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बैठक में बोले PM मोदी-GST राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा,श्रेय लेने का नहीं

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Published on: 17 July 2016 4:09 PM GMT
बैठक में बोले PM मोदी-GST राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा,श्रेय लेने का नहीं
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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को विपक्ष से मानसून सत्र में जीएसटी बिल पारित कराने में मदद करने की अपील की। संसद का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हो रहा है। सरकार की ओर से बुलाए गए इस सर्वदलीय बैठक में पीएम ने कहा कि 'जीएसटी का राष्ट्रीय महत्व है। यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसका श्रेय केंद्र सरकार लेना चाहेगी। मैं आशा करता हूं कि सार्थक संवाद के जरिए जीएसटी समेत महत्वपूर्ण बिल मानसून सत्र में पारित हो जाएं।'

क्या कहा पीएम मोदी ने ?

पीएम मोदी ने कहा कि 'राष्ट्रीय हित के लिए हम सभी नागरिकों और दलों का प्रतिनिधित्व करते हैं।' पीएम की बातों को उस संदर्भ में देखा जा रहा है जिसमें सुधार कानून को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है। कांग्रेस इस बिल को पारित कराने में लंबे समय से रोड़ा लगा रही है।

'जीएसटी बिल पर पुख्ता प्रस्ताव चाहिए'

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'जब केंद्र और राज्यों के बीच अविश्वास का माहौल है तो बात आगे कैसे बढ़ सकती है?' वहीं कांग्रेस के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि 'हम सरकार से जीएसटी बिल पर पुख्ता प्रस्ताव चाहते हैं। यदि हमें बताया जाए कि सरकार तीन विवाद के मुद्दों को लेकर क्या कर रही है, तो हम अपना विरोध वापस ले लेंगे।'

वित्त मंत्री मिले थे कांग्रेसी नेताओं से

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल कहा था कि सरकार बिल को लेकर कांग्रेस की असहमति को दूर करने की कोशिश कर रही है। शुक्रवार को जेटली ने कांग्रेस के कई बड़े नेताओं से इस बिल को लेकर मुलाकात की थी।

कांग्रेस ने रोक रखा है बिल

खासकर राज्यसभा से जहां संख्या बल से कांग्रेस अब तक इस बिल को रोके रखने में कामयाब रही है। हालांकि कांग्रेस की ओर से अभी तक इस बारे में अंतिम तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। सरकारी पक्ष का कहना है आजाद और शर्मा से उसकी बातचीत अच्छी रही थी।

कांग्रेस की रणनीति

दूसरी ओर, मानसून सत्र से पहले कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर जीएसटी बिल सहित अहम मुद्दों पर अपनी रणनीति तैयार करने के लिए चर्चा की।

क्या है जीएसटी ?

जीएसटी बिल स्वतंत्र भारत में कर सुधार कानून के लिए लाया गया पहला ऐसा प्रस्ताव है जो देश की राजस्व व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन कर देगा। यह देश के 29 राज्यों में केंद्रीय कर प्रणाली और लेवी की मौजूदा व्यवस्था की जगह लेगा।

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