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Kerala News: केरल में दो साल की नौकरी पर पेंशन, राज्यपाल के खिलाफ एकजुट हुए कांग्रेस और सीपीएम
Kerala News : केरल में हर एक मंत्री 30 स्टाफ सदस्यों को नियुक्त करने का हकदार होता था लेकिन अब है सरकार ने ये संख्या 27 कर दी है।
Kerala News : मंत्री ही नहीं, उनके निजी स्टाफ भी सरकारी पेंशन पाते हैं और वह भी सिर्फ दो साल की नौकरी करने के बाद। ये आलम है केरल का, जहाँ निजी स्टाफ को सरकारी खजाने से पेंशन देने के मामले में कांग्रेसी और वामपंथी साथ-साथ हैं।
अब केरल में मंत्रियों के निजी स्टाफ की पेंशन को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और राज्य सरकार में ठनी हुई है। ये एक ऐसा मामला हो गया है जिसमें सत्तारूढ़ माकपा नीत एलडीएफ और कांग्रेस नीत विपक्षी यूडीएफ राज्यपाल के खिलाफ एकमत हैं।
दरअसल, केरल में यदि किसी मंत्री का व्यक्तिगत स्टाफकर्मी सिर्फ दो साल की नौकरी पूरी कर लेता है, तो वह जीवन भर पेंशन पाने का हकदार होता है। यही नहीं, उसके निधन के बाद उसका परिवार भी इस पेंशन के लिए पात्र होता है। केरल विधानसभा ने 1994 में इस विषय पर एक विधेयक पारित किया था और जब से राज्य के खजाने से मंत्रियों के पूर्व स्टाफ सदस्यों को पेंशन का भुगतान किया जा रहा है।
अब राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान इस बात पर अड़े हैं कि केरल सरकार अपने कर्मचारियों को दी जा रही पेंशन के संबंध में एक रिपोर्ट दे। हाल ही में जब मुख्यमंत्री राजभवन में उनसे मिलने गए तो उन्होंने इस बारे में मुख्यमंत्री को बताया था। राज्य की सीपीएम सरकार ने राज्यपाल के रवैये को 'तानाशाहीपूर्ण' बताया है।
हर मंत्री को 27 स्टाफ रखने का अधिकार
केरल में हर एक मंत्री 30 स्टाफ सदस्यों को नियुक्त करने का हकदार होता था लेकिन अब है सरकार ने ये संख्या 27 कर दी है। दिलचस्प बात यह है कि राज्य में ग्यारहवें वेतन आयोग के बाद एक निजी स्टाफ सदस्य के लिए न्यूनतम पेंशन 3,550 रुपये नियत है।
दो साल काम, फिर आराम ही आराम
मन्त्रियों का निजी स्टाफ मात्र दो साल तक काम करने के बाद पेंशन का हकदार हो जाता है। यानी अगर कोई व्यक्ति 18 साल की उम्र में नौकरी में शामिल होता है और 20 साल की उम्र में नौकरी छोड़ देता है, तो वह पेंशन के लिए पात्र होता है। केरल में ही एक सरकारी कर्मचारी 56 वर्ष की आयु में रिटायर होता है लेकिन मंत्रियों के व्यक्तिगत स्टाफ सदस्य के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं होती है। मंत्रियों, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और विपक्ष के नेता के निजी कर्मचारी पेंशन के हकदार होते हैं।
1223 निजी कर्मचारी पा रहे पेंशन
केरल में मंत्रियों के पूर्व निजी स्टाफ के रूप में सेवा करने वाले कुल 1223 व्यक्ति वर्तमान में राज्य सरकार से पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। कुछ नए लोगों की पेंशन मंजूरी के बाद पेंशनभोगियों की कुल संख्या 1500 हो जाएगी। 1 अप्रैल 1984 से राज्य मंत्रिमंडल द्वारा जारी एक विशेष नियम के माध्यम से निजी कर्मचारियों को पेंशन की अनुमति दी गई थी। व्यक्तिगत कर्मचारियों के लिए न्यूनतम पेंशन 3550 रुपये है। यदि व्यक्ति की ढाई साल की सेवा है, तो उसे 7 फीसदी डीए और ग्रेच्युटी के साथ जीवन भर यह राशि प्राप्त होगी। निजी कर्मचारियों के लिए अधिकतम पेंशन 83,400 रुपये है, जो सरकारी कर्मचारियों के समान है। लेकिन इसके लिए व्यक्ति को 30 साल तक अलग-अलग मंत्रियों के अधीन काम करना पड़ता है।
पेंशन के लिए राज्य द्वारा आवंटित खर्च को संहिताबद्ध नहीं किया गया है। अनुमान है कि राज्य पेंशन के भुगतान पर सालाना कम से कम 80 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। जब अन्य लाभों को शामिल किया जाता है, तो यह कम से कम 10 करोड़ रुपये होगा। इसके अतिरिक्त, सरकार निजी कर्मचारियों के वेतन और यात्रा किराए पर सालाना कम से कम 40 करोड़ रुपये खर्च करती है।
घोटाले की तरफ इशारा
गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मंत्रियों का निजी स्टाफ सदस्य 2 साल के लिए तैनात रहता है और उस अवधि के बाद वह इस्तीफा दे देता है। इसके बाद फिर एक अन्य व्यक्ति को तैनात किया जाता है जो मंत्री के बाकी कार्यकाल के लिए सेवा करता है। इससे उन दोनों के लिए पेंशन बन जाती है। ये सब अपने लोगों और पार्टी कैडर को खुश करने के लिए किया जाता है।
कांग्रेस-सीपीएम एकजुट
मंत्रियों के निजी स्टाफ को दो साल में ही पेंशन देने के मामले पर कांग्रेस और सीपीएम एकजुट हैं। कांग्रेस नेता और सांसद के. मुरलीधरन का कहना है कि इस मामले में राज्यपाल कुछ नहीं कर सकते। निजी स्टाफ सदस्यों के लिए पेंशन जारी रखने की प्रथा जारी रहेगी क्योंकि यह केरल विधानसभा द्वारा पारित एक विधेयक पर आधारित है। मंत्रियों के कर्मचारियों के लिए पेंशन पर रोक लगाने के राज्यपाल की चाहत के खिलाफ सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ एकजुट हो गए हैं सो एक तरफ राज्यपाल और दूसरी तरफ सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच एक बड़ा टकराव देखने को मिलने वाला है।
मुख्य सचिव को पत्र
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है कि मंत्रियों के निजी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना को निलंबित कर दिया जाये। उन्होंने कहा है कि निजी कर्मचारी लोगों के टैक्स के पैसे को लूट रहे हैं और एक महीने के भीतर इस व्यवस्था को खत्म कर दिया जाना चाहिए। राज्यपाल का कहना है कि निजी स्टाफ को पेंशन देने के मामले की जानकारी उनको अब पता चली है। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि - जब मैं केंद्रीय मंत्री था, तो मेरे पास 11 निजी कर्मचारी थे। केरल में सभी मंत्रियों के पास 20 से ज्यादा निजी स्टाफ हैं। किसी अन्य राज्य में ऐसे कार्मिक कर्मचारी पेंशन लाभ के लिए पात्र नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इन नियुक्तियों का उद्देश्य राजनीतिक है। नियुक्त व्यक्ति दो साल के कार्यकाल के बाद इस्तीफा देते हैं और उनकी जगह नए लोगों को लाया जाता है। यहां एकमात्र लक्ष्य पेंशन लाभ है। बाद में ये लोग पार्टी के लिए काम करना शुरू कर देते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा में अपने उद्घाटन भाषण से पहले इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया गया था।