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उत्तर प्रदेश में अवैध खनन पर हाईकोर्ट सख्त, दिए सीबीआई जांच के आदेश
इलाहाबाद: इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश में अवैध खनन पर कड़ा रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश जारी कर दिये हैं। अवैध खनन को लेकर कोर्ट ने राज्य सरकार के रवय्ये पर भी तीखी टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने सीबीआई से पूरे राज्य में खनन और उसमें शामिल अधिकारियों के गठजोड़ पर अपनी प्राथमिक रिपोर्ट 6 हफ्ते में देने को कहा है।
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-यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वीके शुक्ला और न्यायाधीश एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने विजय कुमार द्विवेदी और कई अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद जारी किया।
-चुनाव से पहले हाईकोर्ट का यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार के लिये बड़ा झटका माना जा रहा है। खास कर इसलिए, कि कोर्ट ने सीबीआई से इन गतिविधियों में शामिल सरकारी तंत्र का खुलासा करने को भी कहा है।
-याचिकाकर्ता का कहना था, कि 31 मई 2012 को ही समाप्त हो चुके खनन पट्टे अधिकारियों ने गैरकानूनी ढंग से इस आधार पर बढ़ा दिये, कि कोर्ट के स्टे ऑर्डर के कारण पट्टाधारी अपने पट्टों का खनन नहीं कर सके।
-हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव, खनन और अन्य संबंधित अधिकारियों से खान और खनिजों का अवैध उत्खनन रोकने को कहा था, लेकिन खनन नहीं रुका।
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-सभी जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि जिलाधिकारी अपने क्षेत्रों में खनन न होने का दावा करने वाले झूठे शपथपत्र दाखिल कर रहे हैं।
-जबकि सच यह है, कि खनन अधिकारियों की मदद से राज्य में अवैध खनन का धंधा धड़ल्ले से जारी है।
-प्रमुख सचिव, खनन द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल शपथपत्र से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ।
-कोर्ट ने कहा कि नदियों से अवैध खनन की शिकायतें आ रही हैं और सरकार को दिखायी नहीं दे रहा।
-कोर्ट ने प्रमुख सचिव से कहा था कि सेटेलाइट मैपिंग करायी जाए ताकि अवैध खनन का पता चल सके।
-इसके जवाब में प्रमुख सचिव ने प्रदेश में ऐसी तकनीक न होने के कारण सेटेलाइट मैपिंग कराने में असमर्थता प्रकट की थी।
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-खंडपीठ ने कहा कि प्रमुख सचिव का शपथपत्र गलत बुनियाद पर एक गैरजिम्मेदाराना शपथपत्र है।
-बेंच ने आगे कहा कि प्रमुख सचिव के शपथपत्र में अवैध खनन पर रोक लगाने के लिये एक समिति के गठन की बात महज आई वॉश है।
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-खंडपीठ ने कहा, "शपथपत्र में एक भी ऐसी घटना का जिक्र नहीं है जिसमें समिति ने कोई कार्रवाई की हो।"
-कोर्ट ने इसके बाद सीबीआई से राज्य भर में अवैध खनन की जांच करके अपनी प्राथमिक रिपोर्ट 6 हफ्तों में देने के आदेश दिये।
-हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिये 8 सितंबर की तारीख तय की है।
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