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असम में NRC का फाइनल ड्राफ्ट जारी, 40 लाख लोगों की नागरिकता अवैध घोषित
गुवाहाटी: असम में आज नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का अंतिम मसौदा जारी कर दिया गया है। इस ड्राफ्ट में 40,07,707 लोगों को अवैध माना गया। आज राजसभा में भी इस मुद्दे पर बहस चल रही है। राज्यसभा के अंदर विपक्ष के हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया गया है।
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2 करोड़ 89 लाख लोगों को माना गया वैध नागरिक
असम में वैध नागरिकता के लिए 3,29,91,384 लोगों ने आवेदन किया था। एनआरसी पर जारी मसौदे के अनुसार 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों को वैध नागरिक मान लिया गया है। जबकि 40,07,707 लोगों को अवैध माना गया है।
40 लाख लोग हो सकते है बेघर
एनआरसी पर जारी मसौदे की माने तो 40 लाख से ज्यादा लोगों को बेघर होना पड़ सकता है। जिन लोगों को बेघर घोषित किया गया है, उनके बारे में कहा जा रहा है कि जिनकी कागजी कार्रवाई पूरी नहीं हुई हो, या फिर वो जो अपनी नागरिकता ठीक से साबित नहीं कर सके हों तो ऐसे लोगों के लिए बेघर होना ही एकमात्र रास्ता बचेगा।
तृणमूल कांग्रेस ने संसद में की स्थगन की मांग
एनआरसी को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने संसद में स्थगन प्रस्ताव लाने की मांग की है. वहीं आरजेडी ने इस पर राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। एनआरसी मसौदे को लेकर पूरे राज्य में सुरक्षा के बेहद सख्त इंतजाम किए गए हैं। ऐहतियातन सीआरपीएफ की 220 कंपनियों को भी तैनात कर दिया गया है।
जारी हो गया ड्राफ्ट
एनआरसी के मसौदे को ऑनलाइन और समूचे राज्य के सभी एनआरसी सेवा केन्द्रों (एनएसके) में सुबह दस बजे से पहले प्रकाशित कर दिया गया। इससे पहले इसे दोपहर तक जारी करने की बात हो रही थी।उन्होंने बताया कि एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नाम, पते और फोटोग्राफ होंगे जो 25 मार्च, 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं।
लिस्ट में जिनके नाम नहीं, उन्हें फिर मिलेगा मौका
एनआरसी के राज्य समन्वयक ने कहा कि अगर वास्तविक नागरिकों के नाम दस्तावेज में मौजूद नहीं हों तो वे घबराएं नहीं, बल्कि उन्हें (महिला/पुरुष) संबंधित सेवा केन्द्रों में निर्दिष्ट फॉर्म को भरना होगा। ये फॉर्म सात अगस्त से 28 सितंबर के बीच उपलब्ध होंगे और अधिकारियों को उन्हें इसका कारण बताना होगा कि मसौदा में उनके नाम क्यों छूटे। इसके बाद अगले कदम के तहत उन्हें अपने दावे को दर्ज कराने के लिए अन्य निर्दिष्ट फॉर्म भरना होगा, जो 30 अगस्त से 28 सितंबर तक उपलब्ध रहेगा।
सात जिलों में धारा 144 लागू
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए समूचे राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जिला उपायुक्तों एवं पुलिस अधीक्षकों को कड़ी सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है। बारपेटा, दरांग, दीमा, हसाओ, सोनितपुर, करीमगंज, गोलाघाट और धुबरी समेत 14 जिलों में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई है।
अधिकारी के अनुसार पुलिस अधीक्षकों ने अपने-अपने संबंधित जिलों में संवेदनशील इलाकों की पहचान की है। किसी भी अप्रिय घटना खासकर अफवाह से होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए स्थिति पर बेहद सावधानी से निगरानी बरती जा रही है। असम एवं पड़ोसी राज्यों में सुरक्षा चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए केन्द्र ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 220 कंपनियों को भेजा है।
मुख्यमंत्री ने की बैठक
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने एनआरसी मसौदे जारी होने के मद्देनजर हाल में उच्चस्तरीय बैठक की और अधिकारियों को सतर्क रहने तथा मसौदे में जिन लोगों के नाम नहीं होंगे, उनके दावों एवं आपत्तियों की प्रक्रिया की व्याख्या एवं मदद के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे एनआरसी मसौदा सूची पर आधारित किसी मामले को विदेश न्यायाधिकरण को नहीं भेजें।
28 सितंबर तक ही भर सकते हैं फॉर्म
आवेदक अपने नामों को निर्दिष्ट एनआरसी सेवा केन्द्र जाकर 30 जुलाई से 28 सितंबर तक सभी कामकाजी दिनों में सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक देख सकते हैं। एनआरसी उच्चतम न्यायालय की निगरानी में अपडेट किया जा रहा है। इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी कह चुके हैं कि लोगों को इसमें आपत्ति दर्ज कराने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाएगा। राजनाथ ने कहा कि 15 अगस्त 1985 को असम समझौते पर किए गए हस्ताक्षर के अनुसार, एनसीआर को अपडेट किया जा रहा है और पूरी प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार चल रही है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत लगातार इस प्रक्रिया की निगरानी कर रही है।
अवैध रूप से रह रहे लोगों की होगी पहचान
बता दें कि असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को निकालने के लिए सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) अभियान चलाया है। दुनिया के सबसे बड़े अभियानों में गिने जाने वाला यह कार्यक्रम डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट आधार पर है।यानी कि अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहले पहचान की जाएगी फिर उन्हें वापस उनके देश भेजा जाएगा। असम में घुसपैठियों को वापस भेजने के लिए यह अभियान करीब 37 सालों से चल रहा है। 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान वहां से पलायन कर लोग भारत भाग आए और यहीं बस गए। इस कारण स्थानीय लोगों और घुसपैठियों के बीच कई बार हिंसक झड़पें हुईं. 1980 के दशक से ही यहां घुसपैठियों को वापस भेजने के लिए आंदोलन हो रहे हैं।
जनवरी में आया था पहला ड्राफ्ट
बीते जनवरी माह में असम में सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का पहला ड्राफ़्ट जारी किया था।इसमें 3.29 करोड़ लोगों में से केवल 1.9 करोड़ को ही भारत का वैध नागरिक माना गया है।