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सियाचिन से जिंदा लौटे जवान को महिला ने की किडनी डोनेट करने की पेशकश

दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र और बर्फीले रेगिस्तान सियाचिन में एक चमत्कार देखने को मिला। हिमस्खलन के 6 दिन बाद बर्फ में दबे दस जवानों में एक लांस नायक जीवित मिला है। लांस नायक का नाम हनुमनथप्पा कोप्पड़ है। उसकी हालत नाजुक लेकिन स्थिर है। जवान को बेहतर इलाज के लिए विशेष विमान से दिल्ली के आर्मी अस्पताल लाया गया है। उन पर डाक्टरों की पूरी टीम लगातार निगाह बनाए हुए है।

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Published on: 9 Feb 2016 2:24 PM IST
सियाचिन से जिंदा लौटे जवान को महिला ने की किडनी डोनेट करने की पेशकश
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लखीमपुर: सियाचिन में 25 फीट बर्फ के नीचे 6 दिन तक दबे रहने के बाद जिन्दा मिले लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ को यूपी के लखीमपुर की रहने वाली महिला ने किडनी डोनेट करने की घोषणा की है। किडनी डोनेट करने वाली महिला का नाम निधि पांडेय है और वह लखीमपुर के पड़रिया गांव की रहने वाली हैं। हनुमनथप्पा की हालत स्थिर है लेकिन उनका ब्लड प्रेशर काफी का लो है और किडनी सही से काम नहीं कर रही। जवान को बेहतर इलाज के लिए विशेष विमान से दिल्ली के आर्मी अस्पताल लाया गया है। उन पर डाक्टरों की पूरी टीम लगातार निगाह बनाए हुए है।

पति और बच्चों के साथ निधि पांडेय पति और बच्चों के साथ निधि पांडेय

पत्नी ने मिलने की इच्छा जताई

थप्पा की पत्नी ने दिल्ली में अपने पति से मिलने की इच्छा व्यक्त की है। उनका कहना है कि वह उनसे मिलना चाहती है। वह पति की सलामती की दुआ मांगने मंदिर भी गई थीं। इसके अलावा हनुमनथप्पा के अन्य परिजन भी उसके जीवित मिलने से काफी खुश हैं।

कौन हैं निधि पांडेय ?

-निधि पांडेय एक हाउस वाइफ हैं। उनके पति का नाम दीपक है। वो प्राइवेट बस कंपनी के मैनेजर हैं। साथ ही गांववाले उन्हें एक सोशल वर्कर के तौर पर भी जानते हैं।

- दोनों का एक तीन साल का बेटा भी है। दोनों पति-पत्नी हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।

- निधि के पति दीपक ने भी सीतापुर आई बैंक में अपनी आंखें डोनेट कर रखी हैं। इतना ही नहीं वो 16 बार रक्तदान भी कर चुके हैं।

- निधि ने टीवी पर हेल्पलाइन नंबर देखकर फोन किया था। पति दीपक ने भी कहा कि उन्हें पत्नी के फैसले पर गर्व है।

क्या हुआ था?

करीब 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित अग्रिम पोस्ट पर मद्रास रेजीमेंट की टुकड़ी तीन फरवरी को बर्फीले तूफान की चपेट में आ गई थी। जेसीओ सहित दस जवान बर्फ में दब गए थे।

जवानों को तलाशने का काम जारी रहा

सेना और वायु सेना की टीम ने राहत और बचाव के लिए दो दिनों तक सघन अभियान चलाया था। सेना और वायुसेना के बचाव दल ने अपने खोजी कुत्तों और अत्याधुनिक सेंसरों और उपकरणों के सहारे तलाशी अभियान चलाया। लेकिन सारे प्रयास नाकाम रहे थे। फिर भी सेना की ओर बताया गया था कि जवानों को तलाशने का काम जारी रहा।

बर्फ के नीचे दबे हुए थे।

सोमवार देर रात सेना की उत्तरी कमान के कमांडर ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया है कि हनुमनथप्पा 25 फीट बर्फ में दबे हुए थे। उन्हें गंभीर हालत में सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

-45 डिग्री तापमान में भी जिंदा

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक जिस इलाके में बर्फीला तूफान आया था, वहां रात का न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 45 डिग्री तक चला जाता है, जबकि दिन का अधिकतम तापमान भी शून्य से नीचे 25 डिग्री के आसपास ही रहता है।



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