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Mahakumbh 2025: महाकुंभ में पीठाधीश्वरों ने उठाई दलितों के लिए अलग अखाड़े की मान्यता की मांग
Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुम्भ में दलित समाज से आने वाले पीठाधीश्वरों ने दलितों के लिए अलग से बाल्मिकी रविदास अखाड़ा बनाने की मांग करके नया पेंच पैदा कर दिया है।
Mahakumbh 2025: महा कुम्भ का आकर्षण है यहां सेक्टर में जन आस्था का विषय बने सनातन धर्म के 13 अखाड़े। लेकिन अब एक और अखाड़े के गठन की मांग उठी है। जिसे लेकर नया विवाद गहरा सकता है।
दलित समाज के लिए अलग से बाल्मिकी रविदास अखाड़े की मांग
महाकुंभ में सनातन धर्म की पताका फहरा रही है। सभी धर्माचार्य हिन्दू को एक जुट करने में लगेंगे है । कहीं बटेंगे तो कटेंगे के होर्डिंग्स लगाए जा रहे हैं तो सनातन को मजबूत करने के लिए धर्म संसद बुलाई जा रही हैं। इस बीच दलित संतों के बीच से उठी एक मांग ने अखाड़ों की प्रतिनिधि संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। श्री गुरु रविदास विश्व पीठ के पीठाधीश्वर रविदासाचार्य सुरेश राठौर ने अखाड़ा परिषद से दलितों के लिए अलग अखाड़े को मान्यता देने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर 1 फीसदी आबादी वाले किन्नर अखाड़े को जूना अखाड़े में मान्यता मिल सकती है तो देश में 30 फीसदी दलितों की आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले दलितों के रविदास बाल्मिकी अखाड़े की क्यों नहीं मिल सकती।
डिप्टी सीएम के सामने भी रखी मांग
एक तरफ जहां हिन्दू संगठन अपने दलित वोट बैंक को एकजुट करने के लिए कई तरह के समरसता अभियान चला रहे हैं वहीं प्रयागराज महाकुम्भ में दलित समाज से आने वाले पीठाधीश्वरों ने दलितों के लिए अलग से बाल्मिकी रविदास अखाड़ा बनाने की मांग करके नया पेंच पैदा कर दिया है।
रविदास बाल्मिकी अखाड़े का गठन कर चुके श्री गुरु रविदास विश्व पीठ के पीठाधीश्वर रविदासाचार्य सुरेश राठौर ने महाकुम्भ में यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को दलित संतों के साथ मिलकर ज्ञापन सौंपते हुए सरकार से इसे मान्यता देने की मांग उठाई है। रविदासाचार्य का कहना है कि उन्होंने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी से भी मुलाकात कर अपने समाज की बात सामने रखी है लेकिन उन्होंने उनकी मांग यह कहकर टाल दी कि सरकार से अनुमति ले कर वह इस पर फिर फैसला करेंगे। दलित संतों का कहना है कि अगर 1 फीसदी से भी कम आबादी वाले किन्नर समाज को किन्नर अखाड़े के रूप में मान्यता दी जा सकती है तो देश में 30 फीसदी आबादी वाले दलितों के बाल्मीकि रविदास अखाड़े को क्यों नहीं दी जा सकती। अब यह मांग सरकार के पाले में है ।