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अफगानिस्तान: चुनाव के दौरान बम धमाकों में 1 की मौत, 47 घायल
काबुल: अफगानिस्तान में लंबे अंतराल के बाद शनिवार को हुए संसदीय चुनाव के दौरान देश के विभिन्न भागों में हुए बम धमाकों में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 47 अन्य घायल हो गए। ये धमाके काबुल, कपिसा, लोगर(पूर्व) और गजनी(दक्षिण) प्रांत में हुए।
इटली की गैर लाभकारी आपात सेवा के कार्यक्रम समन्वयक डेजान पेनिक ने समाचार एजेंसी एफे को बताया कि पीड़ितों को काबुल में संगठन की ओर से चलाए जा रहे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पेनिक ने कहा, "अबतक हमारे यहां 48 पीड़ित को भर्ती कराया गया है। उनमें से 33 को यहां अस्पताल में भर्ती कराया गया और 14 का बिना भर्ती किए इलाज किया गया। इलाज के दौरान एक घायल की मौत हो गई।"
काबुल पुलिस प्रवक्ता बशील मुजाहिद ने कहा, "काबुल शहर में आईडी वाले कुछ छोटे धमाके हुए"
मुजाहिद ने हालांकि हताहतों की संख्या की पुष्टि नहीं की।
गृह मंत्री के प्रवक्ता नजीब दानिश ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "अफगान सरकार ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान 70,000 जवानों को तैनात किया, जिसकी संख्या पहले की घोषित जवानों की संख्या से 16,000 ज्यादा है। "
उन्होंने कहा कि 34 प्रांतों में से 32 में 49,00 मतदाता केंद्र बनाए गए थे। पूरे देश में मतदान 7 बजे सुबह से शुरू होने थे, लेकिन कुछ मतदाता केंद्रों में मतदान सुबह 9 बजे के आस-पास और कहीं-कहीं इसके भी बाद शुरू हुए।
कुछ मतदाता केंद्रों में बायोमेट्रिक यंत्र खराब थे, जबकि कहीं बैलट जैसी चुनावी सामग्री मतदान केंद्रों तक समय पर नहीं पहुंच सकी।
गाजी प्रांत में चुनाव में जनजातीय तनाव व सुरक्षा कारणों से चुनाव में देरी हुई, जबकि कांधार में गुरुवार को शीर्ष स्तरीय सुरक्षा बैठक में तालिबान के हमले की वजह से चुनाव को एक सप्ताह आगे कर दिया गया। हमले में शीर्ष अधिकारी मारे गए थे और घायल हुए थे।
चुनाव आयोग ने कहा कि जो केंद्र शनिवार को नहीं खुल पाए, वहां रविवार को भी चुनाव होंगे।
राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, "मतदान का आयोजन संविधान, जनता और लोकतंत्र की जीत है।"
तालिबान द्वारा लोगों को मतदान न करने की सार्वजनिक धमकी देने के बीच उन्होंने लोगों से मतदान करने का आग्रह किया।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने एक बयान जारी कर कहा, "पूरे देश में दुश्मनों के मतदाता केंद्र मुजाहिदीनों के हमले के जद में है। देश के लोगों को अपनी जिंदगियों को बचाने के लिए इस फर्जी प्रक्रिया से दूर रहना चाहिए।"
--आईएएनएस