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Maha Kumbh 2025: महाकुम्भ से पहले ही संगम क्षेत्र में उमड़ रहे श्रद्धालु, ऊंट की सवारी का उठा रहे लुत्फ

Maha Kumbh 2025: तीर्थराज प्रयागराज में बुधवार को क्रिसमस की छुट्टी पर संगम पर श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा रहा। लोग अपने परिवार समेत संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे। महाकुम्भ को देखते हुए यहां घाटों पर जोरदार तैयारी चल रही है।

Syed Raza
Report Syed Raza
Published on: 25 Dec 2024 5:14 PM IST (Updated on: 25 Dec 2024 5:15 PM IST)
Maha Kumbh 2025
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Maha Kumbh 2025

Maha Kumbh 2025: महाकुम्भ के शुभारंभ को भले ही अभी 15 दिनों से ज्यादा का समय बाकी हो, लेकिन संगम समेत गंगा और यमुना के तटों पर अभी से श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है। छुट्टी के दिन यहां श्रद्धालु बड़ी तादाद में अपने परिवार समेत संगम स्नान का पुण्य कमा रहे हैं, जबकि महाकुम्भ के चलते घाट पर मौजूद सुविधाओं ने उन्हें पिकनिक मनाने का भी अवसर दे दिया है। इसी क्रम में श्रद्धालु किला घाट से संगम नोज तक ऊंटों की सवारी का भी लुत्फ उठा रहे हैं। राजस्थान के जैसलमेर से आए ये ऊंट इस समय श्रद्धालुओं खासकर बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इन ऊंटों को इनके मालिकों ने रामू, घनश्याम और राधेश्याम जैसे मनमोहक नाम दिए हैं।

छुट्टी के दिन संगम पर उमड़ रही भीड़

तीर्थराज प्रयागराज में बुधवार को क्रिसमस की छुट्टी पर संगम पर श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा रहा। लोग अपने परिवार समेत संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे। महाकुम्भ को देखते हुए यहां घाटों पर जोरदार तैयारी चल रही है। खाने पीने की दुकानों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। इस बीच तट के करीब रेती और रोड पर ऊंटों की सवारी का भी क्रेज देखने को मिला। ये ऊंट खासतौर पर महाकुम्भ को देखते हुए यहां लाए गए हैं। मूलतः राजस्थान की सवारी माने जाने वाले इन ऊंटों पर बच्चे और महिलाएं सवारी कर पिकनिक जैसा लुत्फ उठा रहे हैं। इन ऊंटों को करीने से सजाया गया ही और इनकी पीठ पर बैठने के लिए गद्देदार सीट का भी प्रबंध किया गया है, ताकि लोगों को कोई परेशानी न हो।

45 से 50 हजार में खरीदे गए ऊंट

एक ऊंट संचालक ने बताया कि यह ऊंट विशेष रूप से राजस्थान के जैसलमेर से आए हैं। इन्हें प्रतापगढ़ में लगने वाले मेले से यहां लाया गया है। एक एक ऊंट की कीमत 45 से 50 हजार रुपए है। एक बार सवारी करने पर श्रद्धालुओं से 50 से 100 रुपए तक लिए जाते हैं। श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए इन ऊंटों को दुल्हन की तरह सजाया गया है। इनको नाम भी दिया गया है। किसी का नाम रामू है, किसी का घनश्याम तो किसी का राधेश्याम और सियाराम। खास बात ये है कि ऊंट की सवारी करने पर ऑनलाइन पेमेंट की भी सुविधा है। यूपीआई बार कोड का स्कैनर इनके गले और पीठ पर लगा हुआ है।



Shalini singh

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