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अटल जी, आपके आ जाने से कितनी बदल गई देश की राजनीति
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के युग पुरुष और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत अभी नाजुक है। ऐसे में लोगों द्वारा दुआओं का सिलसिला जारी है। बता दें, उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। वाजपेयी 1942 से 2004 तक राजनीति में सक्रिय रहे लेकिन हम आज आपको वो बताने वाले हैं जो शायद आपको पता नहीं होगा।
कॉलेज के समय से ही काफी फेमस थे अटल जी
अटल जी कॉलेज के समय से ही काफी फेमस थे। उनके काफी लड़कियां और लड़के दीवाने थे। दरअसल, अटल जी एक अच्छे राजनीतिज्ञ हैं, ये तो लोगों को बाद में पता चला लेकिन वो उतने ही अच्छे एक कवि भी हैं, इसके बारे में सिर्फ उनके दोस्तों-यारों को पता है। उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है। उस समय लोग उनकी कविताओं और आवाज के कायल हुआ करते थे।
आलम ये थे कि लोग पार्क में खड़े होकर अटल जी की कविताएं सुनते थे। अजी, उन्हें सुनने के लिए लोगों का मेला लगता था। भाईसाहब वो भी क्या दिन थे। पूर्व पीएम के राजनीतिक सफ़र की बात करें तो भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से वो एक हैं। साथ ही, अटल जी 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए भी काम किया।
कवि के रूप में अटल जी
अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले थे। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे।
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वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें शृंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर ‘एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक’ की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया। वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता।
राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियां, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पाई। विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था।
अटल जी की प्रमुख रचनाएं
उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएं इस प्रकार हैं:
- मृत्यु या हत्या
- अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
- संसद में तीन दशक
- अमर आग है
- कुछ लेख: कुछ भाषण
- सेक्युलर वाद
- राजनीति की रपटीली राहें
- बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि
- मेरी इक्यावन कविताएं
अटल जी के जीवन के कुछ प्रमुख तथ्य
- अटल बिहारी वाजपेयी आजीवन अविवाहित रहे।
- वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) और सिद्ध हिंदी कवि भी हैं।
- परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये।
- सन् 1998 में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सीआईए को भनक तक नहीं लगने दी।
- अटल सबसे लंबे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया।
ये हैं बातें, जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को बनाया अटल जी
- अटल जी पहले भारतीय नेता हैं, जिन्होंने यूनाइटेड नेशन में अपना स्पीच हिंदी में दिया था। जब वो विदेश मंत्री थे, तब उन्होंने ये सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
- पाकिस्तान से करगिल युद्ध की जंग में भारत की जीत का श्रेय भी अटल जी को जाता है।
- अटल जी को भारत का तीन बार प्रधानमंत्री बनने का गौरव भी प्राप्त है।
- लखनऊ एक मिक्स आबादी वाला शहर है, जहां हिंदू-मुस्लिम की मिलीजुली आबादी है। बीजेपी को लेकर जनता ये सोचती है कि पार्टी का झुकाव हिंदुओं की ओर ज्यादा है लेकिन जब-जब अटल जी ने लखनऊ से चुनाव लड़ा है, तब जनता ने ये नहीं देखा कि वो बीजेपी या कमल को वोट दे रहे हैं बल्कि ये सोचकर दिया कि चुनाव अटल जी लड़ रहे हैं।
- राजमाता सिंधिया का भी अटल जी से कनेक्शन पुराना है। दरअसल, अटल जी का जन्म ग्वालियर में हुआ था, इसलिए उनका काफी समय मध्यप्रदेश में बीता। राजमाता राजघराने से ताल्लुक रखती थीं लेकिन अटल जी को बहुत मानती थीं। यही कारण है कि जब अटल जी और माधव राव सिंधिया चुनाव लड़ रहे थे, तब राजमाता ने अपने बेटे माधव का साथ न देकर अटल जी के लिए प्रचार किया। इससे साफ़ पता चलता है कि अटल जी को राजमाता कितन मानती थीं।
कानपुर से लखनऊ और लखनऊ से कानपुर तक भी लोकप्रिय थे अटल जी
बीजेपी के प्रतिष्ठित नेता के रूप फेमस अटल जी सांस्कृतिक नियंत्रण, स्वतंत्र विचारों और राजनीतिक तर्कसंगतता के लिए शुरू से जाने जाते रहे हैं। यही वजह है कि वो उत्तर प्रदेश में भी काफी लोकप्रिय हैं। इसके पीछे का कारण एक ये भी है कि वो 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए। उनकी पॉपुलैरिटी इतनी ज्यादा है कि उनके यानी 25 दिसंबर के दिन देश में ‘गुड गवर्नेंस डे’ के तौर पर मनाया जाता है।