तीन तलाक पर केंद्र सरकार ने नए कानून की जरूरत को किया खारिज

aman
By aman
Published on: 22 Aug 2017 8:30 PM
तीन तलाक पर केंद्र सरकार ने नए कानून की जरूरत को किया खारिज
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तीन तलाक पर केंद्र सरकार ने नए कानून की जरूरत को किया खारिज

नई दिल्ली: तीन तलाक के खिलाफ केंद्र सरकार ने नया कानून न बनाने के संकेत दिए हैं। गौरतलब है कि मंगलवार को तीन तलाक पर फैसले सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया था। सरकार से इसे लेकर 6 माह के भीतर एक कानून बनाने का आदेश दिया था। सरकार ने नया कानून न बनाने के संकेत देते हुए कहा, कि 'इसके लिए घरेलू हिंसा से निपटने वाले मौजूदा कानून ही पर्याप्त है।'

तीन तलाक पर नया कानून बनाने को लेकर मीडिया की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'सरकार इस मसले पर संगठित तरीके से विचार करेगी। पहली नजर में सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट पढ़ने पर यह पता चलता है कि शीर्ष अदालत ने एक साथ तीन तलाक की प्रैक्टिस को असंवैधानिक और अवैध करार दिया है।'

अब, शादी खत्म नहीं मानी जाएगी

वहीं, मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि एक साथ तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला किस प्रकार से लागू होगा और क्या इस फैसले को लागू कराने के लिए किसी नई व्यवस्था की जरूरत है, प्रसाद ने कहा, कि 'यदि कोई पति एक साथ तीन तलाक देता है तो इससे शादी खत्म नहीं मानी जाएगी।'

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पत्नी करा सकती है घरेलू हिंसा की शिकायत

रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को एक साथ तीन तलाक देता है तो उसे वैध नहीं माना जाएगा। शादी के प्रति उसकी जिम्मेदारियां बनी रहेंगी। इसके अलावा पत्नी भी उसकी पुलिस में शिकायत करने और घरेलू हिंसा के तहत शिकायत दर्ज करने को स्वतंत्र होगी।'

तीन जजों ने दिया संविधान का उल्लंघन करार

गौरतलब है, कि सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच में चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर एक साथ तीन तलाक की प्रैक्टिस पर 6 महीने के स्टे लगाने के पक्ष में थे और सरकार को इस बारे में कानून बनाने का आदेश देने के पक्ष में थे। हालांकि, तीन अन्य जज कुरियन जोसेफ, आर.एफ. नरीमन और यू.यू. ललित ने एक साथ तीन तलाक को संविधान का उल्लंघन करार दिया।

दूसरे पक्ष की भी थी अपनी दलील

सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से फैसला देते हुए कहा, कि 'तीन तलाक समेत कोई भी ऐसी प्रैक्टिस अस्वीकार्य है, जो कुरान के खिलाफ है। तीन जजों ने कहा कि तीन तलाक की प्रक्रिया मनमानी और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।' वहीं, चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर ने 6 महीने के लिए एक साथ तीन तलाक पर रोक लगाने और तमाम राजनीतिक दलों को साथ बैठकर एक कानून बनाने की सलाह दी।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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