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आजम खान ने पहनी रामनामी, कहा- राम से मुसलमानों का कोई झगड़ा नहीं
फैजाबाद: यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री आजम खान आज फैजाबाद में थे। इस दौरान आजम खान बदले-बदले से दिखे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, 'राम से मुसलमानों का कोई झगड़ा नहीं है। यदि राम होते तो रथ न निकलता और खून न बहाया जाता।'
समय-समय पर बाबरी विध्वंस मुद्दे पर बीजेपी, विहिप और हिंदूवादी संगठनों पर आक्रामक दिखने वाले आजम खान आज सपा संत सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भवनाथ दास से गले में माला डलवाने और रामनामी लेने से जरा भी नहीं हिचके। गौरतलब है कि आजम खान आज फैजाबाद में ई-रिक्शा वितरण के लिए आए थे।
राहुल पर भी साधा निशाना
ई-रिक्शा वितरण करने आए नगर विकास मंत्री आजम खान ने इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लगातार अपने निशाने पर पीएम मोदी और बीजेपी को रखा। राहुल गांधी के हनुमानगढ़ी दर्शन और किछौछा शरीफ जाने के सवाल पर कहा, 'वह कलमा भी पढ़ें। बुजर्गों के आस्ताने पर ढोंग न करें।'
पीएम मोदी पर किया हमला
कार्यक्रम में मौजूद छात्राओं के बारे में उन्होंने कहा, 'ये कल के भविष्य हैं। बादशाह बेटियों की दुहाई दे रहा है। इसके लिए पत्नी की जरूरत होती है। ढोंग की राजनीति बंद होनी चाहिए।' मंत्री ने कहा कि हम गंगा नदी के दुश्मन नहीं। झूठी अफवाह फैलाई जाती है। योग एक अभ्यास है। इसका विरोध नहीं करता।
आगे की स्लाइड में पढ़ें भगत सिंह की फांसी पर दिया विवादित बयान ...
नए विवाद को दी हवा
भले ही आजम खान ने भगवान राम के आदर्शों को सकारात्मक तरीके से लिया हो लेकिन शहीद भगत सिंह को फांसी दिलाने में झूठी गवाही की बात कहकर एक नए विवाद को हवा दे दी। उन्होंने कहा, जिन तीन लोगों ने भगत सिंह के खिलाफ झूठी गवाही दी उनमें एक भी मुसलमान नहीं था। इस दौरान उन्होंने बताया कि जब अंग्रेज वायसराय ने बम फेंकने के आरोप में भगत सिंह को फांसी देने की मांग जज से की तो उसने इनकार कर दिया। वे जज सहारनपुर के बेग साहब थे। आजम ने कहा कि भगत सिंह के बम फेंकने का मकसद धमकाने का था ना कि जान से मारने का। आजम ने कहा, 'सच को ज्यादा दिन दबाया नहीं जा सकता। एक न एक दिन जरूर सामने आता है।'
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