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अब बीजेपी में चेहरे बदलने की तैयारी, युवाओं को मिलेगी जिम्मेदारी
उमाकांत लखेड़ा
नई दिल्लीः मोदी सरकार का चेहरा-मोहरा बदलने की कवायद पूरा होने के बाद अब बीजेपी संगठन व उसके सभी अग्रणी मोर्चों में बड़े फेरबदल की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। युवा चेहरों को मंत्री बनाने में तवज्जो के बाद यही तलाश संगठन में भी हो रही है। अटकलों का दौर उसी तर्ज पर है जिस तरह कैबिनेट में बदलाव के पहले ही महज अनुमान लगते रहे। इतना तय है कि पार्टी में बदलाव की सारी कसरत अमित शाह खुद करेंगे और जहां जरूरत होगी पीएम मोदी व संघ के पदाधिकारियों की सलाह लेंगे।
पूनम महाजन का पलड़ा भारी
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के दिवंगत नेता की सांसद बेटी पूनम महाजन का नाम युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के संभावित उम्मीदवारों में अभी सबसे आगे है। सहारनपुर के युवा सांसद राघव लखनपाल का नाम भी इस पद के संभावित दावेदारों में शामिल है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पूनम महाजन का पलड़ा इसलिए भारी है कि उन्हें पहले महिला मोर्चा का अध्यक्ष बनाने की पेशकश की गई थी, जो उन्होंने ठुकरा दी है। खुद पूनम चाहती हैं कि उन्हें युवा मोर्चे के मुखिया की जिम्मेदारी दी जाए। महाजन परिवार का महत्व महाराष्ट्र की राजनीति के लिहाज से अहम माना जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उनके मामा गोपीनाथ मुंडे की भी डेढ़ बरस पहले दिल्ली में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी।
अनुराग हटाए जाएंगे
बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद से हिमाचल के युवा सांसद अनुराग ठाकुर 41 साल के इस युवा सांसद को बदले जाने की चर्चा कई महीनों से चल रही थी, लेकिन ये कसरत पार्टी संगठन के बदलाव का ही अहम हिस्सा है। इसलिए यह काम भी कैबिनेट में बदलाव तक के लिए टाल दिया गया था। हिमाचल की हमीरपुर लोकसभा सीट से लोकसभा में पहुंचे अनुराग ठाकुर हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र हैं।
कौन हैं राघव लखनपाल?
राघव लखनपाल सहारनपुर के लोकप्रिय कांग्रेस नेता और यूपी के पूर्व मंत्री निर्भयपाल शर्मा के पुत्र हैं, जिनकी कई साल पहले पेशेवर अपराधियों ने हत्या कर दी थी। बीजेपी ने माना कि राघव लखनपाल की दावेदारी मजबूत इसलिए भी है कि उन्हें अगले साल के आंरभ में यूपी के चुनावों में युवा वर्ग व खास तौर पर बीजेपी के समर्थक वर्ग उच्च जातियों के युवाओं में जोश भरने का काम सौंपा जाएगा। इससे पहले उन्हें केंद्र में मंत्री बनाने की भी चर्चा चल रही थी, लेकिन बीजेपी उनका इस्तेमाल उप्र में करने को अभी ज्यादा तवज्जो देना चाहती है।
चुनावी राज्यों पर फोकस
सूत्रों के अनुसार बीजेपी संगठन में लिए जाने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं के बारे में संघ परिवार की भी खास सलाह ली जा रही है। सबसे ज्यादा जोर यूपी समेत उन प्रदेशों में दिया जा रहा है, जहां अगले दो साल में चुनाव होने हैं। जातियों के गणित के अलावा ऐसे युवा और नए चेहरों को भी तलाशा जा रहा है। बीजेपी सूत्रों के अनुसार अरसे से पार्टी पदों पर काबिज और निष्प्रभावी कई पुराने पदाधिकारियों की छुट्टी तय है। अमित शाह टीम में कई ऐसे नए चेहरों को भी लाने की तैयारी कर रहे हैं जिनका पिछला रिकॉर्ड अच्छा रहा है। पार्टी के एक भीतरी जानकार का मानना है कि संगठन में दायित्व सौंपे जाने के लिए मानदंड उसी तरह के हैं जिस तरह की प्राथमिकताएं कैबिनेट के चयन में अपनाई गई हैं। सिद्धार्थनाथ सिंह को राष्ट्रीय सचिव पद से पदोन्नति मिल सकती है। सिंह को उत्तर प्रदेश के मामलों में ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। वह देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती हैं।
सरोज का हटना तय
दूसरी ओर, महिला मोर्चा प्रमुख सरोज पांडेय का हटना लगभग तय है। उनके उत्तराधिकारी की भी तलाश जारी है। इसके अलावा विभिन्न जातियों और उप जातियों, खास तौर पर पिछड़ी जातियों, दलितों और आदिवासी वर्गों को भी इस बार बीजेपी में खूब अहमियत मिलनी तय है।