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Maha Kumbh 2025: कैसे होता है नागा संन्यासी का श्रृंगार, महिलाओं के श्रृंगार से कितना अलग है ये श्रृंगार
Naga Maha Kumbh 2025: महिलाओं को श्रृंगार करने की सबसे ज्यादा ललक और जरूरत के लिए जाना जाता है। लेकिन महाकुंभ का आकर्षण नागा संन्यासियों का श्रृंगार महिलाओं के श्रृंगार को भी मात दे देगा।
Naga Maha Kumbh 2025: महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान में हर कोई नागा संन्यासियों के चरण रज लेने के लिए परेशान रहता है। अखाड़ों में सिरमौर माने जाने वाले नागा संन्यासी शाही स्नान में निकलने के सजते संवरते हैं । श्रृंगार ऐसा की नव विवाहिता दुल्हन भी के श्रृंगार पर भी भारी पड़ जाए नागाओं का संन्यास। कैसे बनते हैं नागा साधु, कैसे होता है नागा साधुओं का श्रृंगार, कितनी कड़ी और कठोर है नागाओं की दिनचर्या। जानिये सबकुछ
नागा संन्यासियों के श्रृंगार देखकर हैरान हो जाएगी महिलाएं
महिलाओं को श्रृंगार करने की सबसे ज्यादा ललक और जरूरत के लिए जाना जाता है। लेकिन महाकुंभ का आकर्षण नागा संन्यासियों का श्रृंगार महिलाओं के श्रृंगार को भी मात दे देगा।महाकुंभ में अमृत स्नान में इन नागा संन्यासियों का मेक अप या श्रृंगार देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। श्रृंगार ऐसा की सजने संवरने के लिए जानी जाने वाली स्त्रियां भी इनसे पीछे छूट जाय। स्नान के निकले नागाओं का अंदाज निराला होता है। महाकुम्भ के अमृत स्नान में पतित पावनी मां गंगा से मिलने अमृत स्नान की खुशी में वे पूरी तरह सज संवरकर निकलते हैं। इनका श्रृंगार महिलाओं के श्रृंगार से भी कठिन माना जाता है। महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं तो नागा संन्यासियों का श्रृंगार उससे भी अधिक होता है।
नागा संन्यासियों के ये है 17 श्रृंगार
पहले अमृत स्नान के दौरान विभिन्न अखाड़ों के नागा साधुओं के विभिन्न रूप देखने को मिल रहे हैं। लेकिन सभी नागा एक बात में समानता रखते हैं और वह है इनका अमृत स्नान के पहले खास श्रृंगार।जूना अखाड़े से जुड़े नागा संत मोहन गिरी बताते हैं , "हम तो महिलाओं से भी अधिक श्रृंगार करते हैं। महिलाएं तो सोलह श्रृंगार ही करती हैं, हम 17 श्रृंगार करते हैं।" नागा संत भोले गिरी ने बताया कि शाही स्नान से पहले नागा साधु पूरी तरह सज-धज कर तैयार होते हैं और फिर अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे जाकर अपने ईष्ट की प्रार्थना करते हैं। नागाओं के सत्रह श्रृंगार के बारे में पूछे जाने पर नागा बलिहारी गिरी बताते हैं कि लंगोट, भभूत, चंदन, पैरों में लोहे या फिर चांदी का कड़ा, अंगूठी, पंचकेश, कमर में फूलों की माला, माथे पर रोली का लेप, कुंडल, हाथों में चिमटा, डमरू या कमंडल, गुथी हुई जटाएं और तिलक, काजल, हाथों में कड़ा, बदन में विभूति का लेप और बाहों पर रुद्राक्ष की माला, 17 श्रृंगार में शामिल होते हैं। महिलाओं से अलग इनका सत्रहवां श्रृंगार है भभूत श्रृंगार होता है। ये अपने पूरे शरीर पर भभूत मलते हैं। स इसके बाद पंचकेश श्रृंगार होता है। केश को संवारने के बाद जैसे महिलाएं बिंदी, सिंदूर और काजल लगाती हैं वैसे नागा पंचकेश के बाद रोरी, तिलक और चंदन से खुद को सजाते हैं। अगर महिलाएं गहने धारण करती हैं तो नागा संन्यासी हार की जगह रूद्राक्ष की माला, चूड़ी की जगह कड़ा, चिमटा, डमरू और कमंडल आदि धारण करते हैं। वैसे दिगंबर नागा वस्त्र तो नहीं धारण करते पर लोक लाज को देखते हुए एक लंगोट, जिसे कोपिन भी कहा जाता है धारण करते हैं। इस तरह अद्भुत होता है नागाओं का श्रृंगार।