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Kerala Model: केरल मॉडल क्या है, एक्सपर्ट ने बताया कारगर फिर भी क्यों उठ रहे सवाल

Kerala Model: एक्सपर्ट्स का कहना है कि केरल और नार्थईस्ट के राज्यों से स्पष्ट सन्देश मिलता है कि भले ही आप अपने राज्य में स्वास्थ्य संसाधनों पर निवेश करते रहें लेकिन वायरस के नए म्यूटेशन और बीमारी की लहर से नई नई चुनौतियां खड़ी होती रहेंगी।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shivani
Published on: 31 July 2021 3:18 PM IST
Coronavirus: देश में हुई कोरोना की चौथी लहर की दस्तक! IIT कानपुर के प्रोफेसर ने बताया
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कोरोना जांच (Photo- Ashutosh Tripathi, Newstrack) 

Coronavirus Kerala Model: निपाह वायरस रहा हो या कोरोना वायरस, इससे निपटने में केरल की रणनीति की बहुत तारीफ की जाती रही है। इसकी वजह केरल में सार्वजानिक स्वास्थ्य सुविधाओं और उसके प्रबंधन का उत्कृष्ट इंतजाम है। लेकिन इस बार केरल में जिस तरह कोरोना के मामले बढ़ते ही चले जा रहे हैं उससे केरल मॉडल को आलोचना होनी शुरू हो गयी है। अब इस राज्य की रणनीति ही सवालों के घेरे में है। लेकिन एक्सपर्ट्स की राय केरल मॉडल के पक्ष में है और उनका कहना है कि केस बढ़ने के बावजूद केरल बेहतर काम कर रहा है।

केरल मॉडल पर विशेषज्ञों की राय

वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कालेज की प्रोफ़ेसर डॉ गगनदीप कांग के गिनती भारत के टॉप वाइरालोजिस्ट में होती है, उनका कहना है कि केरल मॉडल को फेल बताना सरासर गलत है। उनके अनुसार भले ही केरल में कोरोना के केस तेजी से बढ़े हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि केरल मॉडल बेकार है। सच्चाई तो ये है कि कोरोना से होने वाली मौतों की बेहद कम संख्या, संक्रमण से अछूती बड़ी आबादी और अस्पतालों में उपलब्ध खाली बेड्स - ये सब बताते हैं कि केरल मॉडल ने बेहतरीन काम किया है।

केरल में कोरोना मृत्यु दर (Coronavirus Death Rate in Kerala)

केरल की मौजूदा स्थिति ये है कि कोरोना से मृत्यु दर 0.5 फीसदी है जबकि राष्ट्रीय औसत 1.34 फीसदी है। बड़ी संख्या में केस दर्ज होने के बावजूद केरल का हेल्थकेयर सिस्टम चरमराया नहीं है। देश में ऑक्सीजन और आईसीयू बेड्स की जिस तरह भरी कमी देखी गयी थी वैसी नौबत केरल में कभी नहीं आई।


देश में रोजाना जितने केस मिल रहे हैं उनमें से 50 फीसदी केरल से हैं, इसके अलावा नए सीरो सर्वे से पता चला है केरल में सीरोपॉजिटिवटी 44 फीसदी है। इन दो बैटन को ध्यान में रखते हुए अब फोकस इस बात पर होना चाहिए कि अब आगे क्या किया जाना है।

केरल में वैक्सीनेशन (Kerala Vaccination)

एक्सपर्ट्स का कहना है कि करण में कम से कम 38 फीसदी व्यस्क आबादी को वैक्सीन की एक डोज़ लग चुकी है। ये राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है लेकिन अब भी बड़ी आबादी को वैक्सीन लगना बाकी है। इसके अलावा सीरो सर्वे बताता है कि केरल की आधे से ज्यादा जनसँख्या अभी संक्रमण से बची हुई है। वैक्सीनेशन और सीरो सर्वे के डेटा के अनुसार केरल में संक्रमण और भी फैलने का बहुत अंदेशा है।


एक्सपर्ट्स का कहना है कि केरल और नार्थईस्ट के राज्यों से स्पष्ट सन्देश मिलता है कि भले ही आप अपने राज्य में स्वास्थ्य संसाधनों पर निवेश करते रहें लेकिन वायरस के नए म्यूटेशन और बीमारी की लहर से नई नई चुनौतियाँ खड़ी होती रहेंगी। लेकिन साथ में यह भी पता चलता है कि स्वास्थ्य संसाधनों में निवेश से आप बहुत बड़ा फर्क लोगों की जिंदगियां बचा कर ला सकते हैं और यही केरल ने कर दिखाया है। इसी वजह से केरल में मृत्यु दर बहुत कम है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि केरल मॉडल को दोष देने की बजाये अन्य राज्यों को केरल से बहुत सीखने की जरूरत है। एक्सपर्ट्स ये भी कहते हैं कि केरल सरकार को बंदिशों में ढील नहीं देनी चाहिए और वैक्सीनेशन का काम और तेजी से बढ़ाना चाहिए।

केरल में कोरोना की पॉजिटिविटी दर 12.93 फीसदी है जो चिंताजनक है। केरल के 6 राज्यों में साप्ताहिक पॉजिटिवटी दर 10 फीसदी से ज्यादा बनी हुई है। इन्ही हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार का एक दल केरल आया हुआ है और स्थिति का अध्ययन कर रहा है।l



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Shivani

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