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बच्चों के तीमारदार बोले- ऑक्सीजन खत्म होने पर बच्चे को तड़पता देखा था

aman
By aman
Published on: 12 Aug 2017 7:58 AM GMT
बच्चों के तीमारदार बोले- ऑक्सीजन खत्म होने पर बच्चे को तड़पता देखा था
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बच्चों के तीमारदार बोले- हां मैंने ऑक्सीजन खत्म होने पर बच्चे को तड़पता देखा

गौरव त्रिपाठी

गोरखपुर: जब सब कुछ ठीक चल रहा था तो शुक्रवार शाम मौत के बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर परिजनों को शव सौंप क्यों नहीं रहे थे? यह सवाल पूरे मेडिकल कॉलेज में आम थी। मृतकों के परिजन चीख-चिल्ला रहे थे। डॉक्टर के पैर पकड़ रहे थे, लेकिन उनसे सिर्फ यही कहा जा रहा था कि अभी अधिकारियों का दौरा चल रहा है उनके जाने के बाद ही शव दिया जाएगा। हंगामा बढ़ा, तो डॉक्टर पर शव गायब करने का भी आरोप लगने लगा।

मेडिकल कॉलेज के बाल रोग वार्ड में हुई कई मौतों को देर रात तक छुपाए रखा गया। यही नहीं, वहां के डॉक्टरों ने तीमारदारों को अंधेरे में रखा। उनके बच्चों की मृत्यु होने के बाद भी उन्हें देखने तक नहीं दिया। ये दास्तान सुनते हुए पीड़ित परिजन फफक-फफककर रोने लगे। कहा, 'तीन दिन हो चुके हैं मेरी बच्ची से मुझे मिलने नहीं दिया गया। पता नहीं वह जिंदा है कि मर गई। डॉक्टर हमें अंदर जाने नहीं दे रहे हैं।'

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शिकायत के बाद किया मृत घोषित

शाहपुर थाना क्षेत्र के बिछिया की खुशी (5 वर्ष) पुत्री मोहम्मद जाहिद इंसेफलाइटिस वार्ड के सघन चिकित्सा कक्ष के केबिन में 38 नंबर बेड पर भर्ती थी। देर रात उसकी मौत हो चुकी थी। वेंटीलेटर के मॉनीटर पर सीधी लाइन बनाने के बाद भी डॉक्टर उसे मृत घोषित नहीं कर रहे थे। परिजनों ने अफसरों से शिकायत की तो खुशी को मृत घोषित किया गया। पिता ने बताया, कि शुक्रवार दोपहर को अंबु बैग से बेटी को कृत्रिम सांस देने को कहा गया था लेकिन वह इसका मतलब नहीं समझ पा रहे थे। आरोप लगाया, कि '4 घंटे पहले ही उनकी बेटी की मौत हो चुकी थी लेकिन डॉक्टर ने उसे नहीं बताया। वह अपने कंधे पर बेटी का शव लेकर चला गया। ऐसी कई मौतों को मेडिकल कॉलेज प्रशासन देर रात तक छुपाता रहा।

पुलिस का डर दिखाकर भगाने की कोशिश की

वही, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई मौतों पर एक पीड़ित परिवार का कहना था कि 'हम अपने बच्चे को बिहार के गोपालगंज से लेकर आए थे। ऑक्सीजन की कमी होने से हमारे बच्चे की मौत हो गई। इसी तरह जितने बच्चों की मौत हुई है वह सब ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई है। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि 32 बच्चों की नहीं, बल्कि 48 बच्चों की मौत हुई है। जब हमारा बच्चा मरा था तो हमें पुलिस का डर दिखाकर भगाने की कोशिश की गई। मैंने देखा रात में जब ऑक्सीजन खत्म हुआ तो बच्चे तड़प रहे थे।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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