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Kerala Cabinet: शैलजा की अनदेखी और दामाद को बनाया मंत्री, केरल में विवादों में घिरे सीएम विजयन
Kerala Cabinet: केरल के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई ससुर और दामाद विधानसभा और मंत्रिमंडल में साथ-साथ होंगे।
Kerala Cabinet: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पिनाराई विजयन ने दूसरी बार केरल के मुख्यमंत्री के रूप में कमान संभाल ली है। उनके साथ 20 कैबिनेट सदस्यों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। कोरोना महामारी के कारण सादगीपूर्ण तरीके से आयोजित समारोह में विजयन के दमाद को भी कैबिनेट मंत्री बनाए जाने से विवाद भी शुरू हो गया है।
विजयन के पिछले कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य मंत्री के रूप में बेहतर काम करके पूरे देश का ध्यान खींचने वाली केके शैलजा को इस बार मंत्री नहीं बनाया गया है जबकि नए चेहरों को मौका देने की आड़ में विजयन ने अपने दामाद की कैबिनेट मंत्री के रूप में ताजपोशी करा दी। इसे लेकर उनके ऊपर परिवारवाद का आरोप भी लगने लगा है।
पहली बार ससुर-दामाद एक साथ
केरल के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई ससुर और दामाद विधानसभा और मंत्रिमंडल में साथ-साथ होंगे। केरल में 45 साल बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने में कामयाब हुई है। इस बार अपने मंत्रिमंडल के गठन में मुख्यमंत्री विजयन ने नया प्रयोग किया है। विजयन के मंत्रिमंडल में उन्हें छोड़कर नए चेहरों को भी तरजीह दी गई है। हालांकि अपने दामाद पीए मोहम्मद रियास को कैबिनेट मंत्री बनाकर विजयन विवादों में भी घिर गए हैं। माकपा के यूथ विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रियास को नए चेहरे के नाम पर मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। वे कोझीकोड के बेपोर विधानसभा क्षेत्र से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं।
सादगी से हुआ शपथग्रहण समारोह
कोरोना महामारी के मद्देनजर बुधवार को केरल हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि समारोह में सीमित संख्या में लोगों की भागीदारी होनी चाहिए। इसीलिए काफी सादगीपूर्ण तरीके से शपथग्रहण समारोह आयोजित किया गया। विजयन के मंत्रिमंडल में अधिकांश नए चेहरों और तीन महिला सदस्यों को शामिल किया गया है। पुराने चेहरों में केवल जेडीएस नेता के कृष्णननकुट्टी तथा एनसीपी के नेता एक के शशीद्रन को शामिल किया गया है।
शैलजा को मंत्री न बनाने पर नाराजगी
मंत्रिमंडल में नए चेहरों को मौका देने के लिए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है। हालांकि मुख्यमंत्री की ओर से उठाए गए इस कदम पर कई लोगों ने नाराजगी भी जताई है। शैलजा ने केरल में कोविड-19 की पहली लहर का कुशलतापूर्वक सामना किया था और इसे लेकर उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा की गई थी। इससे पहले निपाह वायरस के मुकाबले में भी उन्होंने उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने पर तमाम नेताओं ने नाखुशी जताई है।
शैलजा की बढ़ती लोकप्रियता को भी इसका बड़ा कारण बताया जा रहा है और उनकी तुलना दिवंगत के आर गौरी अम्मा से की जाने लगी है। कद्दावर मार्क्सवादी नेता गौरी अम्मा को कभी मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाता था, लेकिन ऐसा कभी संभव नहीं हो सका।
शैलजा को सौंपी सचेतक की जिम्मेदारी
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में रॉकस्टार स्वास्थ्य मंत्री की संज्ञा पाने वाली शैलजा ने कहा कि नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने पर वह निराश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसे लेकर ज्यादा भावुक होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई व्यक्ति नहीं बल्कि व्यवस्था महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है और मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने टीम का नेतृत्व किया। माकपा की ओर से जारी किए गए बयान के अनुसार शैलजा को पार्टी में सचेतक की जिम्मेदारी दी गई है।
केंद्रीय नेता भी कदम से नाखुश
इस कदम को पार्टी की ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिश माना जा रहा है, क्योंकि शैलजा को मंत्री न बनाने से पार्टी के केंद्रीय इकाई के कुछ नेता भी नाखुश बताए जा रहे हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का ही कहना है कि ऐसा फैसला लेने से पहले राज्य इकाई की ओर से कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया। विजयन के इस कदम से नाखुश नेताओं में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात का नाम भी बताया जा रहा है। हालांकि पार्टी का कोई नेता इस बाबत खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
इस बार के विधानसभा चुनाव में शैलजा ने कन्नूर की मतनूर सीट से 60,963 मतों के सर्वाधिक अंतर से जीत हासिल की थी। मीडिया की ओर से उन्हें भविष्य में राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित किया गया था, लेकिन विजयन ने तमाम उम्मीदों को दरकिनार करते हुए शैलजा को नए मंत्रिमंडल में जगह तक नहीं दी। सोशल मीडिया पर भी विजयन के इस कदम को लेकर काफी चर्चाएं की जा रही हैं और लोगों ने इस फैसले पर निराशा जताई है।
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