

कर्नाटक में इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन गया है। कर्नाटक दक्षिण भारत का अकेला ऐसा राज्य है जहां मौजूदा समय में भाजपा की सत्ता है और यही कारण है कि भाजपा कर्नाटक को अपने हाथ से नहीं निकलने देना चाहती। पार्टी के तीनों प्रमुख नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा लगातार राज्य का दौरा करने में जुटे हुए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में कर्नाटक में कई बड़ी परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया है। इसके साथ ही उन्होंने रोड शो के जरिए भी भाजपा की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश की है। कर्नाटक से निकलने वाले सियासी संदेश से भाजपा को अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में भी सियासी फायदा हो सकता है। इसके साथ ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी कर्नाटक से बड़ा संदेश निकलेगा। इसी कारण पार्टी ने इस बार के चुनाव में पूरी ताकत लगा रखी है।

कांग्रेस ने भी लगा रखी है पूरी ताकत

दूसरी ओर राज्य में कांग्रेस के दो बड़े चेहरों पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृह राज्य होने के कारण पार्टी पूरी ताकत के साथ भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में जुटी हुई है।
सियासी जानकारों का मानना है कि अब चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद सियासी गतिविधियां और तेज होंगी। कांग्रेस की ओर से 124 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की जा चुकी है और शेष उम्मीदवारों का ऐलान भी शीघ्र ही किए जाने की उम्मीद है।
दूसरी ओर आम आदमी पार्टी और जनता दल सेक्युलर ने भी राज्य में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। आप के चुनावी अखाड़े में उतरने से कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में दिलचस्प चुनावी जंग होने की उम्मीद जताई जा रही है।



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Anshuman Tiwari

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