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नायडू को मनाने में जुटी बीेजेपी, नहीं खोना चाहती अपना जिगरी दोस्त
विनोद कपूर
लखनऊ: आंध्र प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में बने रहने पर सीएम चंद्रबाबू नायडू रविवार (04 फरवरी) को अपने सांसदों के साथ बैठक कर रहे हैं तो बीजेपी अपने इस पुराने दोस्त को मनाने में जुटी है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने नायडू से फोन पर बात की और उनसे कुछ और इंतजार करने और संयम बरतने की अपील की।
टीडीपी सूत्रों के अनुसार, अमित शाह ने चन्द्रबाबू नायडू से कहा, कि वो जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लें। कुछ और इंतजार कर लें। केंद्र सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार कर रही है। अमित शाह से बातचीत के बाद चन्द्रबाबू ने भी अपनी पार्टी के नेताओं से बीजेपी के खिलाफ अभी कोई बयान नहीं देने को कहा है। लेकिन पार्टी अपनी तैयारी में लगी है और जल्द कोई फैसला चाहती है। इसीलिए टीडीपी सांसदों के साथ बैठक सीएम चंद्रबाबू नायडू के आवास पर हो रही है। बैठक के लिए पहुंचे सांसद बी. रविंदर रेड्डी ने कहा, कि 'सीएम जो भी कहेंगे, हम उसके लिए तैयार हैं।'
अब शर्त भी
टीडीपी के प्रभावशाली सांसद टीजी वेंकटेश ने कहा, कि 'अगर बीजेपी हमारी पैकेज की मांग को पूरा करती हैं, तो दोस्त के रूप में हमारा साथ बरकरार रहेगा। नहीं तो गठबंधन से अलग होने का विकल्प तो हमेशा खुला होता है, उनके लिए भी और हमारे लिए भी।'
संयम बरतने को कहा
सूत्रों के अनुसार, इस संबंध में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह उनसे जल्द ही मांगों को लेकर चन्द्रबाबू से विस्तृत बात करेंगे। अमित शाह की तरफ से नायडू से संयम बरतने की अपील की गई है। फोन पर हुई बातचीत के बाद सीएम ने भी टीडीपी नेताओं से सार्वजनिक तौर पर गठबंधन को लेकर बयानबाजी से बचने को कहा है।
तो मैं नमस्ते कह कर चल दूंगा
गौरतलब है, कि एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश होने के बाद टीडीपी ने मुखर होकर बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मोदी कैबिनेट में मंत्री और टीडीपी नेता वाई.एस. चौधरी ने बजट से नाखुशी जाहिर कर बहस को नया मोड़ दे दिया है। टीडीपी का आरोप है कि बजट में उनके राज्य के लिए कुछ नहीं है। चन्द्रबाबू नायडू ने भी बजट में आवंटन को सही नहीं बताया और अपने सांसदों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बात की। नायडू का कहना है कि 'अगर वह गठबंधन धर्म निभा रहे और हमें नहीं चाहते तो मैं नमस्ते कह कर चल दूंगा।' हालांकि, बीजेपी ने कहा है कि वह आंध्र प्रदेश के हितों को लेकर पूरी तरह से कमिटेड हैं।
जगन-बीजेपी की नजदीकियां तो वजह नहीं
जगन रेड्डी के साथ बीजेपी की बढ़ती नजदीकियां भी टीडीपी की परेशानी का सबब है। भ्रष्टाचार के आरोपी जगन इधर बीजेपी के ज्यादा करीबी आते दिख रहे हैं। दरअसल, भारत के दक्षिण राज्यों से बीजेपी के लिए अच्छी खबर नहीं आ रही है। तमिलनाडु में रजनीकांत और कमल हासन के राजनीति में उतरने ओर अपनी पार्टी बनाने की घोषणा के बाद एआईडीएमके के साथ उसकी तामलेल की कोशिशें गड़बड़ा गई हैं तो महाराष्ट्र में शिवसेना ने पहले ही अलग होने की घोषणा कर दी है।
राजनीतिक हलकों में इस बात से भी इनकार नहीं किया जा रहा है कि नायडू अन्य राजनीतिक विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं। पार्टी जनता से भी इस बारे में राय ले रही है कि उसे 2019 तक बीजेपी के साथ रहना चाहिए या फिर अलग होकर चुनाव लड़ना चाहिए।
2014 में बीजेपी को आंध्र में 2% वोट मिले थे
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को आंध्र में दो प्रतिशत वोट मिले थे जो अगले चुनाव में ये वोट बढ़कर 6 प्रतिशत तक जा सकता है। ऐसे में पार्टी को अलग होने से पहले होने वाले इस नुकसान की भरपाई के लिए योजना बनानी होगी। दरअसल, तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद आन्ध्र प्रदेश की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नायडू राज्य के लिए उचित आर्थिक मदद और तेलंगाना के गठन के बाद लंबित पड़ी योजनाओं की मंजूरी में देरी से नाराज हैं। हैदराबाद के तेलंगाना में जाने के बाद आंध्र राजस्व की भारी दिक्कतों से जूझ रहा है।
टीडीपी की कई मांगें अब तक पूरी नहीं हुई
केंद्र सरकार में टीडीपी कोटे से एक मंत्री ने कहा, कि 8 अगस्त 2016 की मध्य रात्रि को चर्चा के बाद केंद्र ने आंध प्रदेश को विशेष पैकेज देने पर सहमति जताई थी, जिसके बाद टी़डीपी अलग राज्य की मांग को वापस लेने के लिए भी तैयार हो गई थी, लेकिन तब से राज्य को पैकेज का एक पैसा भी नहीं मिला है। टीडीपी का कहना है कि विशाखापत्तनम को जोनल रेलवे बनाने, कडप्पा स्टील प्लांट को मंजूरी जैसी कई अन्य ऐसी मांग हैं जो अभी तक पूरी नहीं हुई हैं।
अब टीडीपी भी देख रही बेहतर विकल्प
इस बीच वाईएसआर कांग्रेस के चीफ वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी भी इस मौके को भुनाने में जुटे हैं। जगन पहले ही जाहिर कर चुके हैं कि अगर केंद्र आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दे तो वो एनडीए में शामिल होने के लिए तैयार हैं। उनकी बीजेपी से नजदीकी लगातार बढ़ रही है लेकिन उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। टीडीपी के अनुसार बीजेपी अगर वाईएसआर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने को तैयार हो जाती है तो नायडू के पास अन्य योजना है। इसके तहत टीडीपी छोटे लेकिन प्रचलित दल जन सेना के साथ गठबंधन कर सकती है, जो कि बीजेपी की जगह टीडीपी के लिए एक बेहतर विकल्प साबित होगा।
क्या बीजेपी के लिए दक्षिण की राह आसान नहीं?
गठबंधन में दरार बीजेपी के लिए अच्छी खबर नहीं है। दक्षिण में अपनी पहुंच बढ़ाने की जुगत में लगी बीजेपी तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र में स्थानीय सहयोगियों के बिना आगे नहीं बढ़ सकती। दूसरा अगर बीजेपी इस वक्त टीडीपी का साथ छोड़ वाईएसआर कांग्रेस से हाथ मिलाती है तो इससे गलत संदेश जा सकता है, क्योंकि वाईएसआर प्रमुख जगन पहले ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं