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Karnataka News: नए विवाद में फंसी कर्नाटक सरकार,सरकारी खजाने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सैलरी पर हंगामा, BJP ने बोला हमला

Karnataka News: विधानसभा में मंगलवार को गारंटी योजना के कार्यान्वयन पैनल के वेतन और बैठक शुल्क के बारे में जानकारी दिए जाने के बाद विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 12 March 2025 9:32 AM IST (Updated on: 12 March 2025 9:54 AM IST)
Karnataka News: नए विवाद में फंसी कर्नाटक सरकार,सरकारी खजाने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सैलरी पर हंगामा, BJP ने बोला हमला
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Karnataka News: कर्नाटक में सिद्धारमैया के अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार अब एक नए विवाद में फंस गई है। विधानसभा में मंगलवार को गारंटी योजना के कार्यान्वयन पैनल के वेतन और बैठक शुल्क के बारे में जानकारी दिए जाने के बाद विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि गारंटी योजना के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए चार हजार कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है।

पार्टी का कहना है कि इन कार्यकर्ताओं को सैलरी देने के लिए सालाना 60 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया गया है। वैसे सरकार की ओर से अभी तक इस बजट के आकार का खुलासा नहीं किया गया है। भाजपा ने सरकारी खजाने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को वेतन दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला है।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सरकारी खजाने से सैलरी

कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में पार्टी की पांच गारंटी योजनाओं की बड़ी भूमिका मानी गई थी। सरकार की ओर से इन गारंटी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए बजट में 52 हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है जिसे लेकर विपक्ष पहले से ही हमलावर है। अब सरकार के एक और कदम को लेकर विवाद पैदा हो गया है। राज्य सरकार की ओर से गारंटी योजनाओं के कार्यान्वयन पैनल के वेतन के बारे में जानकारी दिए जाने के बाद सियासी घमासान शुरू हो गया है।

भाजपा का आरोप है कि कार्यान्वयन पैनल में चार हजार से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है और इन्हें सरकारी खजाने से पैसा दिया जाएगा। पार्टी ने इसे सरकारी खजाने का दुरुपयोग बताते हुए सियासी मकसद पूरा करने का कुत्सित प्रयास बताया है। भाजपा का आरोप है कि कर्नाटक के करदाताओं के पैसे से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इनाम दिया जा रहा है।

राज्य सरकार ने बनाए 38 पैनल

दरअसल कांग्रेस की ओर से घोषित गारंटी योजनाओं के कार्यान्वयन को आसान बनाने के लिए राज्य सरकार की ओर से 38 पैनल बनाए गए हैं। पैनल में शामिल लोगों को कार्यान्वयन के निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रत्येक पैनल में एक अध्यक्ष और पांच उपाध्यक्ष होंगे। इनके अलावा 31 सदस्य और एक सदस्य सचिव भी पैनल में शामिल होगा।

पैनल के अध्यक्ष को कैबिनेट रैंक दिया जाएगा जबकि उपाध्यक्ष को जूनियर मंत्री का दर्जा हासिल होगा। पैनल के सदस्यों के लिए राज्य, जिला और तालुका स्तर पर कार्यालय भी आवंटित किए जाएंगे।

सैलरी और बैठक शुल्क को लेकर विवाद

पैनल में शामिल लोगों को सरकारी खजाने से सैलरी देने के मुद्दे पर विवाद पैदा हो गया है। राज्य सरकार की ओर से पैनल अध्यक्षों को 40,000 रुपए मासिक वेतन दिया जाएगा। उपाध्यक्षों को 10,000 और तालुका स्तर पर अध्यक्षों को 25,000 का वेतन निर्धारित किया गया है। इसके अलावा बैठक के लिए भी सदस्यों को शुल्क देने का फैसला किया गया है।

जिला स्तर पर प्रति बैठक 1200 रुपए और तालुका स्तर पर प्रति बैठक 1100 रुपए दिए जाएंगे। पैनल में शामिल लोगों के वेतन को लेकर विवाद पैदा हो गया है क्योंकि भाजपा ने आरोप लगाया है कि पैनल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है और इन्हें सरकारी खजाने से पैसा दिया जाएगा।

शिवकुमार के बयान पर विपक्ष हमलावर

राज्य के डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार के एक बयान ने आग में घी डालने का काम किया है। शिवकुमार ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का बचाव करते हुए कहा कि गारंटी योजनाओं के कार्यान्वयन के निगरानी की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है। उनके इस बयान के बाद विपक्ष का गुस्सा भड़क गया और भाजपा और जद (एस) के सदस्य सदन में पहुंच गए। उन्होंने जन कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भूमिका पर सवाल उठाए।

विपक्ष के नेता आर अशोक ने पूछा कि क्या राज्य के विधायक और अफसर इन योजनाओं की निगरानी में सक्षम नहीं हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के खजाने का पैसा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मौज-मस्ती पर खर्च किया जा रहा है। विपक्ष के हंगामे के बाद शिवकुमार डैमेज कंट्रोल करते हुए दिखे।

उन्होंने कहा कि विपक्ष की मांग पर कैबिनेट की बैठक में विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पैनल में सदस्य के रूप में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल रहेंगे मगर प्रमुख के रूप में स्थानीय विधायकों की नियुक्ति पर विचार किया जाएगा। वैसे इस मामले को लेकर अभी हंगामा थमने के आसार नहीं दिख रहे हैं।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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