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यूं ही आगरा में नहीं जुटी अखिलेश की सपा, जानिए इसकी खास वजह

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Published on: 5 Oct 2017 5:13 AM GMT
यूं ही आगरा में नहीं जुटी अखिलेश की सपा, जानिए इसकी खास वजह
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आगरा: राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले हुई प्रेस वार्ता में अखिलेश यादव ने अपने आगरा प्रेम का इजहार किया और बताया कि आगरा हमेशा से उनके लिए लकी रहा है। आगरा में समाजवादियों को कुनबा यूं ही नहीं जुटा। राष्ट्रीय कार्यसमिति और खुला अधिवेशन करने और इन्ही तिथियों में आयोजित किए जाने के पीछे खास कारण है।

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अखिलेश यादव की सपा को बरकरार रखने के लिए 8 अक्टूबर तक चुनाव आयोग में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की चुनाव प्रक्रिया को दाखिल करना है। उसके बाद पार्टी पर युवा तुर्क अखिलेश यादव की पकड़ और अधिक मजबूत हो जाएगी। सपा को आगरा में कभी मनचाही सफलता तो नहीं मिली, लेकिन पार्टी के लिए लकी जरूर रहा। यही गुड लक फिर अखिलेश यादव की सपा को यहां खींच लाया है। आगरा में इन तिथियों में राष्ट्रीय कार्यकारिणी और खुला अधिवेशन करने की भी यही खास वजह है।

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दरअसल बीते 1 साल से अधिक समय से सपा अंदरुनी कलह के दौर से गुजर रही है। शिवपाल के तेवरों और मुलायम सिंह की नसीहतों ने कुछ समय तो समाजवादियों को उलझन में रखा, लेकिन वक्त के साथ तस्वीर साफ होती गई। बीते विधानसभा चुनाव में सपा से सत्ता चली गई हो, लेकिन पार्टी अखिलेश की हो गई। वह इस पूरे घटना क्रम के बाद एक मंझे हुए राजनीतिक के रुप में उभर कर आए हैं। पार्टी के आंतरिक मोर्चे के हालात तो उन्होंने काफी हद तक कम कर लिए, मगर अब कानूनी मोर्चा फतह करना जरूरी है।

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पहली कानूनी लड़ाई तो वे विधानसभा चुनाव से पूर्व तब जीते, जब वह साइकिल का सिंबल अपने पाले में रखने में कामयाब हो गए थे। लखनऊ में हुए विशेष अधिवेशन में उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। मगर पार्टी संविधान में अध्यक्ष का चुनाव हर 3 साल में किए जाने का प्रावधान है, वह समय सीमा भी पूरी हो रही।

सपा में जब अधिकार की लड़ाई छिड़ी तो पार्टी के सक्रिय सदस्यों के शपथ पत्र दिए गए थे। तब आगरा के भी 69 सक्रिय सदस्यों ने एफिडेविट दिए थे। तब विशेष अधिवेशन की प्रक्रिया आयोग में दाखिल की गई थी।

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