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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में फायर प्रूफ और वॉटर प्रूफ कॉटेजेज की क्यों अचानक बढ़ गई मांग

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए कपड़े से बने तंबुओं से अलग हटकर सीमेंट बोर्ड के ऐसी कोटेजेज का निर्माण कर रहे हैं जो आग के हादसों और पानी की मार से पूरी तरह सुरक्षित हैं।

Dinesh Singh
Published on: 18 Dec 2024 10:12 PM IST
Maha Kumbh 2025 ( Pic- Newstrack)
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Maha Kumbh 2025 ( Pic- Newstrack)

Maha Kumbh 2025: महाकुंभनगर। मौसम और प्राकृतिक आपदा की असामयिक मार से बचने के लिए महाकुंभ क्षेत्र में फायर प्रूफ और वॉटर प्रूफ कॉटेज की मांग बढ़ती जा रही है। कोटेजेज बनाने वाले वेंडर्स भी इसी को ध्यान में रखकर महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए कपड़े से बने तंबुओं से अलग हटकर सीमेंट बोर्ड के ऐसी कोटेजेज का निर्माण कर रहे हैं जो आग के हादसों और पानी की मार से पूरी तरह सुरक्षित हैं।

महाकुंभ में मौसम विभाग की आशंका से बदला पैटर्न

प्रयागराज महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच होना है। मौसम विभाग की तरफ से इस अवधि में असमय बारिश की भी आशंका जताई जा रही है। मौसम विभाग के अनुमान को देखते हुए महाकुंभ में वेंडर्स भी अब ऐसे कॉटेज बना रहे हैं जो है जो पूरी तरह बारिश से निपटने में सक्षम हों।

कुंभ गंगा रिट्रीट के प्रबंधक मनीष तिवारी बताते हैं कि जिस मौसम में महाकुंभ का आयोजन है उसमें मौसम विभाग की तरफ से जो अनुमान लगाया जा रहा है उसके मुताबिक इसमें बारिश की संभावना बनी हुई है। ऐसे में बारिश की स्थिति में श्रद्धालुओं की पहली पसंद ऐसे शिविर हैं जहां बारिश का भी बचाव हो। कपड़े और बांस के बने शिविर या कॉटेज में यह बचाव नहीं हो सकता है।आग लगने की घटनाओं का पिछला रिकॉर्ड भी फायर प्रूफ शिविरों की जरूरत की तरफ कर रहा है इशारा

आग लगने की घटनाएं भी कुंभ में होने लगी है। ऐसे में फायर प्रूफ कोटेजेज की भी मांग बढ़ी है। बांस , कपड़े से बनी कोटेजेज आग से कतई सुरक्षित नहीं है । इसकी कमी सीमेंट बोर्ड से बनी कोटेजेज पूरा कर रही हैं। विश्वमांगल्य सभा के सभाचार्य जितेंद्रनाथ का कहना है कि पूर्व की घटनाओं से सीख लेते हुए श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए यह आवश्यक हो गया हैं कि मौसम और प्राकृतिक आपदा से बचाव करने वाली व्यवस्था महाकुंभ में की जाय।महाकुंभ में ज्यादातर शिविर कपड़े से तैयार हो रहे हैं। चाहे स्विस कॉटेज हो या दूसरे टेंटेज सब में कपड़े का इस्तेमाल हो रहा है। इसी तरह बांस से तैयार कॉटेज में भी आग का रिस्क है। इसका विकल्प दे रहें है सीमेंट बोर्ड के कॉटेज।



Shalini Rai

Shalini Rai

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