देखिए CM साहब: लीगल नोटिस के बावजूद हॉस्पिटल ने नहीं किया था पेमेंट

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Published on: 13 Aug 2017 4:39 AM GMT
देखिए CM साहब: लीगल नोटिस के बावजूद हॉस्पिटल ने नहीं किया था पेमेंट
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गोरखपुर: बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में एक के बाद एक 60 मासूमों की मौतों ने देश भर के लोगों को सकते में ला दिया है। ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। BRD हॉस्पिटल को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का कहना है कि पेमेंट को लेकर हॉस्पिटल को अवगत करवाया गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

BRD हॉस्पिटल के प्रिंसिपल को पेमेंट को लेकर हर तरह से सूचित किया गया, पर उन्होंने कोई प्रतिक्रया नहीं दी। यहां तक कि पेमेंट को लेकर पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड ने उन्हें लीगल नोटिस तक भेजा, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और ना ही भुगतान किया गया।

कंपनी द्वारा पेमेंट को लेकर भेजी गई एप्लीकेशन में साफ़ नजर आ रहा है कि हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन को बखूबी पता था कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का कुल 68,65,702 रुपए की राशि बकाया है, लेकिन फिर भी लापरवाही बरती गई। जिसका खामियाजा 60 मासूमों को अपनी जान देकर गंवाना पड़ा।

इतनी ही नहीं पेमेंट को लेकर हॉस्पिटल को भेजी गई नोटिस में यह भी बताया गया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण हॉस्पिटल में विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों और खासकर बच्चों को परेशानी हो सकती है। लेकिन कंपनी की चेतावनी को अनसुना कर दिया गया और ऑक्सीजन की कोई व्यवस्था नहीं की गई। नतीजतन 60 से ज्यादा लोग ऑक्सीजन की कमी के चलते दम तोड़ दिए।

बता दें कि इतने मासूमों की जान जाने के बावजूद हॉस्पिटल और प्रशासन पूरी तरह से यह मानने को तैयार नहीं है कि हॉस्पिटल के सभी मासूमों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है। साथ ही उनका यह भी कहना है कि हॉस्पिटल से जुड़ी ऑक्सीजन सप्लायर कंपनियों पर छापेमारी हुई थी।

आगे की स्लाइड में जानिए क्या कहती है Newstrack.com की पड़ताल

वहीं Newstrack.com ने BRD हॉस्पिटल को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड से बातचीत की, तो पता चला कि हॉस्पिटल प्रशासन और सरकार पूरी तरह से अपनी नाकामियों को छुपा रही है। उन्होंने बताया कि यह नियम है कि अगर कंपनी को 10 लाख तक का पेमेंट बाकी है, तो कंपनी सप्लाई रोक सकती है।

कंपनी के हेड मनीष भंडारी ने बताया कि उनकी कंपनी BRD हॉस्पिटल को ऑक्सीजन सप्लाई करती है। फरवरी से लेकर अगस्त आ गया है, हॉस्पिटल ने कोई पेमेंट नहीं किया। इस बीच उन्होंने हॉस्पिटल प्रिंसिपल को 7 बार पेमेंट के लिए रिमाइंडर भेजे गए। नोटिसेस में उन्होंने हर बार मेंशन किया कि पेमेंट 60 लाख हो गया है, कंपनी सप्लाई रोक सकती है। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण कंपनी को भी सूचित किया पर उधर से भी कोई जवाब ना आने पर भी इंसानियत के नाते हॉस्पिटल को सप्लाई जारी रखी।

मनीष भंडारी का कहना है कि हादसे के दिन वह खुद हॉस्पिटल में थे। जब अचानक से मृतकों की संख्या बढ़ने लगी, तो हॉस्पिटल ने अपने बचाव के खातिर आनन-फानन में कंपनी के अकाउंट में 20 लाख रुपए जमा करवा दिए।

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