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प्रेम के प्रतीक ताज पर धब्बा, परिसर का एक हिस्सा बन गया है कूड़ाघर

Rishi
Published on: 17 May 2016 8:50 PM GMT
प्रेम के प्रतीक ताज पर धब्बा, परिसर का एक हिस्सा बन गया है कूड़ाघर
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आगराः आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) अफसरों की एक गलती की वजह से ताजमहल परिसर का एक हिस्सा कूड़ेघर में बदल गया है। दरअसल, यहां पीजी फायबर नाम की निजी कंपनी को सफाई का ठेका मिला हुआ था। ठेका खत्म हुआ तो कंपनी ने कूड़ा उठवाना बंद कर दिया। एएसआई को नए सिरे से ठेका देना चाहिए था, लेकिन अफसरों ने ऐसा किया नहीं। नतीजे में ताजमहल परिसर में घूमने वाले लोग कूड़ा भी देख रहे हैं।

taj-kuda-1 ताजमहल परिसर में कूड़े के पास से गुजरते लोग

कूड़े का अंबार देख रहे हैं लोग

-ताजमहल में हर रोज हजारों पर्यटक घूमने आते हैं।

-वे शू कवर और पानी की बोतलें कूड़ेदान में फेंक जाते हैं।

-पहले निजी कंपनी कूड़ेदानों को साफ कराती थी, अब ऐसा नहीं हो रहा।

-पर्यटक जो कूड़ा फेंककर जाते हैं, उसे परिसर में ही एक जगह इकट्ठा कराया जा रहा है।

-यहां आने वाले लोग भी कूड़े का अंबार देखकर हैरानी जता रहे हैं।

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डीएम-प्रमुख सचिव को नहीं दिखा कूड़ा

हैरानी की बात यह भी है कि सोमवार को ही डीएम पंकज कुमार और प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ताज के अंदर वर्ल्ड बैंक की टीम के साथ गए थे। कूड़ा जहां ढेर है, वहां से भी गुजरे, लेकिन दोनों अफसरों ने किसी से पूछताछ की जहमत नहीं उठाई।

taj-kuda-3 ताजमहल परिसर में लगा कूड़े का अंबार

टिकट महंगा, सुविधाएं जस की तस

-ताजमहल में बीते दिनों टिकट की दर को दोगुना किया गया है।

-एएसआई पथकर भी वसूल कर रहा है।

-ताज से अभी लगभग 64 करोड़ रुपए सालाना की कमाई एएसआई को होती है।

-सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं कराया गया है।

क्या कहते हैं एएसआई के अफसर?

पुरातत्व अधिकारी राम रतन ने कहा कि निजी कंपनी को नए सिरे से ठेका दिया जाना था, लेकिन उसके कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। पहले 14 लोग सफाई की व्यवस्था देखते थे, अब चार ही बचे हैं। जहां कूड़ा रखवाया है, वहां पर्यटकों की नजर नहीं पड़ती है।

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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