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मिस्टर क्लीन अखिलेश के आधे मंत्री दागी, 11 पर हत्या और अपहरण जैसे आरोप

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Published on: 9 Nov 2016 5:08 AM IST
मिस्टर क्लीन अखिलेश के आधे मंत्री दागी, 11 पर हत्या और अपहरण जैसे आरोप
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लखनऊः एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स नाम के एक एनजीओ ने अखिलेश यादव सरकार के मंत्रियों का कच्चा-चिट्ठा खोलकर रख दिया है। एनजीओ की रिपोर्ट कहती है कि मिस्टर क्लीन की छवि रखने वाले और अपराधियों को सपा में लेने से इनकार करने वाले अखिलेश के 56 मंत्रियों में से आधे यानी 28 मंत्री दागी हैं। इनमें से 11 पर तो हत्या, हत्या की कोशिश और अपहरण जैसे संगीन आरोप हैं।

किस मंत्री पर कितने मुकदमे?

दागी मंत्रियों पर रिपोर्ट के मुताबिक आठ मंत्रियों पर हत्या या हत्या की कोशिश के मामले हैं। सबसे ज्यादा आपराधिक मामले परिवार कल्याण मंत्री रविदास मेहरोत्रा पर हैं। उनके खिलाफ 17 मुकदमे हैं। इनमें से एक हत्या की कोशिश का है। कपड़ा मंत्री महबूब अली पर हत्या, डकैती और लूट मिलाकर 12 मुकदमे हैं। स्टांप और रजिस्ट्री मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर हत्या और डकैती के आठ मामले हैं।

और किन मंत्रियों पर मुकदमे?

अखिलेश सरकार में मंत्री शैलेंद्र यादव ललई, मनोज पांडेय, तेज नारायण पांडेय, अरविंद सिंह गोप, विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह, रामकरन आर्य, जगदीश सोनकर, रामसकल गुर्जर, आजम खान, शंखलाल माझी, कैलाश चौरसिया, राधेश्याम सिंह, ब्रह्माशंकर त्रिपाठी, दुर्गा प्रसाद यादव, सुरेंद्र पटेल, राममूर्ति सिंह, रियाज अहमद, इकबाल महमूद, गायत्री प्रजापति, नरेंद्र सिंह वर्मा, साहब सिंह, मनपाल सिंह, यासर शाह, एसपी यादव और मूलचंद चौहान भी कई मामलों में आरोपी हैं।

आगे की स्‍लाइड में पढ़ें अखिलेश के 40 मंत्री हैं करोड़पति ...

40 मंत्री हैं करोड़पति

अखिलेश के मंत्रीमंडल में 40 मंत्री करोड़पति हैं। इनमें सबसे ज्यादा संपत्ति धमार्थ कार्य मंत्री विजय कुमार मिश्रा के पास है। उनकी संपत्ति 9.51 करोड़ है। जबकि खुद सीएम अखिलेश की संपत्ति 8.84 करोड़ और मध्यम और छोटे उद्योगों के मंत्री नितिन अग्रवाल के पास 7.85 करोड़ की संपत्ति है। सबसे कम संपत्ति वाले वन राज्य मंत्री तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय (66,612 रुपए), माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री विजय बहादुर पाल (18.37 लाख रुपए) और सामाजिक सुधार राज्य मंत्री बंशीधर बौद्ध (23.22 लाख रुपए) हैं।

कैसे लोग उम्मीदवारी की दौड़ में?

एनजीओ ने सूबे की 60 विधानसभा सीटों का दौरा किया। लोगों के बैनर, पोस्टर और होर्डिंग देखे। इनसे अंदाजा लगाया गया कि दलों से टिकट चाहने वाले करीब 2200 लोगों में से 21 फीसदी ठेकेदार, 18 फीसदी बिल्डर, 17 फीसदी स्कूल-कॉलेज के मालिक, 13 फीसदी खनन से जुड़े लोग और 15 फीसदी चिटफंड चलाने वाले लोग हैं।



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