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सामने आएंगे बनारस के कई रहस्य, विश्वनाथ मंदिर के पास शुरू हुई खुदाई
वाराणसीः काशी का इतिहास लगभग पांच हजार साल पुराना है। एक बार फिर इसी प्रामाणिकता की जांच और काशी की प्राचीनता का रहस्य जानने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और ज्ञान प्रवाह के संयुक्त प्रयास से काशी विश्वनाथ मंदिर के पास खुदाई की जा रही है।
इस बार 1400 ईसा पूर्व के काशी के इतिहास की व्यापकता को जानने के लिए यह अहम अभियान शुरू किया गया है। यह खोज पुरातत्व विभाग और पुराविद प्रो. विदुला जायसवाल के निर्देशन में चल रहा है। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यहां कुछ और महत्वपूर्ण अवशेष मिल सकते हैं। इसमें जून महीने तक का वक्त लग सकता है।
खुदाई के दौरान दिखा मट्टी के बर्तन
कई सवालों के जवाब ढूंढने के प्रयास
-काशी को विश्व के प्राचीनतम शहरों में एक कहा जाता है।
-काशी कब बसी थी इस शहर का निर्माण कब हुआ था, ऐसे कई रहस्यों का आज भी सही आंकलन नहीं हो पाया है।
-काशी की प्राचीनता जानने के लिए इस शहर का कई बार पुरातात्विक सर्वेक्षण किया गया है।
-एक बार फिर इस रहस्य को जानने के लिए पुरातत्वविद जुटे हैं।
पक्का महाल की संस्कृति का पता लगाने के प्रयास
-अस्सी घाट से लेकर राजघाट के करीब तक गंगा किनारे बसे बनारस को पक्का महाल कहा जाता है।
-पुरातत्वविद प्रो.मृदुला जायसवाल के मुताबिक इस बार काशी का सबसे प्राचीन इलाका कहे जाना वाला पक्का महाल की संस्कृति का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
-ऐसा माना जाता है कि बनारस और बनारसी संस्कृति का वास्तविक प्रतिनिधि यही हिस्सा है।
-पक्के महाल से काशी को जानने के लिए सात सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम इस काम में लगी है।
पक्का महाल बस्ती 3 हज़ार साल पुरानी
-इस शहर में कई संस्कृति का मिश्रण है।
-शुरुआती अध्ययन के आधार पर पक्का महाल बस्ती 3 हज़ार साल या इससे भी पुरानी हो सकती है।
-इस स्थान पर 15 से 20 मीटर तक खुदाई होनी है। यह काम जून महीने तक चलेगा।
18 सौ ईसा पूर्व के मिल चुके हैं अवशेष
-ऐसा नहीं है कि वाराणसी के प्राचीनता की खोज पहली बार हुई है।
-इसके पहले भी वाराणसी के रामनगर और अकथा में खुदाई हो चुकी है।
-यहां से वाराणसी के 18 सौ ईसा पूर्व के अवशेष मिले थे।
-अब शहर के मध्य स्थित विश्वनाथ मंदिर के पास खुदाई कर 14 सौ इसा पूर्व के इतिहास को खोजने के प्रयास चल रहे हैं।
पक्का महाल इलाके की गलियां
अब तक कई स्थानों पर हो चुकी है खुदाई
-इसके पहले भी शहर में सारनाथ, अखरी, रामनगर, राजघाट सहित कई स्थानों पर खुदाई कर सर्वेक्षण किया गया है। -शहर में हर स्थान पर अलग-अलग परिणाम मिलते रहे हैं।
-अभी तक प्राप्त अवशेषों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि यह शहर 3 से 4 हज़ार साल पहले बसाया गया था।
-लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है।