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HC: अब प्रशासन की अनुमति के बिना नहीं निकाल सकेंगे धार्मिक जुलूस

aman
By aman
Published on: 8 Sept 2017 8:51 PM IST
HC: अब प्रशासन की अनुमति के बिना नहीं निकाल सकेंगे धार्मिक जुलूस
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HC: अब प्रशासन की अनुमति के बिना नहीं निकाल सकेंगे धार्मिक जुलूस

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि जिला प्रशासन व पुलिस की अनुमति के बिना राजधानी में धार्मिक जुलूस नहीं निकलने दिए जाएंगे। वहीं, कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि ऐसी अनुमति देते समय ख्याल रखा जाए कि जुलूसों का रूट सरकारी अस्पतालों के सामने से होकर न गुजरे।

चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने यह आदेश आशीष त्रिपाठी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया।

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याचिका में ये कहा

याचिका में लखनऊ शहर में जिला व पुलिस प्रशासन की अनुमति के बिना निकलने वाले धार्मिक जुलूसों पर रोक की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था, कि ऐसे जुलूसों से ट्रैफिक जाम की समस्या होती है। इसके अलावा ऐसे जुलूस जब बड़े अस्पतालों के सामने से गुजरते हैं तो मरीजों को भी काफी दिक्कत होती है।

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तय संख्या से अधिक जुलूस निकाले जा रहे

मामले पर पूर्व में सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता सीबी पांडेय ने तर्क दिया था कि वर्ष 1999 में प्रशासन ने शिया व सुन्नी पक्ष के लोगों के बीच समझौता कराया था जिसके अनुसार शिया व सुन्नी समुदाय द्वारा निकाले जाने वाले जुलूसों की संख्या तय की गई थी। लेकिन समझौते के विपरीत राजधानी में इस समय तय संख्या से अधिक जुलूस निकाले जा रहे हैं।

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महाधिवक्ता ने दिया आश्वासन

महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट के समक्ष आश्वासन दिया कि जिला व पुलिस प्रशासन के अनुमति के बिना धार्मिक जुलूस नहीं निकलने दिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए कहा, कि अनुमति देते समय इस बात का ध्यान भी रखा जाए, कि इससे जनता को असुविधा न हो और जहां तक संभव हो ऐसे जुलूसों का रूट बड़े सरकारी अस्पतालों के सामने से होकर न गुजरे।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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