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येदियुरप्पा ने बढ़ाई भाजपा नेतृत्व की चिंता, कर्नाटक में यात्रा निकालने का आखिर क्या है सियासी मकसद

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा जल्द राज्य के विभिन्न हिस्सों में अपनी यात्रा निकालने वाले हैं। येदियुरप्पा ने पहले स्वतंत्रता दिवस के बाद अपनी कर्नाटक यात्रा शुरू करने का मन बनाया था। मगर बाद में पार्टी की ओर से अनुरोध किए जाने पर उन्होंने अपनी यात्रा को गणेश चतुर्थी तक के लिए टाल दिया था।

Anshuman Tiwari
Report Anshuman TiwariPublished By Deepak Kumar
Published on: 16 Sept 2021 10:14 AM IST
Karnataka Former CM BS Yediyurappa
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कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा। (Social Media)

नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा जल्द राज्य के विभिन्न हिस्सों में अपनी यात्रा निकालने वाले हैं। येदियुरप्पा ने गत 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और अब एक बार फिर वे अपनी सियासी सक्रियता बढ़ाने वाले हैं। येदियुरप्पा की प्रस्तावित यात्रा को लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चिंतित बताया जा रहा है। भाजपा नेतृत्व को इस बात का डर सता रहा है कि यात्रा के दौरान कहीं येदियुरप्पा अपने बयानों से पार्टी के लिए कोई नई मुसीबत न खड़ा कर दें।


लिंगायत समुदाय पर मजबूत पकड़ रखने वाले येदियुरप्पा की प्रस्तावित यात्रा राज्य के नए मुख्यमंत्री बीएस बोम्मई के लिए भी मुसीबत पैदा करने वाली साबित हो सकती है। जानकारों का कहना है कि येदियुरप्पा अपने बेटे विजेंद्र की सियासी जमीन मजबूत बनाना चाहते हैं। अपनी यात्रा का इस्तेमाल वे अपने बेटे को राजनीतिक रूप से स्थापित करने के लिए भी कर सकते हैं। इन्हीं कारणों से येदियुरप्पा की प्रस्तावित यात्रा ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

भाजपा नेतृत्व से नाराज हैं येदियुरप्पा

येदियुरप्पा की यात्रा पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं क्योंकि गत 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने खुलकर कुछ भी नहीं कहा है। मगर उम्मीद जताई जा रही है कि अपनी यात्रा के दौरान वे खुलकर अपनी बातें रख सकते हैं। भाजपा नेतृत्व के सुझाव पर उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार को अपने साथ ले जाने की बात मान ली है । मगर फिर भी पार्टी नेतृत्व की चिंताओं का अंत नहीं हुआ है।

येदियुरप्पा के करीबी लोगों का कहना है कि वे मन ही मन पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं क्योंकि मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद उन्हें अभी तक कोई संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाए जाने के बाद उन्हें गवर्नर बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया था ।मगर येदियुरप्पा ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद भी वे कर्नाटक की सियासत में अपनी सक्रियता बनाए रखना चाहते हैं।


येदियुरप्पा के दावे पर भरोसा नहीं

येदियुरप्पा ने पहले स्वतंत्रता दिवस के बाद अपनी कर्नाटक यात्रा शुरू करने का मन बनाया था । मगर बाद में पार्टी की ओर से अनुरोध किए जाने पर उन्होंने अपनी यात्रा को गणेश चतुर्थी तक के लिए टाल दिया था। बाद में विधानसभा सत्र की वजह से उनकी यात्रा नहीं शुरू हो पाई। मगर अब वह अपनी यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं। येदियुरप्पा की ओर से दावा किया गया है कि अपनी यात्रा के दौरान वे कांग्रेस पर हमलावर रवैया अपनाएंगे । मगर उनके पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए पार्टी के लिए उन पर भरोसा करना मुश्किल हो रहा है।


एक बार भाजपा को डाल चुके हैं मुसीबत में

येदियुरप्पा की ओर से यह भी दावा किया जा रहा है कि उनकी यात्रा से भाजपा को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान सियासी फायदा मिलेगा। उनकी योजना राज्य के विभिन्न जिलों को कवर करने और मतदाताओं के साथ सीधा संपर्क स्थापित करने की है।

वैसे यदि येदियुरप्पा के इतिहास को देखा जाए तो उन्होंने 2013 में भाजपा से इस्तीफा देकर अलग राह चुन ली थी। उनके भाजपा से अलग होने का बड़ा फायदा कांग्रेस को मिला था। यद्यपि येदियुरप्पा व्यक्तिगत स्तर पर तो इसका ज्यादा फायदा नहीं उठा सके मगर उन्होंने भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाया था। भाजपा कई ऐसी सीटों पर भी चुनाव हार गई थी जिसे उसका गढ़ माना जाता रहा है।

पूरे कर्नाटक को कवर करेगी यात्रा

येदियुरप्पा ने अपनी यात्रा के दौरान पूरे कर्नाटक को कवर करने की योजना बनाई है। उनकी यात्रा को सुखद बनाने के लिए उनके परिजनों की ओर से 1.3 करोड़ का लग्जरी वाहन उपलब्ध कराया गया है। वाहन के शीर्ष पर एक आउटलेट भी है जिस पर खड़े होकर वे भीड़ का अभिवादन स्वीकार करेंगे। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री की इस यात्रा को उनका सक्रिय राजनीति में वापसी का संकेत माना जा रहा है। सियासी जानकारों का कहना है कि अपनी इस यात्रा के जरिए वे हाईकमान को अपनी ताकत भी दिखाना चाहते हैं। उनका यह साबित करने का इरादा है कि अभी भी कर्नाटक में उनकी सियासी पकड़ कमजोर नहीं हुई है। यही कारण है कि उनकी यात्रा के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं क्योंकि इसके जरिए वे पार्टी नेतृत्व को बड़ा संदेश देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।


हाईकमान पर दबाव बनाने की कोशिश

जानकार सूत्रों का कहना है कि येदियुरप्पा को इस्तीफे के लिए तैयार करने में पार्टी हाईकमान के पसीने छूट गए थे। बाद में उन्होंने कई शर्तों के साथ इस्तीफा दिया था। पार्टी हाईकमान उन्हें राज्यपाल बनाकर राज्य की सियासत से दूर करना चाहता था मगर सियासत के माहिर खिलाड़ी ने इस चाल को भांपते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया था। जानकारों के मुताबिक उस समय येदियुरप्पा से कई वादे भी किए गए थे मगर माना जा रहा है कि उन वादों को पूरा न किए जाने के बाद अब वे पार्टी हाईकमान पर दबाव बनाने के लिए यह यात्रा निकालने जा रहे हैं।

Deepak Kumar

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