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1984 दंगाः मरते दम तक पीटा और जला दिया, एक दिन में मार दिये 2733 लोग

1984 दंगा मामले का दुखद पहलू यह है कि जब यह हत्याएं की जा रही थीं, तब पुलिस ने किसी को भी मौके से गिरफ्तार नहीं किया। पुलिस ने कहा हम संख्या बल में बहुत कम थे। इस दंगे में सिख यात्रियों को ट्रेन से खींचकर मार दिया गया था।

राम केवी
Published on: 16 Jan 2020 11:24 AM IST
1984 दंगाः मरते दम तक पीटा और जला दिया, एक दिन में मार दिये 2733 लोग
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नई दिल्लीः 1984 दंगा मामलों में सिख विरोधी हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) रिपोर्ट की सिफारिशों को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है। दोषी अफसरों पर अब कार्रवाई होगी। दल ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट पेश की। सिख विरोधी इस दंगे में सिर्फ दिल्ली में 2733 लोगों की जान गई थी। यह दंगा 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में भड़का था।

1984 दंगा मामले का दुखद पहलू यह है कि जब यह हत्याएं की जा रही थीं, तब पुलिस ने किसी को भी मौके से गिरफ्तार नहीं किया। पुलिस ने कहा हम संख्या बल में बहुत कम थे। इस दंगे में सिख यात्रियों को ट्रेन से खींचकर मार दिया गया था।

1984 दंगा मामले में दिसंबर 2018 में सिख विरोधी दंगों से जुड़े 199 मामलों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित दो सदस्यीय एसआईटी की रिपोर्ट में कई चौंका देने वाले खुलासे हुए हैं। इस टीम का नेतृत्व दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एसएन ढिंगरा कर रहे थे। इसमें सेवानिवृत्त आईपीएस राजदीप सिंह और आईपीएस अभिषेक दुलार भी शामिल थे। लेकिन, राजदीप सिंह ने निजी वजहों का जिक्र करते हुए इस जांच में शामिल होने से इनकार कर दिया था।

जहां तहां बिखरी पड़ी थीं लाशें

1984 दंगा मामलों की एसआईटी रिपोर्ट में कहा गयाहै कि स्थिति इतनी भयावह थी कि रेलवे स्टेशन व रेल पटरियों पर क्षत-विक्षत शव बिखरे पड़े हुए थे। दंगाइयों ने ट्रेन को रोका और चिह्नित कर सिख यात्रियों को खींच कर मार दिया। पुलिस ने किसी को नहीं पकड़ा कहा सारे दंगाई भाग गए। पुलिस ने अपराध के हिसाब से एफआईआर दर्ज न कर एक ही एफआईआर में कई शिकायतें दर्ज कर खानापूर्ति कर दी। गौरतलब है कि सुल्तानपुरी पुलिस स्टेशन को 337 शिकायतें भेजी गईं लेकिन पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की। ऐसे ही एक एफआईआर में 498 घटनाएं थीं।

समितियों के बाद समितियां बनती रहीं जिससे सालों तक केस दर्ज होने में देरी होती रही। कल्याणपुरी पुलिस स्टेशन का उदाहरण देते हुए कहा गया कि 56 लोगों की हत्या में केवल पांच हत्याओं पर दोष तय किया गया। बाकी का क्या हुआ कुछ पता नहीं। ट्रायल कोर्ट ने हर हत्या के लिए अलग से एफआईआर के आदेश क्यों नहीं दिये इसका भी पता नहीं चल सका है।



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राम केवी

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