×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

क्या पश्चिमी एशिया के देशों के लिए मध्यस्थ बनेंगे नरेंद्र मोदी?

aman
By aman
Published on: 12 Feb 2018 1:01 PM IST
क्या पश्चिमी एशिया के देशों के लिए मध्यस्थ बनेंगे नरेंद्र मोदी?
X

ये वो कांग्रेस नहीं जो अब तक गुजरात में थी vinod kapoor

लखनऊ: गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए साम्प्रदायिक दंगे ने तत्कालीन सीएम और वर्तमान में देश के पीएम नरेंद्र मोदी के पूरे व्यक्तित्व को दागदार कर दिया गया था। उनकी छवि मुस्लिम विरोधी और कट्टर हिंदूवादी नेता की थी। गुजरात दंगे के बाद तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उन्हें राष्ट्र धर्म निभाने यानि गुजरात के सीएम की कुर्सी छोड़ देने की सलाह दी थी। देश में ही नहीं विदेश में भी मोदी की छवि मुस्लिम विरोधी की बन गई थी। यहां तक कि अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से भी इंकार कर दिया था। मोदी पर अमरीका का ये प्रतिबंध लंबे समय तक चला। यहां तक कि उनके प्रधानमंत्री बनने तक।

मोदी जब पीएम बने तो देश के मुसलमान भी आशंकित थे। उन्हें डर था कि देश के लिए अच्छे दिन भले आ जाएं लेकिन उनके बुरे दिन शुरू हो गए हैं। बीच-बीच में बचकाने बीजेपी नेताओं की बचकाने बयान ने उनकी आशंकाओं को और पुख्ता ही किया। मोदी ने जब इजरायल का दौरा किया और इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत दौरा किया तो पश्चिम एशिया के मुस्लिम देश भी इस आशंका से घिर गए, कि मोदी की मुस्लिम विरोधी नीति कायम है। उस पर कोई फर्क नहीं आया है।

धीरे-धीरे कम हुआ डर

मोदी की सरकार के चार साल पूरे होने तक ये डर धीरे-धीरे कम हुआ। तीन तलाक पर जब उनकी सरकार ने कानून बनाकर कड़ा रुख अपनाया तो मुस्लिम महिलाओं ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठा लिया। उन्हें लगा, कि कानून बन जाने से तलाक का डर जो हमेशा बना रहता है, वो अब खत्म हो जाएगा।

मोदी के लिए 'दुश्मन देश' साथ आए

पीएम अभी पश्चिम एशिया के दौरे पर हैं। इस दौरे से उनकी छवि विश्व नेता की बनी है। नेतन्याहू ने भी अपने भारत दौरे में उन्हें क्रांतिकारी और विश्व नेता बताया था। उनके दौरे के दौरान ऐसा विरला संयोग हुआ जो विश्व के किसी देश के नेता के साथ शायद ही हुआ हो। तीन देशों के दौरे पर निकले मोदी जॉर्डन के रॉयल एयरफोर्स चॉपर से फिलिस्तीन पहुंचे और उन्हें हवाई सुरक्षा देने वाला देश इजराइल था, जबकि स्वागत करने वाले फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री रामी हमदल्ला थे। इस तरह अपने दौरे में पहले देश पहुंचने के दौरान ही पीएम मोदी ने तीन देशों को अपने कार्यक्रम में शामिल कर लिया। ये संयोग इसलिए खास है क्योंकि पीएम मोदी की अगवानी के लिए ये तीनों 'दुश्मन देश' एक-दूसरे के साथ आए जो उनके रुतबे को दिखाता है।

...फिर तो गुमान करना लाजिमी है

इजराइल और फिलिस्तीन के बीच बिल्कुल भारत-पाकिस्तान जैसे रिश्ते हैं। वहीं, सन 1948 में देश के तौर पर जन्मे इजराइल और पड़ोसी जॉर्डन के बीच भी शांति समझौता होने के बावजूद युद्ध की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में जब तीन दुश्मन देश भारत के पीएम की अगवानी में दुश्मनी भूलकर अपना प्लेन, गनशिप और नेतृत्व की तिकड़ी साथ ले आए, तो उसपर गुमान करना लाजिमी है।

क्या मोदी निभाएंगे मध्यस्थ की भूमिका?

अब सवाल ये उठ रहा है, कि जिस मोदी की छवि मुस्लिम विरोधी की रही है, क्या वो इजराइल-फिलिस्तीन के रिश्तों में मध्यस्थ की बड़ी भूमिका निभा सकते हैं? फिलिस्तीन ने तो साफ तौर पर भारत से क्षेत्र में अपना दखल बढ़ाने की मांग की है। क्या पश्चिम एशिया का आसमान जो अक्सर रॉकेटों और बारूद की गंध से भरा रहता है, क्या वो अब साफ हो पाएगा? इजरायल अक्सर फिलिस्तीन के विद्रोही गुट हमास पर हमला करता रहता है। हमास फिलिस्तीन का चरमपंथी गुट है जो सबसे संवेदनशील गाजा इलाके पर कब्जा किए हुए है। इस गुट ने फिलिस्तीन के सत्ताधारी फतह गुट को गाजा इलाके से खदेड़ दिया और कब्जा कर लिया है। हमास को दुनिया में एक आतंकवादी संगठन के रूप में जाना जाता है तो इजरायल की छवि भी एक युद्ध देश की ही है।

दरअसल, अपने गठन के बाद से ही इजरायल ने फिलिस्तीन में अपने अधिकार को लेकर युद्ध का रास्ता अपनाया था लेकिन यासिर अराफात के नेतृत्व में फिलिस्तीन ने दुनिया भर में अपने प्रति संवेदना बना ली थी और अरब राष्ट्रों के साथ इजरायल के युद्ध में भारत ने फिलिस्तीन का ही साथ दिया था। बाद में भारत ने अपनी इजरायल नीति में परिवर्तन किया ,और उसके रिश्ते अच्छे होने लगे। मोदी इजरायल का दौरा करने वाले देश के पहले पीएम भी बने। अब विश्व राजनीति के जानकार लोगों में इस बात की चर्चा होने लगी है कि मोदी इजरायल, जार्डन और फिलीस्तीन के बीच रिश्तों को मधुर बनाने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं।



\
aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story